कुछ लोग शारीरिक रूप से अगर कमजोर होते है तो वह अपने सपनों को बुनने के बारे में सोचते भी नही हैं। पर वहीं कुछ लोग अपनी कमजोरी को अपना ताकत समझ कर निरंतर अपने कर्तव्य पथ पर आगे की ओर बढ़ते रहते हैं।
आज हम आपको एक ऐसे ही इंसान के बारे में बताएंगे जिनका एक हाथ बचपन से ही खराब था। पर उन्होंने लाख परेशानियों के बावजूद शूटिंग में भारत के लिए सीधा गोल्ड पर निशाना साधा है। आज भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिया है। आइये जानते है उनके बारे में।
मनीष नरवाल का परिचय
17 अक्टूबर 2001 को हरियाणा के वल्लभगढ़ के एक सामान्य परिवार में जन्में मनीष नरवाल जब पांचवी कक्षा में थे तो उन्हें एहसास हुआ कि उनका दायां हाथ सामान्य बच्चों की तरह काम नहीं कर पा रहा है। जिसके बाद वो बहुत रोए और स्कूल जाने से भी मना करने लगे। मनीष नरवाल को फुटबॉल खेलना बहुत पसंद था। लेकिन हाथ में परेशानी के कारण वो क्लब स्तर के ऊपर खेल नहीं पाए।

पिता के दोस्त ने सलाह दी।
उनके पिता के किसी करीबी ने मनीष को शूटिंग में हाथ आजमाने की सलाह दी। जिसके बाद उनके पिता उन्हें 10X शूटिंग अकेडमी ले गए। जहां उन्हें गुरु के रूप में राकेश ठाकुर मिले। जिन्होंने मनीष नरवाल के जीवन को एक नई दिशा दी। मनीष के पिता उन्हें रोजाना शूटिंग का अभ्यास कराने शूटिंग रेंज पर ले जाने लगे। मनीष नरवाल जल्दी ही शूटिंग सीखने में सफल हुए।

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पहली बार गोल्ड जीता
अपनी पहली ही प्रतियोगिता में मनीष ने गोल्ड मेडल जीतकर अपने हुनर का शानदार परिचय दिया था। इसके बाद मनीष ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मनीष ने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपने हुनर का जादू बिखेरा। उन्होंने अब तक 36 से अधिक पदक अपने नाम किए हैं। मनीष की सफलता और संघर्ष को देखते हुए उनके भाई-बहनों ने भी उन्हीं के नक्शे कदम पर चलना शुरू कर दिया है।
पिता ने कर्ज लेकर दिलाई थी पिस्टल
मनीष नरवाल बाएं हाथ से शूटिंग करते हैं। बाएं हाथ की ग्रिप की पिस्टल आसानी से नहीं मिलती है। ऐसे में पिता ने कर्ज लेकर खास ऑर्डर पर बेटे के लिए पिस्टल मंगवाई। शुरुआत में मनीष पिस्टल को मंदिर में रखकर हर रोज उसकी पूजा किया करते थे। इसके बाद जनवरी 2016 में उन्होंने अकेडमी में अपनी ट्रेनिंग शुरू की। धीरे-धीरे वह इस खेल के रंग में रंग गए और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतने लगे।

पैरालंपिक में गोल्ड जीता
मनीष नरवाल ने टोक्यो पैरालंपिक में गोल्ड जीतकर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। मनीष 9 वर्षों से लगातार पैरा शूटिंग के विश्व कप में नौ बार नया रिकार्ड बना चुके हैं। जबकि दो वर्ष पूर्व जकार्ता में हुए पैरा एशियाई खेलों में 10 मीटर एयर पिस्टल में नया रिकार्ड बनाते हुए स्वर्ण और एक रजत पदक जीता था। इसके अलावा पिछले वर्ष वर्ल्ड चैंपियनशिप में तीन कांस्य पदक अपने नाम किए थे।
मनीष ने अपनी कमजोरियों को अपनी ताकत बनाकर सफलता हासिल की।