आज के नए युग में भारत की ज्यादातर जनसंख्या अपना पैसा बैंक में रखती है। लोग उन पैसों में अपना फ्यूचर देखते हैं। ऐसे में खाताधारकों को जान लेना यह जरूरी है कि अगर बैंक डूब जाते हैं तो उनका पैसा कैसे और कितना प्राप्त होगा।
पिछले दिनों की बात करें तो कई बैंकों की स्थिति डूबती हुई नजर आ रही है। ऐसे में खाताधारकों को पिछले नियम से ₹1,00,000 वापस मिलने की बात थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2021 में DICGC में संशोधन कर, इस नियम को बदलते हुए अधिकतम ₹500000 वापस मिलने की बात कही। आपको बता दें कि डिपॉजिट insurance एक तरह की स्कीम है जिसमें अगर बैंक डूब जाते हैं तो ग्राहक को ₹5,00,000 तक वापस मिलेंगे। वहीं आपको बता दें कि करीब 28 साल बाद इस नियम में बदलाव हुआ है।
इस नियम के बदलने के बाद ग्राहक को इस बात का इंतजार नहीं करना होगा कि बैंक लिक्विडेशन प्रक्रिया में जाए तभी वह क्लेम कर सकते हैं। अगर कोई बैंक मोरटोरियम में भी होता है तो DICGC Act के तहत ग्राहक अपनी जमा राशि को क्लेम कर सकते हैं।
जमा राशि का कितना मिलेगा वापिस।
DICGC एक्ट, 1961 की धारा 16 (1) के तहत, अगर बैंक डूब जाता है या दिवालिया हो जाता है, तो DICGC ग्राहक को भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होता है। तथा ग्राहक की जमा राशि पर 5 लाख रुपये तक का बीमा होगा।
अगर आपका एक ही बैंक की कई शाखा में खाता है, तो सभी खातों में जमा राशि और ब्याज जोड़ा जाएगा और केवल 5 लाख तक जमा को ही सुरक्षित माना जाएगा। इसमें मूलधन और ब्याज दोनों को शामिल किया जाएगा। मतलब की, अगर दोनों जोड़कर 5 लाख से ज्यादा भी है तो सिर्फ 5 लाख ही सुरक्षित माना जाएगा।
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