हमारे भारत देश को आजाद कराने के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अनेकों जुल्म सहें, अनेकों तरह की सजाएं पाई। तब कहीं जाकर हमारा देश आजाद हो सका।
आज हम आपको भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को दिये जाने वाले काला पानी सजा के बारे में बताएंगे। जिससे सभी कैदी खौफ खाते थे। आइये जानते है इस सजा के बारे में कि कैसे अंग्रेजों द्वारा इस सजा की शुरुआत की गई।
अत्यंत कठोर थी कालेपानी की सजा
काला पानी एक ऐसी सजा होती थी, जिसका ख्याल आने भर से उस वक्त के लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते थे। काला पानी यानी स्वतंत्रता सेनानियों उन अनकही यातनाओं और तकलीफ़ों का सामना करने के लिए जीवित नरक में भेजना जो मौत की सजा से भी बदतर था। यह अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद रखने के लिए बनाई गई थी। जो कि मुख्य भारत भूमि से हजारों किलोमीटर दूर स्थित थी।

जेल का मार्ग था दुर्गम
अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद में रखने के लिए बनाया गया यह जेल मुख्य भारत भूमि से हजारों किलोमीटर दूर स्थित था। यह सागर से भी हजार किलोमीटर दुर्गम मार्ग पड़ता था। यह जेल अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर में स्थित था। इस जेल का नाम सेलुलर जेल रखा गया था। इसे सेलुलर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका निर्माण एकान्त कारावास के उद्देश्य से केवल व्यक्तिगत सेलों का निर्माण करने के लिए किया गया था।

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जेल में मिलता था कठोर दंड
इस जेल में जिसे भी रखा जाता था उसे बहुत प्रताड़ना दी जाती थी। जेल में रहने वाले कैदी का जीवित रहना असंभव था। इस जेल में एक कैदी को दूसरे कैदी के साथ संवाद करने का कोई भी माध्यम उपलब्ध नहीं था। जेल में अलग-अलग कमरे बनाए गए थे। जहाँ कैदियों को अलग-अलग रखा जाता था। दिमागी तौर पर कैदी इतना अलग-थलग हो जाता था कि उसकी मृत्यु प्रताड़ना से पहले ही हो जाती थी।

स्वतंत्रता सेनानियों के लिए काला पानी की सजा
अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को इस जेल में काफी यातनाएं दी गई। अंग्रेज स्वतंत्रता सेनानियों को यही लेकर आते थे और उन्हें काला पानी की सजा देते थे। इस सजा में कैदी को अलग कमरे में रखा जाता था। कैदी को गंदे बर्तनों में खाना दिया जाता था। जब कैदियों को सजा देने से थक जाती थी अंग्रेजी हुकूमत तो उसे तोप से उड़ा दिया जाता था। यहाँ विदेशों से भी कैदियों को लाया जाता था।
जेल से भागना था नामुमकिन
ब्रिटिश सरकार ने काला पानी के लिए बनाई गई जेल की चार दीवारी बहुत छोटी बनवाई थी, क्योंकि इस जेल का निर्माण जिस जगह हुआ था वह स्थान चारों ओर से समुद्र के गहरे पानी में घिरा हुआ था। ऐसे मेंं किसी भी कैदी का भाग पाना नामुमकिन था। एक बार 238 भारतीय कैदी एक साथ अग्रजों को चकमा देकर वहां से भाग निकलने की कोशिश कर डाली। हालांकि अपनी इस कोशिश मेंं वह कामयाब नहीं हुए और पकड़े गए। इस घटना के बाद जेल अधीक्षक ने 87 लोगों को फांसी पर लटकाने का आदेश दे दिया था।