पहले के जमाने में लड़का और लड़की में फर्क माना जाता था। पहले के लोग लड़के को पढ़ाते थे और लड़कियों को अशिक्षित रखते थे। बचपन में ही लड़कियों की शादी कर दी जाती थी। परंतु 21वीं सदी के लोग ऐसे नहीं है। अब लड़का और लड़की में किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है। सभी को एक समान माना जाता है। अब लड़कियां भी हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, चाहे वह क्षेत्र फौज का हो या ज्ञान देने वाले शिक्षक का, हर क्षेत्र में लड़कियां लड़कों की तुलना में आगे निकल रही है।
जानिए शैलजा डोगरा के बारे में
आज हम आपको एक ऐसी ही लड़की के बारे में बताएंगे जो लड़कों को हर क्षेत्र में मुकाबला दे रही हैं। शैलजा डोगरा इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल बन के पूरे प्रदेश को गौरवान्वित कर रही हैं। वो हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के बंसल ब्लॉक की रहने वाली हैं। शैलजा का जन्म 23 अक्टूबर 1980 को लड़ीयाल गांव में हुआ था।

परवरिश भी काफी अच्छी हुई
शैलजा के पिता धर्म सिंह डोगरा भारतीय सेना में कर्नल के पद पर थे। अब वह रिटायर हो चुके हैं। शैलजा की माता गृहिणी हैं। उनके परिवार में सिर्फ चार बेटियां हैं। बेटा न होने के कारण उन्होंने अपने बेटियां की बेटे जैसे ही परवरिश की है। शैलजा M.Sc. और M.Ed. की पढ़ाई पूरी करने के बाद इंडियन आर्मी में 17 मार्च 2007 को डायरेक्ट कमीशन हुईं।
मद्रास में हुई ट्रेनिंग
शैलजा मद्रास गई जहां उनकी ट्रेनिंग हुई। ट्रेनिंग के बाद वह लेफ्टिनेंट बन गई। उन्हें भारतीय सेना की एजुकेशन कोर में अधिकारी के रुप में श्रीनगर, पुणे, असम, पंजाब इत्यादि जगहों पर सेवा देने का अवसर प्राप्त हुआ। बाद में उनकी पदोन्नति लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर हुई।
कपूरथला में हुईं सम्मानित
17 सितंबर को कपूरथला में लेफ्टिनेंट कर्नल शैलजा को सम्मानित किया गया। शैलजा के पति कर्नल संजय ठाकुर और डिप्टी कमांडर ने उनको ताज क्रॉउन से नवाजा। शैलजा अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं।
शैलजा अपने अनुभव से लोगों को यह प्रेरणा देना चाहती हैं कि बेटियों की भी बेटे जैसा परवरिश की जानी चाहिए। यदि बेटियों को अच्छी शिक्षा प्रदान की जाय तो वो फौज में अधिकारी भी बन सकती हैं। शैलजा को मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल ने कर्नल बनने की खुशी में बधाई दी और साथ ही उन्होंने कहा की शैलजा पूरे हिमाचल प्रदेश की गौरव हैं।