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Wednesday, May 31, 2023

शिक्षा और सेवाभाव का अलख जगा राजनीत की नई परिभाषा गढ़ रहे ऋतुराज

समाज आज राजनीति को अछूत जैसी नजर से देखता है। आज अपने घर में बच्चों को लोग पढ़ाते हैं और उन्हें डॉक्टर, इंजीनियर और प्रशासनिक अधिकारी बनाने की बात करते हैं। कोई भी अभिभावक या परिवार अपने बच्चे को यह नहीं कहता की मेहनत से पढ़ो तुम्हें राजनीति करना है।

आज हम आपको जहानाबाद (Jahanabaad Bihar) के मनियामा के रहने वाले ऋतुराज कुमार (Rituraj Kumar) के बारे में बताएंगे जो आज की राजनीति में अपना एक अलग पहचान बना रहे हैं। वो कहते हैं कि भारत आज युवा शक्ति के मामले में दुनिया में सबसे अधिक समृद्ध है। यह स्थिति भारत को विकास के लिहाज से महत्वपूर्ण दिशा दे सकती है।

पेशे से वकील ऋतुराज

ऋतुराज कुमार पेशे से सुप्रीम कोर्ट के वकील (Advocate Rituraj Kumar) हैं पर राजनीति में दिलचस्पी के कारण और एक युवा होने के नाते बिहार की दुर्दशा को दखकर राजनीति में कदम रखा। 15 दिसंबर 1988 को जन्में ऋतुराज का परिवार भी लंबे वक्त से राजनीति से जुड़ा हुआ है। आपको बता दें कि उनके दादा श्री बृजनंदन शर्मा बिहार के प्रख्यात शिक्षक रहे हैं तो वहीं उनके पिता अरुण कुमार (Arun Kumar Jahanbad) जहानाबाद के पूर्व सांसद व वर्तमान में लोजपा (रा•) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। साथ ही साथ उनके ससुर जी भी गिरिडीह के पूर्व सांसद सह बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं।

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बदलाव लाने की ख्वाहिश

ऋतुराज कुमार का राजनीति में आने का मकसद यही है कि वह युवाओं (Youth) को राजनीति से जोड़ना चाहते हैं। वह कहते हैं कि उनका सपना पूरा तभी होगा जब देश, समाज, राजनीतिक दल युवाओं को प्राथमिकता देंगे। युवाओं को मौका देंगे और युवा विकास एजेंडा तय करने के लिए अपने आपको देश और राजनीति को समर्पित करेगा। इसके लिए वह काफी काम भी कर रहे हैं।

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शिक्षा के लिए लगातार काम

ऋतुराज कुमार पूर्व में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी में युवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे तो वहीं 2022 के शुरुआत से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) में सम्मिलित होकर राजनीति के नए-नए अध्याय गढ़ रहे हैं। वह कहते हैं कि अपने बाबा वृजनंदन शर्मा (Brijnandan Sharma) और अपने पिता डॉक्टर अरुण कुमार (Doctor Arun Kumar) को अपना आदर्श मानते हैं। उन्होंने इन अपने बाबा और पिता से बहुत कुछ सीखा है। साथ ही साथ उन्हें समाज और युवाओं के लिए अच्छा करने का आशीर्वाद भी निरंतर मिलता रहता है।

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शिक्षा व्यवस्था के लिए चिंतित

सिम्बायोसिस लॉ कॉलेज पुणे (Symbiosis Law College Pune) से लॉ की पढ़ाई पूरी करने वाले ऋतुराज कुमार कहते हैं कि वह बिहार के खराब शिक्षा व्यवस्था को देखकर लगातार चिंतित रहते हैं। उनका कहना है कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था (Education in Bihar) पर खर्च होने वाले बजट को देखा जाए तो इससे यह पता चलता है की सरकार जो शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए प्रयास करती वह जमीनी स्तर पर बिल्कुल सफल नही है। इस चीज में बदलाव लाने की ख्वाहिश से उन्होंने शुरुआत के दिनों में पटना स्नातक निर्वाचन क्षेत्र (Patna Graduate Constituency) से उन्होंने चुनाव भी लड़ा था।

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चुनाव में हार, हिम्मत नही हारी

ऋतुराज कुमार को चुनाव (Patna Graduate Constituency) में हार मिली पर उन्होंने हिम्मत नही हारी। दोगुने जोश और मजबूती के साथ वह लगातार बिहार में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। युवाओं (Youth) से मिलना उनकी मदद करना साथ ही साथ पढ़ाई में भी युवाओं की सहायता करना ऋतुराज का प्रथम कर्तव्य बन चुका है।

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क्या कहते हैं ऋतुराज

ऋतुराज कुमार का कहना है कि बिहार में सरकारी स्कूलों की व्यवस्था पर लगातार सवाल खड़े होते हैं। उनका कहना है कि सरकारी स्कूलों की बात करें तो जब उच्च अधिकारियों का दौरा सरकारी विद्यालयों में होता है तब अधिकतर शिक्षक अनुपस्थित पाए जाते है। जो शिक्षक उस समय उपलब्ध होते है वो भी अकसर लापरवाही करते नजर आते है और इस पर सरकार का उदासीन रवैया देखने को मिलता है। इन सब चीजों को बदलने की जरूरत है।

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बिहार में शिक्षा के लिए काम

ऋतुराज कुमार बिहार को लेकर कहते हैं कि एक तरफ जहां बिहार पहले नालंदा और विक्रमशिला (Nalanda and Vikramshila) जैसे महान विश्वविद्यालय के लिए जाना जाता था। आज वह सिर्फ खराब शिक्षा व्यवस्था और घोटालों के लिए जाना जाता है। इन सब चीजों पर काम करने की जरूरत है और इसमें बदलाव तभी आएगा जब युवा राजनीति से जुड़ेंगे और इसके लिए वह निरंतर काम कर रहे हैं। वह युवाओं से राजनीति में आने की अपील भी करते हैं।

अगर आपको ऋतुराज कुमार की कहानी अच्छी लगी हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

Shubham Jha
Shubham Jha
शुभम झा (Shubham Jha)एक पत्रकार (Journalist) हैं। भारत में पत्रकारिता के क्षेत्र में बदलाव लाने की ख्वाहिश रखते हैं। वह चाहते हैं कि पत्रकारिता स्वच्छ और निष्पक्ष रूप से किया जाए। शुभम ने पटना विश्वविद्यालय (Patna University) से पढ़ाई की है। वह अपने लेखनी के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करते हैं।

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