व्यक्ति को प्रत्येक रिश्ता अपने जन्म से ही प्राप्त होता है, अन्य शब्दों में कहें तो ईश्वर पहले से बना के देता है, पर दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है जिसका चुनाव व्यक्ति स्वयं करता है। सच्ची मित्रता रंग-रूप नहीं देखता, जात-पात नहीं देखता, ऊँच-नीच, अमीरी-गरीबी तथा इसी प्रकार के किसी भी भेद-भाव का खंडन करती है। आमतौर पर यह समझा जाता है, मित्रता हम-उम्र के मध्य होती है पर यह गलत है मित्रता किसी भी उर्म में और किसी के साथ भी हो सकती है।जीवन में लोगों के अनेक दोस्त बनते हैं, बचपन के दोस्त, स्कूल, कॉलेज के दोस्त, व्यवसायिक दोस्त, मतलब (टाईमपास) के दोस्त आदि। इन में से कुछ वक्त गुज़रने के साथ पीछे छूट जाते हैं, और कुछ जीवन भर आपके हर अच्छे-बुरे परिस्थिति में आपके साथ रहते हैं। अपनी परेशानी की बात अपने दोस्तों को बताने से निश्चय ही मन का भार कम होता है तथा मित्रता व्यक्ति को सकारात्मक उर्जा से भर देती है।कुछ ऐसी ही मित्रता की कहानी है राघवेन्द्र कुमार की जिन्हें लोग हेलमेट मैन के नाम से भी जानते है ।

कुछ ऐसी है इनकी दोस्ती की कहानी।
बिहार के कैमूर जिले में रहने वाले राघवेंद्र कुमार ने अपने जिगरी दोस्त को एक बाइक हादसे में खो दिया था। 2014 की यह घटना इतनी दर्दनाक थी की राघवेन्द्र टूट से गए अपने दोस्त की याद में यू कहें तो इस घटना का असर राघवेंद्र पर इतना ज़्यादा पड़ा कि उन्होंने नौकरी के साथ ही लोगों को हेलमेट दे कर उनकी जान बचाने का प्रण ले लिया।
दोस्त की याद में हेलमेट का कर रहे है वितरण।
राघवेन्द्र अभी अब तक 48000 हजार लोगों को हेलमेट बांट चुके है। उन्होंने यह प्रण लिया है की लोगों को सड़क दुर्घटना से जुड़े तमाम चीजों को समझाएंगे ताकि रोड दुर्घटना कम हो सके । वो लोगों को अकसर समझाते है की उनकी ज़िंदगी कितनी अनमोल है लोग कैसे अपनों को खो देते है।

किताब लेकर हेलमेट देने की योजना बनाई।
राघवेन्द्र लोगों से किताबों के बदले मुफ्त में हेलमेट प्रदान करते है और उस किताबों को गरीब बच्चों में बांट देते है यह कार्य उन्होंने तब शुरू किया जब उन्होंने एक बच्चे को अपने दोस्त की किताबें फ्री में दे दी और वो अपने क्लास में फर्स्ट आया तब उसकी माता जी ने कॉल कर खूब दुआएं दीं तब लगा कि उन बच्चों तक किताब पहुंचाया जाना चाहिए जो इसके अभाव में अपनी पढ़ाई तक छोड़ देते हैं। इस तरह इस नेक कार्य के लिए राघवेन्द्र की प्रशंसा हर तरफ हो रही है। हमारे देश मे ऐसे लोगों का होना अत्यंत ही आवश्यक है।