हमलोग बचपन से ही सुनते आ रहें हैं कि खेलने में अपना समय बर्बाद मत करो, पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब, पढ़ाई ज्यादा जरूरी है इत्यादि। लेकिन कोई ये नही समझते की खेलना भी उतना ही जरूरी है जितना की खेलना। जिन्हे खेलने का शौक भी होता है वो भी खेलना छोर कर अपने परिवार के आर्थिक स्थिति में मदद करने के लिए नौकरी करने में लग जाते है।

आबिद खान पंजाब यूनिवर्सिटी के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। बॉक्सिंग के बेमिसाल प्लेयर आबिद आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे थे। वे अपने दोनों बेटों को बॉक्सर नही बनाना चाहते है। वे आर्मी की बॉक्सिंग टीम को भी 5 साल तक ट्रेन किये है। उनको आर्थिक तंगी के कारण ऑटो चलाना, गेंहू के कट्टे उठाने का काम करना पड़ा।

आबिद अपना यूट्यूब चैनल भी बनाये है। उन्होंने 17 मिनट की वीडियो स्पोर्ट्स गांव नाम के एक यूट्यूब चैनल ने शेयर की और उसके बाद से लोग लगातार सवाल पूछ रहे हैं। आनंद महिंद्रा उनकी मदद किये। मुझे ये बात बहुत पसंद आई कि वो किसी मदद की उम्मीद नही कर रहे है, कृपा बताये की बॉक्सिंग अकादमी कैसे शुरू की जा सकती है, ये वीडियो शेयर करते हुए महिंद्रा ने ट्वीट किया।