किसी भी देश की कला और संस्कृति उसकी पहचान होती है। इस बात को प्रमाणित करने का काम किया है हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर के रहने वाले करतार सिंह सौंखला ने।
करतार सिंह ने बांस की अद्भुत कलाकृतियां बनाकर विलुप्त होती कला को संजोने का काम किया है। आइए जानते हैं उनके जीवन का प्रेरणादायी सफर के बारे में।
ऐसे शुरू किया था अपना कैरियर
1 अप्रैल 1959 में हिमाचल प्रदेश के उपमंडल नादौन के टप्पा नारा में जन्में करतार सिंह सौंखला को बचपन से ही नई-नई चीज़ों के साथ प्रयोग करने का शौक था। उनके पिता व दादा कारपेंटर का काम करते थे। अपनी 10वीं की पढ़ाई राजकीय पाठशाला गलोड़ से पूरी करने के बाद उन्होंने फार्मासिस्ट की पढ़ाई की। स्वास्थ्य विभाग से फार्मासिस्ट की पढ़ाई पूरी करने के बाद करतार सिंह की नियुक्ति एनआईटी हमीरपुर में अक्टूबर 1986 में हुई। लंबे समय तक यहाँ से सेवाएं देने के बाद वह मार्च 2019 को एनआईटी हमीरपुर से सेवानिवृत्त हुए हैं। बचपन में जो हसरत उनकी पूरी न हो सकी थी उसे उन्होंने फिर से जीना चाहा।

शौक को बनाया अपना करियर
एनआईटी हमीरपुर में सेवाएं देने के बाद करतार सिंह मार्च 2019 को सेवानिवृत्त हो गए थे। जिसके उन्होंने अपने बचपन के शौक को फिर से जीवंत करने की ठानी। वर्ष 2020 में मन में उठे एक शौक के चलते शीशे की बोतल में बांस से एक डिजाइन तैयार कर दिया और उसके बाद वो सिलसिला अबतक जारी है। उन्होंने अब तक सैकड़ों बोतल में विभिन्न कलाकृतियां बनाकर तैयार की है। जिनको देखकर लोग काफी प्रशंसा करते है। करतार सिंह सौंखला बांस पर कलाकृतियां बनाकर विलुप्त हो रही कला को संजोए रखने के प्रयास कर रहे हैं। करतार चंद को बचपन से ऐसे मॉडल बनाने का शौक है।

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अद्भुत कलाकारी करते है करतार
बांस आर्ट की कलाकारी कर करतार सिंह ने शीशे की बोतल में ऐसी-ऐसी कलाकृतियां बनाई हैं कि उन्हें देखकर हर कोई दंग रह जाता है। चाहे अस्तित्व खो रही धरोहरें हो या फिर चीजें या फिर मंदिर या मशहूर टॉवर। इन सभी को करतार सिंह ने अपनी कला से बोतल के अंदर कैद कर दिया है। अभी हाल ही में लॉ’कडाउन के दौरान करतार सिंह ने पीएम मोदी, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के अलावा साईं राम, शिव परिवार की मूर्तियां बोतल में बना डाली हैं। जिन्हें देखकर हर कोई हैरान रह जाता है।

तैयार कर चुके हैं कई कलाकृतियां
करतार सिंह सौंखला कभी फ्रांस नहीं गए। लेकिन उन्होंने एफिल टावर को बंद बोतल में तैयार कर दिया। इसी तरह भगवान श्रीराम को भी शीशे की बोतल में उतार लिया। मनाली के हिड़िंबा माता मंदिर, आगरा का ताजमहल, श्री हनुमान जी, नग्गर स्थित त्रिपुरा माता सुंदरी मंदिर, शिमला की पहचान ऐतिहासिक चर्च, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम, महात्मा गांधी समेत कई महान हस्तियों की कलाकृतियां बांस की तीलियों से तैयार की हैं।

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कुछ इस तरह तैयार होती हैं कलाकृतियां
करतार सिंह बताते हैं कि सबसे पहले बांस को सुखाकर रखा जाता है। फिर उसकी बारीक-बारीक तीलियां तैयार की जाती हैं। जिस रंग में उन्हें ढालने की जरूरत हो तो उसे वही रंग दिया जाता है। लेकिन आमतौर पर बांस के मूल रूप से ही कलाकृतियां तैयार की जाती हैं। इन तिल्लियों को जोड़ने के लिए फेवीकोल का सहारा लिया जाता है।

सम्मानित किए गए करतार सिंह
करतार सिंह को उनकी अद्भुत कलाकारी के लिए भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च सम्मान में से एक पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है। यही नहीं करतार सिंह सौंखला को इससे पूर्व एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की ओर से ग्रैंडमास्टर का खिताब प्रदान किया जा चुका है। इसके अलावा इंडियन एक्सीलेंसी और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी उनका नाम दर्ज है। उनके नाम बांस के टुकड़ों से बोतल के भीतर मंदिर बनाने का रिकॉर्ड दर्ज है।
बांस का प्रयोग कर शीशे की बोतल के अंदर अद्भुत कलाकृतियां बनाने वाले करतार सिंह सौंखला आज सही मायने में लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं।