इस दुनिया में बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जो अपना संपूर्ण जीवन दूसरों की सेवा करने और उन्हें इंसाफ दिलाने के लिए समर्पित कर देते हैं। इस बात की प्रत्यक्ष उदाहरण है, एक दलित महिला कृष्णम्मल जगन्नाथन। जिन्होंने समाज उत्थान के अपने कार्यों से हर किसी को हैरान कर दिया है। 94 साल की कृष्णम्मल जगन्नाथन अपना एक NGO चलाती हैं। जिसके जरिए वह पिछड़ी जाति के महिलाओं और उनके परिवारों के लिए काम करती हैं। उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर भूमिहिन किसानों की मदद की। और उनकी जमीन वापस दिलाने के लिए आंदोलन तक किया। यही नहीं वह महिलाओं के उत्थान के लिए कई बार जेल जाने से भी पीछे नहीं हटीं और उनके हक की आवाज़ उठाती रही। कृष्णम्मल जगन्नाथन के कार्यों का ही फल है, कि भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान में से एक पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया है। लेकिन एक गरीब परिवार में जन्म लेकर देश के सर्वोच्च सम्मान को प्राप्त करने तक का सफर तय करना कृष्णम्मल जगन्नाथन के लिए इतना आसान नहीं था। आइए जानते हैं उनके संघर्ष से सफलता तक का प्रेरणादायी सफर।
संघर्षों से भरा रहा बचपन
16 जून 1926 में तमिलनाडु के एक भूमिहीन दलित परिवार कृष्णम्मल जगन्नाथन का जन्म हुआ। उनका बचपन संघर्षों में बिता। बचपन में उनके सिर से पिता का साया उठ गया। अपनी शिक्षा के लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा। उनके परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी, फिर भी उनके घरवालों ने उन्हें शिक्षित कराया। उन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की। उसके बाद गांधीजी के सर्वोदय आन्दोलन से जुड़ गईं। वहीं वह अपने पति शंकरलिंगम जगन्नाथन से मिलीं। दोनों ने कसम खाई कि शादी करेंगे, तो आज़ाद भारत में ही। आखिरकार दोनों ने 1950 में शादी की। जिसके बाद दोनों पति-पत्नी ने मिलकर भूमिहीन किसानों को ज़मीन दिलाने का आन्दोलन शुरू किया।

पति के साथ मिलकर किसानों के हक के लिए किया आंदोलन
कृष्णम्मल जगन्नाथन ने पति के साथ मिलकर समाज उत्थान का कार्य करना शुरू किया। शंकरलिंगम ने विनोबा भावे के साथ मिलकर भूदान आन्दोलन में काम किया। इसमें जमींदारों से उनकी ज़मीन का छठवां हिस्सा भूमिहीन किसानों को देने की अपील की गई थी। तब कृष्णम्मल मद्रास में अपनी टीचर ट्रेनिंग की पढ़ाई कर रही थीं। फिर दोनों ने ग्रामदान आन्दोलन में भी काम किया। बाद में तंजावुर (तमिलनाडु) में इन्होंने काम करना शुरू किया।

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इस घटना ने कृष्णाम्मल को दिया झकझोर
कृष्णम्मल जगन्नाथन के जीवन में मोड़ तब आया जब उन्होने देखा कि 1968 में, नागई जिले के कीज वेनमनी में 44 महिलाएं, बच्चे समेत पूरे परिवार को जिं’दा जला दिया गया। इसकी वजह बस इतनी थी कि, उन्होंने शौचालय निर्माण के लिए अतिरिक्त मजदूरी के रूप में धान का आधा हिस्सा मांग लिया था। उस क्षेत्र में उपजाऊ जमीन होने के बाद भी ज्यादातर किसान गरीब मजबूर थे। इस समस्या को दूर करने के लिए कृष्णम्मल जगन्नाथन बहुत संघर्ष करना पड़ा। उन्हें हिंसा की चेतावनी दी गई। एक वक्त आया जब महिलाएं को उन पर अविश्वास हुआ और उन्हें गांव में प्रवेश न करने की चेतावनी तक दे दी गई थी।
महिलाओं के साथ कई बार गईं जे’ल
कृष्णम्मल जगन्नाथन महिलाओं को सम्मान और उनका हक दिलाने की खातिर कई बारजे’ल भी गई हैं। उन्होंने कई गरीबों की उनकी जमीन बचाने में मदद की। उन्होंने अपने संघर्ष से जाति असमानता जैसी कई कुरूतियों को दूर तक करने में अहम भूमिका निभाई हैं।तमिलनाडु के पूर्व सीएम करुणानिधि ने कृष्णमल को शुरुआती दौर में गरीब लोगों के जीवन को आकार देने में मदद की। बाद में उनके विनोबा भावे के साथ घनिष्ठ संबंध रहे। मन्नई जयप्रकाश भी उनके संघर्ष के दिनों में साथ रहे।

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आज भी गरीबों और बेसहारा लोगों के लिए करती हैं काम
कृष्णाम्मल जगन्नाथ 94 साल की उम्र में भी अपने NGO के जरिए समाज के पिछड़े और गरीब लोगों के उत्थान का कार्य करती हैं। उनका लक्ष्य अब तूफान में प्रभावित होने वाले लोगों के लिए 5,000 घरों का निर्माण कराना है। इनके NGO LAFTI ने भूमिहीन किसानों, मजदूरों और जमीन के मालिकों के बीच पुल का काम किया है। 14,000 से ज़्यादा भूमिहीन लोगों को उन्होंने ज़मीन दिलाने में मदद की है। यही नहीं वह कुटीर उद्योग जैसे रस्सी बटना, लकड़ी का काम, मछलियां पकड़ना इत्यादि चलवाने में भी मदद करती हैं। वह पिछड़े समूहों की लड़कियों के लिए भी कंप्यूटर ट्रेनिंग दिलवाने का कार्य कर रही हैं।
पद्मभूषण सहित कई बड़े सम्मान से हो चुकीं है सम्मानित
कृष्णम्मल जगन्नाथन अपने उत्कृष्ट कार्यों के लिए कई बड़े सम्मान से सम्मानित की जा चकी हैं। समाज सेवा के क्षेत्र में उन्हें भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च सम्मान में से एक, वर्ष 2020 में पद्म भूषण से नवाज़ा था। यही नहीं, 2008 में राइट लाइवलीहुड अवार्ड भी प्राप्त किया, जिसे उन्होंने अपने पति के साथ साझा किया है। इसके साथ ही वह कई अन्य सम्मान से भी सम्मानित हो चुकीं है।

जिस उम्र में लोग अक्सर थक जाते हैं। उम्र के उस पड़ाव में भी कृष्णम्मल जगन्नाथन उत्साह के साथ लोगों की मदद करती हैं। उन्होंने समाजसेवा का कार्य जारी रखा है। कृष्णम्मल जगन्नाथन ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर अपनी सफलता की कहानी लिखी है। संघर्ष के बाद सफलता कैसे हासिल की जाती है, और दूसरों के लिए कैसे जीवन जिया जाता है। इस बात की मिसाल कृष्णम्मल जगन्नाथन पेश करती हैं। आज वह अपने महान कार्यों की बदौलत लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन चुकी हैं।