गाँव खाद्य और कृषि उपज के मुख्य स्रोत हैं। गाँव के लोग अपने काम के प्रति अधिक समर्पित होते हैं। गांव में किसी भी तरह का कोई संघर्ष नहीं है। ग्रामीण एक दूसरे के दुख और सुख में शामिल होते हैं। गांव के लोग सहायक प्रकृति के होते हैं।

गाँव एक ऐसी जगह है जो शहर के प्रदूषण और शोर से बहुत दूर होता है । आज गांव भी विकसित हो रहे है। आदर्श गांव के रूप में उनकी पहचान हो रही है। आज हम आपको एक ऐसे ही गांव के बारे में बताएंगे जो विश्व के लिए एक मॉडल गांव बन कर उभरा है। भारत में यह गांव ‘फर्स्ट मॉडल विलेज’ यानि पहले आदर्श गांव का दर्जा प्राप्त कर चुका है। आइये जानते है इस गांव के बारे में।

आदर्श गांव पुंसारी
लगभग 6,000 लोगों की आबादी वाला गुजरात के साबरकांठा जिले का पुंसारी गाँव देश के करीब 6 लाख गाँवों का रोल मॉडल है। 2010 में पुंसारी गाँव को राज्य आदर्श ग्राम के पुरस्कार से सम्मानित किया था। साथ ही इसे पूरे देश के तीन आदर्श गाँवों की सूची में भी स्थान मिला है।

गांव के विकास में सरपंच का योगदान।
इस गाँव को आदर्श गाँव बनाने का श्रेय यहां के सरपंच हिमांशू पटेल को जाता है। एक वक्त था जब यहां लोगों के लिए बुनियादी सुविधाएं भी नहीं थीं लेकिन 2006 में हिमांशू भाई पटेल यहां के सरपंच चुने गए। उन्होंने इस गाँव को इतना बदल दिया कि अब यहां हर वो सुविधा है जो किसी अच्छे शहर में होती है। ये देश की सबसे चर्चित ग्राम पंचायत है।

सुविधाओं से परिपूर्ण है यह गांव।
पुंसारी गाँव हर चीज से परिपूर्ण है। यहाँ पक्की सड़कें हैं। 20 से 22 घंटे लाइट आती है। 2010 से पूरे गाँव में वाई फाई है। अटल एक्सप्रेस नाम की बस सेवा है जिससे यातायात व्यवस्था बहुत अच्छी हो गई है। साफ सफाई का यहां विशेष ध्यान रखा जाता है। सफाई कर्मचारी घर-घर जाकर कूड़ा इकट्ठा करते हैं। यहाँ 120 लाउडस्पीकर लगे हैं। जब भी गाँव के सरपंच को कोई घोषणा करनी होती है तब वह इनका इस्तेमाल करते हैं। यहां की हर सड़क पर स्ट्रीट लाइट लगी है। गाँव के लोगों को स्वच्छ पानी मिल सके इसके लिए एक आरओ प्लांट लगाया गया है, जहां चार रुपये में 20 लीटर मिनरल वॉटर मिलता है और ठंडा पानी 6 रुपये में 20 लीटर मिलता है। पानी को घर-घर पहुंचाने का काम भी ग्राम पंचायत ही करती है।

शिक्षा को भी ध्यान में रखा गया है।
शिक्षा को ध्यान में रखते हुए यहाँ चलित लाइब्रेरी का भी निर्माण कराया गया है। गाँव के जिन लोगों को पढ़ने का शौक है उनके लिए एक चलित लाइब्रेरी बनाई गई है। इसके लिए एक ऑटो का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें सैकड़ों किताबें होती हैं। यह ऑटो अलग-अलग जगहों पर इसके लिए निश्चित समय पर पहुंच जाता है जिससे लोग दूर जाए बिना ही अपनी पसंद की किताबें पढ़ सकते हैं।

आज भारत को एक नहीं बल्कि कई ऐसे आदर्श गांवों की आवश्यकता है। आइये हम भी मिलकर अपने अपने गांव को आदर्श गांव बनाएं।