इस भागदौड़ की जिंदगी में हर कोई अपने लिए परेशान है। हर कोई अपने जीवन में इतने व्यस्त हो गए है की उनके पास किसी के लिए समय नहीं होता है। इंसान तो अपना जीवन यापन खुद कर सकते है लेकिन बेजुबान जानवर जो किसी को कुछ कह नहीं सकते वो मारे जा रहे है। बहुत कम लोग ऐश होते है जो उनके बारे में भी सोचते है। आज हम एक ऐसेही व्यक्ति के बारे में जानेंगे जो अपने बेजुबान जानवरो और पक्षियों का भी ध्यान रखते है।

दीपक साह बिहार भागलपुर के रहने वाले है। उनका जन्म 5 जून 1980 में हुआ था। दीपक को पर्यावरण, पक्षियों एवं वन जीवो से शुरू से ही बहुत प्रेम है। वे अपना जीवन वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी और पक्षियों की खोज में बिता रहे है। दीपक भागलपुर के बुधानाथ मंदिर के पास घायल साढ़ को देखा तब वो लगभग 20 साल के ही थे। दीपक के पिता उसे एक बाइक दिए थे लेकिन दीपक मात्र 20 हज़ार में ही साढ़ के इलाज़ के लिए बाइक बेच दिया।
दीपक लगभग 400 पक्षियों की प्रजाति का खोज किए है। इनमें से 40 प्रजाति तो भागलपुर के ही सैंडल कंपाउंड के हैं। इसमे 200 विदेशी प्रवासी पक्षी में वारहैडेड, गूज, गडवाल, पोचार्ड जैसे पक्षी आते हैं। दीपक को पक्षियों से इतना प्रेम है की वो 100 गौरैया को अपने घर पर पालते हैं। 2009 मे दीपक साह को पर्यावरण से इतना प्रेम देखते हुए नमामि गंगे के एक कार्यक्रम में तत्कालीन जनशक्ति मंत्री ने पुरस्कृत किया था। यह पर्यावरण एवं वन विभाग के जिला स्तरीय विशेषज्ञ आकलन समिति के सदस्य हैं। इन्हे भागलपुर में गंगा प्रहरी भी चुना गया था। दीपक चिड़ियाघर को 400 से अधिक सांपों को पकड़ कर सौंपा है। इन्हें सांप पकड़ने की भी कला आती है।

इन्हें आसपास के घरों से भी सांप पकड़ने के लिए बुलाया जाता है यह सांप पकड़ने में माहिर है। दीपक खाली समय में गंगा नदी की सफाई कराने में लगे रहते हैं और बच्चों को फील्ड ट्रिप पर भी ले जाते हैं। बच्चो को जागरुक भी करते हैं। आज दीपक शाह विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभियान के साथ काम कर रहे हैं। दीपक को डॉल्फिन कछुआ के रेस्क्यू में भी महारत हासिल है। दीपक सैंडिस कंपाउंड में दुर्लभ प्रजाति के सांप ट्वीन स्पॉटेड वोल्फ को पकड़ा था।