कोई काम छोटा- बड़ा नहीं होता बल्कि लोगों का नजरिया काम को छोटा- बड़ा बनाता है। सफाई कर्मी झाड़ू लगाए तो उसे छोटा समझा जाता है पर बड़े राजनेता यदि झाड़ू लगाएं तो लोग उसे सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही इंसान के बारे में बताएंगे जिन्होंने MBA में फेल होने के बाद महज़ 8000 से चाय का स्टॉल शुरू किया और केवल 4 वर्षो में उन्होंने 3 करोड़ का कारोबार किया है। आइये जानते है उनके बारे में।
प्रफुल्ल बिल्लोर का परिचय।
मध्य प्रदेश के धार जिले के एक छोटे से गांव के रहने वाले 20 वर्षीय प्रफुल्ल बिल्लोर ने बी.कॉम की पढ़ाई की थी। वो एक प्रतिष्ठित संस्थान में एमबीए के कोर्स में नामांकन लेना चाहते थे लेकिन यह नहीं हो सका। इससे निराश प्रफुल्ल ने तब अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने की योजना बनाई। इसी सोच के साथ वो गुजरात के अहमदाबाद पहुंचे।

परिवार चाहता था पढ़ाई करें प्रफुल्ल।
प्रफुल्ल के परिवार का मन था कि वह पढ़ाई में ध्यान लगाएं। साल 2017 में वह अहमदाबाद आये, जहाँ वो किराये का मकान लेकर रहें। वहाँ से वो एमबीए करना चाहते थे। उन्होंने ऐसा सोचा क्योंकि गुजरात उनके व्यवसाय के हिसाब से सही था।। अपने दोस्त से उधार पर बाइक ली और शहर में चक्कर लगाना शुरू किया। उन्हें मैकडॉनल्ड्स में एक नौकरी मिल गई। उन्होंने वहां बर्तन साफ करने और पेपर्स प्लेटों में लगाने का काम भी किया।
आठ हजार में शुरू की दुकान।
2017 में उन्होंने अपने पिता से आठ से दस हजार रुपए उधार लेकर सड़क किनारे चाय की दुकान लगानी शुरू की। प्रफुल्ल ने मिस्टर बिल्लोर, एमबीए चायवाला के साथ दुकान का नामकरण किया। सड़क के किनारे चाय की दुकान से शुरुआत करने वाले प्रफुल्ल ने तीन साल में तीन करोड़ रुपए का कारोबार किया। वर्ष 2019- 20 तक प्रफुल का बिजनेस तीन करोड़ रुपए तक पहुंच गया।

IIM से मिला लेक्चर का न्योता ।
एक इंसान के लिए इससे बड़ी खुशी क्या हो सकती है जहाँ उसका सपना था नामांकन पाने का वहीं से उन्हें लेक्चर देने का मौका मिला। प्रफुल्ल को IIM से लेक्चर का न्योता मिला। उन्होंने एक बार IIM में पढ़ने का सपना देखा था।
दुकान वाले ग्राहकों से अच्छा संबंध।
इस चाय की टपरी में वो लोगों को सिर्फ चाय नहीं देते थे। बल्कि लोगों से बातचीत भी करते थे। उन्हें राजनीति और उनकी लाइफ से जुड़ी बातों पर बात करते थे। लोगों के बीच वो फेमस होते गए। लिहाजा, उन्हें एमबीए छोड़नी पड़ी और फुल टाइम चायवाला बन गए वो।

एक सफल इंसान बन चुके है प्रफुल्ल।
आज प्रफुल्ल का यह योजना काफी लोकप्रिय हो गया है। लोग उनकी फ्रैंचाइजी लेने के लिए तैयार रहते हैं। वो कई कॉलेज में लैक्चर देकर आ चुके हैं। लोग उनके पास राय लेने के लिए आते हैं। वो कहते हैं, डिग्री मैटर नहीं रखती, बल्कि नॉलेज मैटर रखती है। मैं चायवाला हूं मुझे उससे प्यार है जो मैं कर रहा हूं। चाय के बिजनेस को शुरू करने के 4 वर्षो भीतर उन्होंने 3 करोड़ रुपए कमाकर देशभर में तारीफें बटोर ली है। आज वो काफी लोकप्रिय है।
हमें प्रफुल्ल से शिक्षा मिलती है कि जिस काम में आपका दिल लगे वो काम करना चाहिए। कोई काम छोटा- बड़ा नही होता।