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Friday, September 29, 2023

एक आम लड़का कैसे बन गया पटना का खान सर! जानिए खान सर ने कैसे पाई सफलता!

पटना के ख़ान सर को आज कौन नहीं जानता। वह किसी को भी अपनी पहचान बताने के मोहताज नहीं है। उनके पढ़ाने का तरीक़ा हर किसी को बहुत पसंद है। भले ही आज ख़ान सर लोगों के बीच बहुत ही लोकप्रिय हैं लेकिन उनके जीवन में एक समय ऐसा भी था जब उन्हें भी अपने जीवन में तरह-तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। आइए जानते हैं की खान सर को किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।

पढ़ाने का तरीका लोकप्रिय

पटना वाले ख़ान सर आज बहुत प्रसिद्ध है। उनके पढ़ाने का तरीका हर किसी को बहुत ही पसंद आता है और बड़े ही आसानी से हर कोई उनके द्वारा पढ़ाई गई बातों को समझ भी जाते हैं। वह अपने टीचिंग स्टाइल (Teaching Style) के लिए लोगों के बीच पॉपुलर हैं। भले ही आज पटना वाले ख़ान सर जीवन में सफलता हासिल कर लिए हैं लेकिन उनके जीवन में भी एक समय ऐसा था जब उन्हें बहुत से दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।

बचपन मे गुल्लू डंडा खेलते थे ख़ान सर

ख़ान सर ने खुद अपना एक यूट्यूब चैनल (YouTube Channel) बनाया और आज दुनिया भर में जाने जा रहे हैं। खान सर का बचपन बहुत ही गरीबी में गुजरा है। खान सर अपने बारे में बताते हैं कि वह एक जॉइंट फैमिली में रहते थे। बचपन में वह बहुत ही शरारती थे एवं उनके शैतानियों के वजह से उनकी मां हमेशा परेशान रहती थी। शुरुआत के दौर में उन्हें पढ़ाई में मन नहीं लगता था और वह हर समय गुल्ली-डंडा खेल कर अपना समय बिताते थे।

पेंसिल जैसे चीजों का तलाश

आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण बचपन से ही उन्हें हर चीज लिमिट में मिलती थी। पेंसिल तक उन्हें आधी काट कर दी जाती थी। वह कहते हैं कि उनके घर के सामने एक कॉलेज था और जब वह छोटे थे तब उस कॉलेज में छुट्टी होने के बाद जाते थे और पेंसिल कॉपी आदि की तलाश करते थे। अगर कुछ मिल जाता था तो उनके खुशी आसमान छू लेने जैसी होती थी एवं सादे पन्ने मिलने पर वह उन पन्नों को मां से सिलवा कर कॉपी बना कर लिखते थे।

परिवार ने किया मुश्किलों का सामना

खान सर कहते हैं कि उनके पिताजी कभी भी स्टेबल (Stable) नहीं रहे हैं। उनके पिताजी हर अलग-अलग तरह के काम करते रहे हैं जिसके वजह से उनके परिवार को काफी परेशानीयों का सामना करना पड़ा है। जब वह 8वीं कक्षा में थे तब से उनमें सेना में शामिल होने का जुनून चढ़ गया। उन्होंने 9वीं में सैनिक स्कूल (Sainik School) का परीक्षा दिया लेकिन सफल नहीं हो पाए उन्होंने पॉलिटेक्निक (Polytechnic) का परीक्षा भी दिया लेकिन रैंक अच्छी न मिल पाने के कारण उन्होंने एडमिशन नहीं लिया।

एक ही पल में टूटा सपना

खान सर में सेना में शामिल होने का जुनून कुछ इस कदर था कि वह कैसे भी सेना में ही जाना चाहते थे। उन्होंने एनडीए (NDA) का एग्जाम भी दिया लेकिन मेडिकल (Medical) में अनफिट हो गए। मेडिकल में उनका हाथ जरा सा टेढ़ा निकल गया। एनडीए के मेडिकल में छट जाने के कारण उनका सारा सपना चूर-चूर हो गया। वह बचपन से ही सेना में शामिल होने का जो सपना देखा करते थे वह एक पल भर में ही टूट गया।

फौजी बनने से आगे कभी कुछ सोचा

खान सर कहते हैं कि उनके जीवन में सिर्फ एक ही सपना था, फौजी बनना। वह अपने इस सपने के आगे कुछ और बनने का कभी सोचे ही नहीं थे। ख़ान सर अपने इस मामले पर अपने विद्यार्थियों को कहते हैं कि जीवन में मैंने सबसे बड़ी गलती यही की है। जीवन में एक सपना पूरा न होने पर दूसरा गोल हमेशा तैयार रहना चाहिए। खान सर के जीवन में उस समय एक तरफ फौज में न शामिल होने का दुख था, वहीं दूसरी तरफ उनकी आर्थिक स्थिति का बोझ उनके सिर पर ही था।

