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Tuesday, June 6, 2023

68 वर्षीय वैज्ञानिक रोहिणी गोडबोले को मिला फ्रेंच ऑर्डर ऑफ मेरिट का प्रतिष्ठित सम्मान, विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं को करती हैं प्रोत्साहित

स्त्री को सृजन की शक्ति माना जाता है अर्थात स्त्री से ही मानव जाति का अस्तित्व माना गया है। स्त्री अगर चाहे तो कुछ भी कर सकती है। एक स्त्री में वह सारी क्षमता होती है जो सफलता की ओर ले जाती है। (Rohini Godbole success)

आज हम आपको एक ऐसी स्त्री के बारे में बताएंगे जिन्होंने भौतिकी वैज्ञानिक के रूप में देश-विदेश में नई पहचान बनाई है। जिन्होंने न केवल विज्ञान के क्षेत्र में खास उपलब्धि हासिल की है बल्कि उन्होंने अन्य महिलाओं को भी विज्ञान के क्षेत्र में आने के प्रति प्रोत्साहित किया है। उनके कार्यों के लिए भारत सरकार ने भी उन्हें पद्मश्री सम्मान से भी सम्मानित किया है। आइये जानते हैं उनके बारे में।

विज्ञान में थी रूचि (Rohini Godbole)

महाराष्ट्र के पुणे में जन्मीं प्रो. रोहिणी गोडबोले का जन्म एक छोटे से गांव में हुआ था। वह एक ऐसे परिवार में पैदा हुईं जो शिक्षा को आवश्यक मानता था। उनकी चारों बहनें विज्ञान से ही जुड़ीं हुईं थी। इसलिए उन्हें शुरू से ही विज्ञान में रूचि थी प्रो.रोहिणी ने फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायोलॉजी की पढ़ाई की और खुद को मेरिट स्कॉलरशिप के लिए तैयार किया। वह अपने स्कूल में स्कॉलरशिप पाने वाली पहली लड़की थीं।

अच्छी खासी नौकरी छोड़ी (Rohini Godbole)

प्रो.रोहिणी का शुरू से रूझान गणित की ओर था लेकिन उन्हें डर था कि इसमें उन्हें नौकरी मिलेगी या नहीं। इसलिए उन्होंने भौतिकशास्त्र में ही करियर बनाने की ठानी। कॉलेज में टॉप करने के तुरंत बाद ही बैंक में नौकरी का प्रस्ताव मिल गया,जहां उनका वेतन अपने पिता के वेतन से अधिक था। लेकिन उन्होंने नौकरी को ठुकरा दिया,क्योंकि उन्हें शोध-कार्य करना था। इसके बाद परिवार के सहयोग से वह अमेरिका रवाना हो गईं और न्यूयॉर्क के स्टोनी ब्रुक विश्वविद्यालय से कण भौतिकी में पीएचडी की पढ़ाई की।

भारत में रहना पसंद किया (Rohini Godbole)

रोहिणी के पीएचडी शुरू करने के तुरंत बाद ही क्वार्क स्टेट की खोज हुई। रोहिणी को अपना देश और अपना घर याद आ रहा था।अपनी पीएचडी पूरी करने के बाद, रोहिणी 5 साल बाद भारत लौट आयीं। उन्होंने मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट रिसर्च में काम करना शुरू किया, इसके बाद वह बॉम्बे विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग में व्याख्यान भी दिया।

लड़कियों को विज्ञान की लिए प्रेरित (Rohini Godbole)

प्रो. रोहिणी ने खुद तो भौतिकशास्त्र में शोध किया साथ ही उन्होंने अन्य लड़कियों को भी विज्ञान में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रो. रोहिणी गोडबोले जी विभिन्न नीतिगत उपायों में सक्रिय रूप से शामिल रही हैं। प्रो. रोहिणी गोडबोले ने अब तक तीन किताबों का संपादन किया है। वह पुस्तक लीलावती की बेटियों की सह-लेखिका हैं, जो भारत की महिला वैज्ञानिकों पर जीवनी संबंधी निबंधों का संग्रह है।

कई सम्मान से हुईं सम्मानित (Rohini Godbole)

प्रो. रोहिणी स्पार्टिकल्स और सुपरसिमेट्री सिद्धांत के काम के लिए जानी जाती हैं। फिजिक्स के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए सराहनीय कार्यों के लिए भारत सरकार ने उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया था। यही नहीं उनके उत्कृष्ट कार्यों और महिलाओं को विज्ञान के क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित करने एवं फ्रांस और इंडिया के बीच सहयोग देने के कारण उन्हें फ्रांस के बड़े ऑर्डर नेशनल ड्यू मेरिट से भी सम्मानित किया गया है। उन्हें सत्येंद्रनाथ बोस पुरस्कार भी मिला था। रोहिणी ने अब तक तीन किताबों का संपादन किया।

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आज वह महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने अपने कर्म से यह साबित कर दिया है कि स्त्री अगर चाहे तो कुछ भी कर सकती है।

Shubham Jha
Shubham Jha
शुभम झा (Shubham Jha)एक पत्रकार (Journalist) हैं। भारत में पत्रकारिता के क्षेत्र में बदलाव लाने की ख्वाहिश रखते हैं। वह चाहते हैं कि पत्रकारिता स्वच्छ और निष्पक्ष रूप से किया जाए। शुभम ने पटना विश्वविद्यालय (Patna University) से पढ़ाई की है। वह अपने लेखनी के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करते हैं।

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