किसी भी बच्चे के जीवन में माता पिता का योगदान बहुत महत्वपूर्ण होता है। माता-पिता हमेशा बच्चों के भले, विकास और समृद्धि के बारे में सोचते हैं। इसीलिये माता-पिता को बच्चों की प्राथमिक विद्यालय कहते है। आज हम आपको एक ऐसे ही इंसान के बारे में बताने जा रहें है, जिनकी स्कूल की फीस उनकी माँ ने दूसरों के घर काम करते हुए भरा और अपने बेटे को IPS बनाया।
सफीन हसन का परिचय।
सफीन हसन गुजरात के कणोदरा गाँव के रहने वाले है। हसन के घर की हालत कुछ अच्छी नहीं थी। उनके पढ़ाई की फीस के लिए उनकी मां ने दूसरों के घरों में काम किया है। सफीन ने अपनी माँ की मेहनत को बेकार नही जाने दिया। उन्होंने कड़ी मेहनत कर यूपीएससी परीक्षा में 570 रैंक हासिल की और आईपीएस अफसर बन गए।

बेहद गरीबी से बीता सफीन का बचपन।
सफीन का बचपन बेहद तंगी और गरीबी में गुजरा है। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी। उनकी मां ने बेटे की पढ़ाई के लिए रेस्त्रां और शादियों में रोटियां बनाने का भी काम किया है। उनके पिता ने घरों में इलेक्ट्रीशिन का काम किया। साथ ही उनके माता-पिता रात में ठेले पर उबले अंडे और ब्लैक टी भी बेचते थे, ताकि अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दे सके।

सफीन की शुरुवाती पढ़ाई ।
साफिन की प्राइमरी पढ़ाई सरकारी स्कूल से गुजराती मीडियम से हुई। हसन के 10वीं में 92 प्रतिशत आए और 11वीं से अंग्रेजी सीखना शुरू किया। आगे की पढ़ाई साइंस स्ट्रीम से करनी चाही। उसी साल जिले में प्राइमरी स्कूल खुल रहा था, लेकिन उसकी फीस बहुत ज्यादा थी। सफीन को लगा कि इतनी फीस मैं कहाँ से लाऊंगा । लेकिन होनहार छात्र होने के वजह से उनकी आधी से ज्यादा फीस माफ कर दी गई।

UPSC के लिए सामज के लोगों ने की मदद।
सफीन की किस्मत अच्छी थी। उनकी लगन और मेहनत देखकर उन्हें बिजनेसमैन और सोसाइटी से काफी सपोर्ट मिला जिसकी मदद से आज वो यहां तक पहुंच पाए। यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली जाने के लिए उन्हें ज्यादा पैसे चाहिए थे। तब गांव के हुसैन भाई और जरीना बेन ने उनकी मदद की।

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कड़ी मेहनत के बाद हासिल किया मुकाम।
2016 में हसन ने तैयारी शुरू की। यूपीएससी और जीपीएससी की परीक्षा में बैठे। यूपीएससी की लिखित परीक्षा 570वीं रैंक के साथ पास की। गुजरात पीएससी में भी सफल हो गए। आईपीएस की ट्रेनिंग के बाद जामनगर में पहली पोस्टिंग हुई है। 23 दिसंबर को उन्होंने सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) का चार्ज लिया।