बच्चों को होम ट्यूशन पढ़ाया

किसी तरह उन्होंने अपनी बीएससी की पढ़ाई पूरी की। उनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब थी। तब उनके तीन दोस्त हेमंत (Hemant), सोनू (Sonu) और पवन (Pawan) ने उनका बहुत ही सहयोग किया। अपने इन तीनों दोस्त का खान सर आज भी एहसान मानते हैं। उनके यह तीनों दोस्त अपनी पॉकेट मनी बचाकर खान सर की मदद किया करते थे। जब खान सर को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आगे उन्हें क्या करना चाहिए तब उनके एक दोस्त हेमंत ने उन्हें बच्चों को ट्यूशन (Tuition) पढ़ाने का आईडिया दिया जिसके बाद खान सर ने बच्चों को होम ट्यूशन देना शुरू कर दिया।

परेशान हो कर गंगा किनारे बैठे

जब कोचिंग में बच्चों की संख्या अधिक हो गई तब उन्होंने कुछ पार्टनर्स की मदद से एक कोचिंग सेंटर खोला। खान सर इस मामले में कहते हैं कि 6 महीने में ही उन्हें आभास हो गया था कि लोग मेरा कोचिंग सेंटर हड़प लेना चाहते हैं। उन लोगों ने खान सर का हाल कुछ ऐसा कर दिया था कि उनके जेब में मात्र 40 रूपये ही बचे थे और घर जाने का किराया भी 90 रूपये था। उस समय खान सर की स्थिति कुछ ऐसी हो गई थी कि उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आगे वह क्या करें। इससे वह परेशान होकर गंगा किनारे जाकर बैठ गए।

खान सर के कोचिंग में हुआ बम ब्लास्ट

जब वह घर लौटे तो रात के 2:30 बज चुका था एवं उन्होंने इतनी रात को अपने करियर का नया शुरुआत करने का ठाना। फिर उन्होंने एक कोचिंग सेंटर खोला और अपने पुराने स्टूडेंट से मदद ली। उन्होंने सेटअप तैयार किया। यहां तक भी उनकी परेशानी खत्म नहीं हुई थी। कुछ ही दिनों के बाद उनके कोचिंग में बम ब्लास्ट हो गया। इससे सब कुछ तहस-नहस हो गया। खान सर पटना छोड़ने का विचार करने लगे मगर बम चलने के बाद भी उन्हें स्टूडेंट का काफी सहयोग मिला। उनका पढ़ाने का तरीका छात्रों को इतना पसंद था कि इतनी बड़ी बात होने के बाद भी छात्र उनकी कोचिंग में जाना नहीं छोरे।

बुरे वक्त में छात्रों का सहयोग

खान सर के छात्र उनके बुरे वक्त में उनका पूरा सहयोग किए। देखते ही देखते उन्होंने अपनी एक लाइब्रेरी (Library) खोली जिसके बाद क’रोना का दौर शुरू हो गया। क’रोना के आते ही उनकी कोचिंग सेंटर फिर बंद हो गई जिसके बाद उन्होंने यूट्यूब चैनल खोलने का फैसला किया। उनका एक वीडियो वायरल (Viral) हुआ था जिसमें वह पढ़ा रहे थे और उनके इस वायरल वीडियो पर करोड़ों व्यूज (Views) एवं लाइक (Like) मिला था।

लोगो ने किया तरह-तरह का कमेंट

हजारों की संख्या में यूज़र ने इस वीडियो पर कमेंट (Comment) किया था। एक यूजर ने ख़ान सर की बड़ाई करते हुए कमेंट किया कि “ख़ान सर की क्रांति को कोई चैलेंज नहीं रोक पाया”। दूसरे यूजर ने लिखा कि “खान सर पर बायोपिक बननी चाहिए”. वहीं एक अन्य यूजर का कहना है कि “संघर्ष का नाम ही जीवन है अगर सफलता पाना है तो संघर्ष से होकर ही गुजरना पड़ेगा”।आज के समय में खान सर के यूट्यूब चैनल पर 16 मिलियन (Million) से भी अधिक सब्सक्राइबर (Subscriber) हैं।

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Shubham Jha
Shubham Jha
शुभम झा (Shubham Jha)एक पत्रकार (Journalist) हैं। भारत में पत्रकारिता के क्षेत्र में बदलाव लाने की ख्वाहिश रखते हैं। वह चाहते हैं कि पत्रकारिता स्वच्छ और निष्पक्ष रूप से किया जाए। शुभम ने पटना विश्वविद्यालय (Patna University) से पढ़ाई की है। वह अपने लेखनी के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करते हैं।

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