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Wednesday, May 31, 2023

जानिए क्या है इस अनोखे भीमकुण्ड का रहस्य, जिसे आजतक वैज्ञानिक भी सुलझा नही पाये

यह संपूर्ण जगत अजीबोगरीब रहस्यों से भरा है। रहस्य का अर्थ है, जो हमें आश्चर्य में डाल दे। इसीलिए इस पूरे ब्रह्मांड को हमारे संत महात्मा रहस्यमय ब्रह्मांड कहते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि जिस प्रकार यह विश्व-ब्रह्मांड चल रहा है, वह स्वयं में एक रहस्य है, एक महान आश्चर्य है।

अनादि काल से यह संपूर्ण जगत गतिमान है। इसे न कोई चलाने वाला दिखता है और न कोई ऐसी व्यवस्था दिखती है, जिस व्यवस्था से अंतरिक्ष के सारे ग्रह, नक्षत्र, तारे एक ही गति से चल रहे हैं। इस रहस्य को विज्ञान समझने का प्रयास अवश्य कर रहा है, लेकिन अभी तक कोई भी परिणाम हाथ नहीं आ सका है। बात करे भारत की तो कई रहस्य भारत में भी है। उन्ही में से एक रहस्य है भीम कुण्ड का रहस्य। एक ऐसा कुण्ड जिसकी गहराई को आज तक कोई भी नही माप पाया, बड़े- बड़े वैज्ञानिक भी इस रहस्य के आगे फेल हो गए। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर ऐसा क्या है इस कुंड में।

अनसुलझे रहस्य के लिए प्रसिद्ध भीम कुंड

भीम कुंड मध्यप्रदेश में छत्तरपुर जिले के बड़ा मलहरा तहसील से करीबन 10 कि.मी की दुरी पर स्थित है। भीम कुंड प्राचीन और प्रसिद्ध स्थल है जहा पर प्राचीन काल से ऋषियों, संत, तपस्वियों, साधको और मुनियो तपस्चर्या करते थे। वर्तमान समय में यह भीम कुंड स्थान धार्मिक पर्यटन स्थल और वैज्ञानिक शोध केंद्र भी बना हुआ है। यह भीम कुंड में भू-वैज्ञानिको के लिए रहस्य का विषय बना है।

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भीम कुंड का निर्माण

भीमकुण्ड की बहुत ही प्राचीन कथा है भीम कुंड की मान्यता है की महाभारत के दौरान पांडव अज्ञातवास गुजारने के लिए घने वन से गुजर रहे थे। उस समय द्रौपदी को प्यास लगी थी। द्रौपदी की प्यास बुझाने के लिए वहाँ पर कोई पानी का स्रोत नहीं था। तब द्रोपदी को व्याकुल देखकर भीम क्रोधित होकर अपनी गदा से पहाड़ पर पूरी ताकत से प्रहार किया। भीम के इस प्रहार से उस जगह पर बड़ा पानी का कुंड का निर्माण हो गया। कुंड से पांडवो और द्रौपदी ने प्यास बुझाई और कुंड का नाम भीम के नाम से रखा गया।

भीमकुंड की संरचना

भीमकुंड में प्रवेश द्वार तक जाने वाले सीढ़ियों के ऊपर के भाग में चतुर्भुज विष्णु और लक्ष्मी जी का बहुत विशाल मंदिर बनवाया गया है। इसके अलावा इस मंदिर के नजदीक एक और प्राचीन मंदिर मौजूद है। उसके सामने की दिशा में छोटे- छोटे 3 मंदिर बनवाए गए है। जिसमे लक्ष्मी और राधाकृष्ण की मंदिर स्थित है। भीम कुंड ऐसा तीर्थ स्थान है जो व्यक्ति को लोक और परलोक की अनुभूति कराता है। कहते हैं कि 40-80 मीटर चौड़ा यह कुंड देखने में बिल्कुल एक गदा के जैसा है। इस कुंड में प्रवेश करने के लिए सीढ़ियों का निर्माण भी करवाया गया है।

कुंड की गहराई का कोई पता नही

भीम कुंड की गहराई कितनी है इसका अनुमान अभी तक नहीं लगाया जा सका है। कई भू-जल के वैज्ञानिको ने इसकी गहराई मापने का प्रयास किया लेकिन गहराई कितनी है इसका कोई अनुमान नहीं कर सका। भीम कुंड में आने वाले जल के प्रवाह का भी पता नही चलता है। यह बस एक रहस्य बनकर रह गया है।भीम कुंड 40 से 80 मीटर चौड़ा है।जल कुंड की अंदर से निकलने वाली जलधारा अंदर ही अंदर संगम में जाकर अदृश्य हो जाती है। किसी व्यक्ति ने इसकी रहस्य जलधारा जानने ने के लिए कुंड में एक वस्तु फेंकी थी जो संगम में जाकर मिली थी।

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आपदा से पहले बढ़ जाता है कुंड का जलस्तर

2005 में जर्मनी से डिस्कवरी टीम आई थी। जो कई दिनों तक भीम कुंड में शूट करती रही और इस कुंड की गहराई मापने का प्रयास करती रही। लेकिन आखिरकार वह भी असफल हो गई। उन्होंने बताया कि फिलहाल भीमकुंड की गहराई मापना संभव नहीं है। कुंड की गहराई में बड़ी-बड़ी मछलियां है। जब नेपाल और जापान में भूकंप आया था तब भी इस कुंड का जलस्तर अचानक बढ़ने लगा था। जब भी कोई जलीय आपदा या प्राकृतिक आपदा आती है, तो इस कुंड का जल अपने आप बढ़ने लगता है। जो कहीं न कहीं इस बात का इशारा करती है कि कोई प्राकृतिक आपदा आ रही है, या आ चुकी है। भीमकुंड अपने आप में कई रहस्यों को संजोए हुए हैं जिन्हें आज तक कोई भी नहीं जान सका है।

Sunidhi Kashyap
Sunidhi Kashyap
सुनिधि वर्तमान में St Xavier's College से बीसीए कर रहीं हैं। पढ़ाई के साथ-साथ सुनिधि अपने खूबसूरत कलम से दुनिया में बदलाव लाने की हसरत भी रखती हैं।

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