किसी भी व्यापार में सफलता की कुंजी नवाचार ( इनोवेशन ) को माना जाता है। व्यापार में नयी विधि, नयी तकनीक, नयी कार्य-पद्धति, नयी सेवा या नया उत्पाद शामिल करने से व्यापार में लाभ होता है और नये परिवेश में व्यापार स्थिर रहता है । नवाचार को अर्थतंत्र का सारथी भी माना जाता है। कम लागत में बड़ा व्यापार करने की कला इससे आती है। आज हम आपको दो दोस्तों के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपने तकनीक का उपयोग करके आज बड़े मंच पर सम्मान पा रहे है।
दोनों दोस्त का परिचय ।
मिज़ोरम के अइज़ोल में छोटे-से गाँव में पले-बढ़े एल. राल्ते को बचपन से ही कला से बहुत प्रेम था। उनका मन पढ़ाई से ज्यादा कुछ न कुछ बनाने-करने में लगता था। ग्रैजुएशन के बाद वह साइनबोर्ड, मोटर नंबर प्लेट्स और कार्विंग जैसे काम करने लगे। वहीं दूसरी तरफ, एल. साइलो मिजोरम के ही चम्पई कस्बे में बड़े हुए। उनकी पढ़ाई ज्यादा नहीं हुई लेकिन मशीन बनाने के हुनर मानों उन्हें जन्म से ही मिला हुआ था।

बांस की जानकरी प्राप्त की।
एक एनजीओ के माध्यम से उन्होंने बच्चों को वोकेशनल ट्रेनिंग देना शुरू किया। यहीं पर उन्हें पता चला कि उनके राज्य में बांस का उत्पादन और इसका व्यवसाय काफी ज्यादा है लेकिन बांस को काटने, इसकी स्टिक आदि बनाने के लिए बड़ी संख्या में श्रमिक की आवश्यकता होती है और यह काफी महंगा और मेहनत का काम होता है। उन्होंने यह भी सोचा कि बांस से अगरबत्ती, आइसक्रीम स्टिक, टूथपिक आदि बनाए जाते हैं। इसके अलावा भी यह काफी सारी चीजों में काम आता है।

बचत के लिए मशीन बनाने की सोची।
राल्ते ने सोचा कि क्यों न कुछ ऐसा किया जाए जिससे कि बांस की ये पतली लकडियाँ हाथ से बनाने की ज़रूरत न पड़े बल्कि मशीन से यह काम हो जाए। इससे मेहनत कम होगी । शुरूआत में उन्होंने दो अलग-अलग मशीन बनाई। एक मशीन से बांस को काटा जाता था तो दूसरी मशीन से इसकी सींक बनाई जाती थी।

पूर्णतः मशीन का रूप दिया।
उन्होंने इस पर थोड़ा और काम किया और इसे एक ही मशीन का रूप दे दिया। इस मशीन से बांस को आसानी से काटा जा सकता है और उसकी पतली-पतली सींक बन जाती है। इस मशीन से एक बार में ही 50 बांस की 1.2 मिमी चौड़ी और मोटी स्टिक मिल जाएंगी। राल्ते का कहना है कि इस मशीन से एक व्यक्ति एक घंटे में लगभग 5000 स्टिक बना सकता है।

अगरबत्ती के लिए उपयोगी मशीन।
NIF की मदद से राल्ते और साइलो ने इस मशीन को एडवांस्ड लेवल का बनाया और उन्हें इसकी मार्केटिंग करने में भी मदद मिली। जो कंपनी अगरबत्ती बनाती हैं, वहाँ इस तरह की मशीन की काफी मांग है क्योंकि उन्हें बिजली से काम करने वाली मशीन या फिर लेबर, दोनों ही काफी महंगे पड़ते हैं। लेकिन राल्ते और साइलो की मशीन से यह काम कम समय और कम लागत में हो जाता है। इसकी कीमत 5 हज़ार रुपये है। राल्ते और साइलो अब तक 3500 से ज्यादा मशीनें बेच चुके हैं।
इसलिए हमें कभी भी हार नहीं मानना चाहिए बस खुद पर भरोसा करके आगे बढ़ते रहना चाहिए।