स्वस्थ जीवन और सफलता के लिए एक व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता होती है।
नियमित शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए खेल सबसे अच्छा तरीका है। किसी भी व्यक्ति की सफलता मानसिक और शारीरिक ऊर्जा पर निर्भर करती है। आज हम आपको अनीता पौलदुरई के बारे में बताएंगे जो मात्र 11 साल की उम्र से ही बास्केटबॉल खेल रही हैं। आज सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है। आइये जानते है उनके बारे में।
अनिता पौलदुरई का परिचय
22 जून 1985 को चेन्नई के एक सामान्य परिवार में जन्मी अनीता पौलदुरई बचपन से प्रतिभावान थी। अनीता पौलदुरई ने 11 वर्ष की उम्र से ही बास्केटबॉल का खेल सीखना शुरू कर दिया था। उनके स्कूल के बास्केटबॉल कोच एन. संपत ने अनीता में छिपी प्रतिभा को पहचानने का काम किया और उन्हें इस काबिल बनाया कि वो आज देश को विश्वस्तर पर नई पहचान दिला रही हैं।

स्कूल से ही बास्केटबॉल की शुरुआत
अनीता पौलदुरई का बास्केटबॉल के प्रति झुकाव स्कूल में पढ़ने के दौरान ही शुरू हो गया था। पढ़ाई पूरी करने के लिए अनीता मद्रास विश्वविद्यालय पहुंची। उसी दौरान उनके स्कूल कोच संपत ने एक राइज़िंग स्टार क्लब बनाया। अनीता ने इस क्लब के लिए खेलना शुरू कर दिया। स्थानीय स्तर पर उनका यह पहला डेब्यू था। अन्नामलई यूनिवर्सिटी से उन्होंने एमबीए किया। 2003 में स्पोर्टस कोटा से उन्होंने दक्षिणी रेलवे ज्वाइन की।

राष्ट्रीय स्तर पर आगाज़
क्लब की ओर से खेलते हुए अनीता पौलदुरई ने कई ईनाम जीते। इसी बीच नेशनल टीम स्काउट की नज़र उन पर पड़ी। अनीता की तेजी-फुर्ती और मेहनत उन्हें पसंद आ गई। वह नेशनल टीम में चुन ली गईं। 10 साल की उम्र से ही भारत के लिए खेलने का सपना देखने वाली अनीता के लिए यह अवसर सपने के सच होने जैसा था। अनीता लगातार आठ सालों तक बास्केटबॉल टीम की कप्तान बनी रहीं। इस बीच उन्होंने कई पदक अपने नाम और टीम के नाम किए।

बच्चे के जन्म के बाद किया वापसी
बास्केटबॉल खेलने के दौरान ही अनीता पौलदुरई की शादी हो गई। साल 2015 में एशिया कप खेलने के बाद उन्होंने मातृत्व अवकाश लिया। जिसके बाद उन्होंने एक बच्चे को भी जन्म दिया। एक बच्चे की मां बनने के बाद दोबारा से खेल में वापसी करने का सफर तय करना काफी मुश्किलों भरा था। लेकिन अनीता ने हार नहीं मानी। साल 2017 में उन्होंने कमबैक किया। ऐसा करने वाली वह पहली खिलाड़ी बनी।

कई पदक अनिता के नाम
वह साल 2000 से 2017 तक भारत के लिए खेलीं। इन 18 सालों में उन्होंने कई रिकॉर्ड अपने नाम किए। अनीता 9 एशियन बास्केटबॉल कन्फेडरेशन यानी ABC खेलने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं। इतना ही नहीं, नेशनल चैंपियनशिप के 30 पदक भी इनके नाम हैं। एक खिलाड़ी के तौर पर खेलने के बाद उन्हें भारत की अंडर-16 टीम का सहायक कोच बनाया गया। आज वह रेलवे में चीफ वेलफेयर इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं।

कई सम्मान से सम्मानित
अनिता को साल 2009 में वियतनाम में एशियाई इंडोर गेम्स आयोजित किए गए। इसमें उन्होंने रजत पदक जीता। यही नहीं श्रीलंका के दक्षिण एशियाई गेम्स में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था। साल 2012 में सबको पछाड़ते हुए उन्होंने चीन के हयांग प्रांत में स्वर्ण छटा बिखेर दी थी। अनीता को साल 2018 में तमिलनाडु सरकार ने लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया। यही नहीं भारत सरकार ने खेल में उनके शानदार प्रदर्शन को देखते हुए देश के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री से भी नवाज़ा है।
बॉस्केटबॉल के खेल में भारत का नाम रोशन करने वाली अनीता पौलदुरई से आज लोगों को सीखने की आवश्यकता है।