भारतीय संस्कृति व सभ्यता विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति व सभ्यता है। इसे विश्व की सभी संस्कृतियों की जननी माना जाता है। जीने की कला हो, विज्ञान हो या राजनीति का क्षेत्र भारतीय संस्कृति का सदैव विशेष स्थान रहा है। अन्य देशों की संस्कृतियाँ तो समय की धारा के साथ-साथ नष्ट होती रही हैं किंतु भारत की संस्कृति व सभ्यता आदिकाल से ही अपने परंपरागत अस्तित्व के साथ अजर-अमर बनी हुई है। आज भारत देश अपनी पहचान हर जगह कायम किए हुए है ।भारत देश के नागरिक विश्व के कोने-कोने में रहते है । आज भारत देश के नाम को बदलने की भी चर्चा हो रही है । पर आपने कभी सोचा है कि भारत देश का नाम भारत क्यों पड़ा। आइये जानते है इसके पीछे का इतिहास।
भारत देश को संस्कृति का देश।
भारत देश को संस्कृति का देश माना जाता है। अगर प्राचीन काल में देखा जाए तो भारत एक ऐसा देश है जहां सभ्यता और संस्कृति का भंडार है । यह एकमात्र ऐसा देश है जहां 1650 भाषाएं बोली जाती है ।भारत देश में भले ही लोग धर्म और जाति के नाम पर बटे हुए हैं। लेकिन लोगों के बीच का प्यार हमेशा उन्हें जोड़े रखता है। भारत शब्द संस्कृत का शब्द है. जिससे मालूम होता है कि यहां की संस्कृति अनोखी है।

भारत नाम इतिहास से जुड़ा हुआ।
महाभारत के अनुसार भारतवर्ष का नाम राजा भरत चक्रवर्ती के नाम पर दिया गया था ।आपको बता दें राजा भरत,भरत राजवंश के संस्थापक और कौरवों और पांडवों के पूर्वज थे ।वह हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत और रानी शकुंतला के बेटे थे। इसके साथ ही क्षत्रिय वर्ण के वंशज थे । राजा भरत ने पूरे भारत के साम्राज्य को जीत कर एक संगठित राज्य की स्थापना की जिसे ‘भारतवर्ष’ नाम दिया गया । इसका वर्णन विष्णु पुराण के एक खंड मे किया गया है ।
इंडिया को भारतवर्ष पुरातन काल से कहा जाता रहा है।
इंडिया को भारतवर्ष उस समय से कहा जाता है जब भरत के पिता ने अपना पूरा राजपाट अपने पुत्र को सौंप कर सन्यासी बनने जंगल में चले गए थे। हालांकि कुछ लोग यह भी मानते है कि ‘भारत’ शब्द प्राचीनग्रन्थ पुराण से लिया गया है ।

जैन धर्म की सोच अलग।
जैन धर्म के अनुसार भारत को भारत इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि सम्राट भरत चक्रवर्ती जो जैन धर्म के पहले तीर्थंकर के सबसे बड़े पुत्र थे ।इसके अनुसार भारत नाम जैन धर्म से लिया गया है । जहां भारत की सभ्यता का विकास हुआ है।

भारत को इंडिया क्यों कहते है?
भारत को इंडिया इसलिए कहते हैं क्योंकि स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माताओं ने इस शब्द को अंग्रेज़ों की विरासत के रूप में देश का दूसरा नाम स्वीकार किया ।अंग्रेज़ों के भारत पर शासन काल में इंडिया नाम प्रचलित और रूढ़ हो चुका था। ईरानी या पुरानी फ़ारसी में सिंधु शब्द का परिवर्तन हिंदू के रूप में हुआ और उससे बना हिंदुस्तान, जबकि यूनानी में ए बना इंडो या इंडोस ।बस ए शब्द किसी तरह लेटिन भाषा में जा पहुँचा और इसी से बना इंडिया।

अंततः भारत नाम ही श्रेष्ठ।
अंततः यह कहना सही होगा की भारत एक आध्यात्मिक शब्द है। भारत का शाब्दिक अर्थ ‘अध्यात्म में लीन रहने वाले लोगो का देश’ है। कहा जाता है कि भारत के नाम से भरत पड़ा पर ये सत्य प्रतीत नही होता। क्योंकि भरत के जन्म से पहले ही भरत शब्द का वर्णन मिलता है। भरत शब्द का अर्थ है ‘अध्यात्म में लीन’। अतः ये कहना अधिक उपयुक्त होगा कि भारतवर्ष के नाम भरत से ही पड़ा है पर व्यक्ति विशेष के नाम से नही।