20.1 C
New Delhi
Saturday, March 25, 2023

धान की रोपाई से ओलंपिक में पंच तक, तस्वीरों में देखिए भारत की स्टार मुक्केबाज लवलीना का संघर्ष

कुछ करने के लिए जुनून होना चाहिए। मेहनत के बदौलत हम हर जगह सफलता पा सकते हैं।

टोक्यो ओलंपिक की बॉक्सिंग प्रतियोगिता में भारत को कांस्य पदक जिताने वाली लवलीना बोरगोहेन भारत के असम राज्य के एक ऐसे गांव से आती हैं जहां पक्की सड़क तक नहीं है, संसाधनों का अभाव है। इसके बावजूद लवलीना बोरगोहेन के हौसले कमजोर नहीं हुए। उन्होंने भारत की ओर से टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन कर भारत का नाम रोशन कर दिया है। आइये जानते है उनके बारे में।

सेमीफाइनल में हार के बाद भी जबरदस्त प्रदर्शन

लवलीना बोरगोहेन सेमीफाइनल में भले ही हार गई हों लेकिन उन्होंने अपने जबरदस्त प्रदर्शन के बदौलत भारत को कांस्य पदक दिलाया है। लवलीना मुक्केबाजी में आने से पहले किक बॉक्सिंग करती थीं। जिसमें वो राष्ट्रीय स्तर पर पदक भी जीत चुकी हैं। एक छोटे से गांव से निकलकर ओलंपिक तक का सफर तय किया।

यह भी पढ़ें: मीराबाई चानू: लकड़ी का गट्ठर उठाते-उठाते कैसे करोड़ों भारतीयों के दिल में बस गईं

गांव तक नहीं है पक्की सड़क

असम के गोलाघाट के एक छोटे से गांव बारामुखिया के मध्य वर्गीय परिवार में जन्मीं लवलीना बोरगोहेन के गांव में कुछ दिन पहले तक पक्की सड़क तक नहीं थी। लेकिन लवलीना की कामयाबी के बाद अब उनके गांव तक पक्की सड़क का निर्माण किया जा रहा है। लवलीना की दो बड़ी बहनें भी हैं। दोनों इस समय पैरामिलिट्री फोर्स का हिस्सा हैं और देश की सेवा कर रही हैं।

पिता ने किया था प्रेरित

लवलीना बोरगोहेन के पिता टिकेन बोरगोहेन खेती करते हैं और उसी से होने वाली कमाई से उन्होंने अपनी तीनों बेटियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। लवलीना बोरगोहेन बचपन से ही मजबूत इच्छाशक्ति वाली लड़की थीं। 15 साल की उम्र में ही देश के अलग-अलग हिस्सों में ट्रेनिंग के लिए अकेले ही चली जाती थीं। उनकी इसी खासियत ने उनके पिता को यकीन दिलाया कि वह मजबूत और जिद्दी हैं। लवलीना वर्ष 2010 से 2012 तक मुए थाई किक बॉक्सिंग की प्रैक्टिस करती थीं। लेकिन उन्हें स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से बॉक्सिंग करने का मौका मिला तो उन्होंने कमाल ही कर दिया।

कैसे मिली बॉक्सर बनने की प्रेरणा

गांव में आम बच्चों की तरह खेलने-कूदने वाली लवलीना की जिंदगी में अहम मोड़ तब आया जब उनके पिता टिकेन बोरगोहेन बच्चों के लिए अख़बार के एक टुकड़े में मिठाई लपेटकर लाए थे। उस टुकड़े में एक तस्वीर छपी थी। लवलीना बोरगोहेन ने पिता से उस तस्वीर वाले शख़्स के बारे में पूछा। वह फोटो दिग्गज मुक्केबाज मोहम्मद अली की थी। पिता टिकेन ने बेटी को अली की पूरी कहानी सुनाई। असम के गोलाहाट ज़िले में यह किस्सा मशहूर है कि उसी के बाद लवलीना ने तय कर लिया कि उन्हें भी बिल्कुल मोहम्मद अली की तरह बॉक्सर बनना है।

यह भी पढ़ें: सिल्वर गर्ल मीराबाई चानू पर हुई इनामों की बरसात, जानिये किसने क्या दिया पुरस्कार

अनेक बार हुई हैं सफल

साल 2012 में बॉक्सर लवलीना की नई कहानी शुरू हुई। उन्हें अपना गांव छोड़कर गुवाहाटी जाना पड़ा। जिसके बाद 70 किलोग्राम वर्ग में लवलीना बोरगोहेन सब-जूनियर नैशनल चैंपियन बनीं। फिर भोपाल में नैशनल कैंप के लिए उनका सिलेक्शन हो गया। लवलीना को एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप तक पहुँचने में केवल पांच साल लगे। 2017 में वियतनाम में इस इवेंट में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। इससे पहले सर्बिया में हुए नेशंस कप
में उन्होंने सिल्वर अपने नाम किया।

शारीरिक फिटनेस के साथ मेंटल फिटनेस भी है ज़रूरी

2018 में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में लवलीना ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं। पिछली सफलताओं और शानदार फॉर्म के साथ यहाँ पहुँचीं लवलीना को क्वॉर्टरफाइनल में हार का सामना करना पड़ा। हालांकि इस हार ने उन्हें सिखाया कि जीत के लिए शारीरिक रूप से फिट होना ही पर्याप्त नहीं, मेंटल फिटनेस भी होनी चाहिए।

कांस्य पदक जीतकर रच दिया इतिहास

वर्ल्ड चैंपियनशिप में हुई अपनी गलतियों से सीखते हुए लवलीना बोरगोहेन ने टोक्यो ओलंपिक के क्वॉर्टर फाइनल में चीन की मुक्केबाज को हराकर सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की करी। हालांकि भारतीय महिला बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) को अपने सेमीफाइनल मुकाबले में विश्व चैंपियन बॉक्सर बुसेनाज सुरमेनेली के हाथों हार का सामना करना पड़ा। लवलीना को इस हार के साथ ही ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल से ही संतोष करना पड़ा है। उनका देश के लिए गोल्ड जीतने का सपना अधूरा रह गया।

यह भी पढ़ें: पढ़िए सगाई छोड़कर देश की लाज बचाने कारगिल जाने वाले कैप्टन अनुज नैय्यर की कहानी

अपने देश का किया नाम रौशन

उन्होंने भारत को कांस्य पदक जिताकर भारत का नाम रोशन किया है। लवलीना बोरगोहेन को उनके प्रदर्शन के लिए अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

टोक्यो ओलंपिक में अपने प्रदर्शन से सबका दिल जीतने वाली लवलीना बोरगोहेन आज सही मायने में करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

Sunidhi Kashyap
Sunidhi Kashyap
सुनिधि वर्तमान में St Xavier's College से बीसीए कर रहीं हैं। पढ़ाई के साथ-साथ सुनिधि अपने खूबसूरत कलम से दुनिया में बदलाव लाने की हसरत भी रखती हैं।

Related Articles

Stay Connected

95,301FansLike
- Advertisement -