यूं ही नहीं मां को भगवान का दर्जा दिया गया है। वैसे तो बच्चे अपने आसपास के हर व्यक्ति से कुछ न कुछ सीखते हैं लेकिन कुछ ऐसी चीजें हैं जो उन्हें केवल अपनी मां से ही सीखने को मिलती है जो उन्हें जीवन भर काम देती है।
जिंदगी में कभी न कभी ऐसी परिस्थिति जरूर आती है जब आपको कहीं से कोई मदद नहीं मिलती है। ऐसे में आत्मनिर्भरता ही काम आती है। वो मां ही है जो अपने बच्चे को छोटी उम्र से ही आत्मनिर्भर बनाना सिखाती है। आज हम आपको एक ऐसे ही इंसान के बारे में बताएंगे जिनकी माँ ने तंगी में दूसरों के घर काम कर बेटे को पढाया, उनके कड़ी मेहनत से बेटा इसरो में इंजीनियर बन गया।
कौन है राहुल घोडके ?
चेंबूर इलाके में मरौली चर्च स्थित नालंदा नगर की झोपड़पट्टी में रहने वाले राहुल घोडके का जीवन बड़ी मुश्किलों में बीता है। मुंबई की झोपड़पट्टियों की तंग गलियों से निकल कर राहुल घोडके नाम के युवक ने देश की प्रतिष्ठित स्पेस एजेंसी इसरो तक का सफर तय किया है। राहुल घोडके ने आर्थिक तंगी को मात देते हुए इसरो में टैक्नीशियन के पद पर नौकरी हासिल की है।

मुसीबतों से सामना करना पड़ा।
राहुल के ज़िंदगी मे अनेक प्रकार के मुसीबत आए। उन्होंने तमाम मुश्किलों के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और अपनी पढ़ाई को जारी रखा। राहुल दसवीं की परीक्षा में फस्ट डिवीजन से पास हुए। इस दौरान उनके पिता की मृत्य हो गई। पिता के निधन से राहुल अंदर से काफी टूट गए।

बारहवीं में फेल हुए राहुल।
पिता के मौत के बाद घर की सारी जिम्मेदारी राहुल के कंधों पर आ गई। पिता मजदूरी करते थे, जमा पूंजी के नाम पर कुछ भी नहीं था। इस दौरान राहुल शादियों में केटरस का काम कर घर के खर्च को उठाते थे और उनकी मां भी दूसरों के घरों में जाकर बर्तन-कपड़ा धोकर घर खर्च चलाती थीं। इस बीच राहुल ने अपनी पढ़ाई को जारी रखा। पर
पूरा ध्यान पढ़ाई पर नहीं दे पाने की वजह से राहुल 12वीं की परीक्षा में फेल हो गए।

अपने आप को मजबूत बनाया।
पढ़ाई-खिलाई में तेज राहुल ने आईटीआई में अव्वल रहे और फस्ट डिवीजन से अपना कोर्स पूरा किया। बाद में उन्हें एल एंड टी कंपनी में नौकरी मिल गई, जिसके साथ ही उन्होंने इंजीनियरिंग में डिप्लोमा के लिए एडमिशन ले लिया।

इसरो में टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत हुए।
राहुल की पढ़ाई और काम दोनों साथ- साथ होने लगी । और तो और राहुल यहां भी पहले अंक से सफल हुए। जब इसरो में डिप्लोमा इंजीनियर के पद के लिए नौकरी निकली तो राहुल ने एंट्रेंस की तैयारी की और देशभर में आरक्षित परीक्षार्थियों की श्रेणी में तीसरे और ओपन में 17वें स्थान पर आए और अब बीते 2 महीनों से राहुल इसरो में टेक्नीशियन के पद पर काम कर रहे हैं।
हमें राहुल से यह शिक्षा मिलती है कि ज़िंदगी मे कितनी भी समस्याओं का सामना क्यों न करना पड़े , बस हमें हिम्मत नही हारनी चाहिए।