कहा जाता है कि धरती पर माँ का स्थान सबसे ऊँचा होता है। माँ हमेशा अपने बच्चों के लिए कुर्बानी देती है। आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से एक ऐसी मां के बारे में बताएंगे जिन्होंने मेहनत मजदूरी करके अपनी 3 बेटियों को अफसर बनाया।
मीरा देवी राजस्थान के जयपुर जिले के सारंग के पास एक छोटे से गांव की रहने वाली है। मीरा देवी के पति बहुत पहले ही गुज़र गए थे। उनके परिवार में कमाने वाला कोई नही था। उनके चार बच्चे है। चारों की जिम्मेदारियां उन्हीं पर थी। अपने बच्चों के पालन-पोषण के लिए वो मजदूरी करती थीं।

उनके पति की इच्छा थी कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर अफसर बने। अपने पति के सपनों को पूरा करने के लिए मीरा देवी दिन-रात एक करके मेहनत-मजदूरी कर अपनी बेटियों को पढाती थी। उनके पति के गुजरने के बाद गाँव के लोग और उनके रिश्तेदार उनपर बेटियों की शादी के लिए दवाब बनाने लगे। लेकिन उन्होंने इन बातो पर ध्यान नहीं दिया।

अपनी बहनो की पढ़ाई के खर्च के लिए उनके बेटे रामसिंह ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी। वो भी अपनी माँ के साथ खेतों में मेहनत मजदूरी करने लगे। मीरा देवी ने अपनी गरीबी को अपने बेटियों के ऊपर हावी नहीं होने दिया। उनके तीनों बेटियाँ भी अपने स्वर्गवासी पिता की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए दिन-रात एक करके पढ़ाई में जुटी रही।

दो साल तक उनकी बेटियाँ प्रशासनिक सेवा की तैयारी में जमकर जुटी रही। लेकिन दुर्भाग्य से UPSC की परीक्षा में उनका सेलेक्शन नहीं हो पाया।
जब उन बहनों ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा की परीक्षा दी तब सबसे बड़ी बहन कमला चौधरी OBC रैंक से 35वां स्थान पायी, गीता चौधरी को 64वां रैंक हासिल हुआ एवं सबसे छोटी ममता चौधरी को 128वां स्थान मिला। मीरा देवी की तीनों बेटियों ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा के परीक्षा में एक साथ सफलता हासिल की। तीनों बेटियों को अफसर बनाने के बाद उनके स्वर्गवासी पिता और खेत में मेहनत मजदूरी कर रहे मां और भाई सभी का भी सपना पूरा हुआ। उनकी तीनो बेटियाँ कमला चौधरी, गीता चौधरी और ममता चौधरी राजस्थान प्रशासनिक सेवा में कार्यरत हैं।