माता-पिता बचपन से लेकर बड़े होने के बाद भी अपने संतान से बहुत प्यार करते हैं। माँ-बाप कभी नही चाहते कि उनका बेटा उनसे अलग हो। वह हमेशा अपने संतान की भलाई चाहते हैं। पर बदले में कुछ संतान अपने माता -पिता को पीड़ा देना शुरू कर देते है। उन्हें प्रताड़ित करते है। आइये जानते है कि बुढ़ापे में अगर संतान माँ -बाप को दुःख दे तो उन्हें क्या करना चाहिए।
कानून ने दिया है हक।
कानून ने बुजुर्गों को यह अधिकार दिया है कि यदि बच्चे उनसे दुर्व्यवहार करें, समय पर ठीक से भोजन न दें, उनसे नौकर जैसा बर्ताव करें तो माता-पिता, बेटा-बेटी-दामाद या कोई और, सभी को अपने घर से निकाल सकते हैं। वसीयत से बेदखल कर सकते हैं। यदि वसीयत बच्चों के नाम कर दी है तो उसे बदलवाकर अपनी संपत्ति बच्चों से छीन सकते हैं।

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दिल्ली कोर्ट ने सुनाया था निर्णय।
दिल्ली का 2017 का एक केस , जिसमें हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि जिन बुजुर्गों के बच्चे उनसे खराब व्यवहार करते हैं, वे किसी भी तरह की प्रॉपर्टी से, वसीयत से बच्चों को बेदखल कर सकते हैं। सिर्फ माता-पिता की कमाई से बनी संपत्ति पर ही यह बात लागू नहीं होती, बल्कि यह प्रॉपर्टी उनकी पैतृक और किराए की भी हो सकती है जो बुजुर्गों के कानूनी कब्जे में हो।
संतान घर से बाहर करे तो क्या करें ?
वरिष्ठ नागरिक संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत पेरेंट्स ऐसे में कार्रवाई की मांग कर सकते हैं। सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा-भत्ते की मांग कर सकते हैं। कलेक्टर को शिकायत की जा सकती है। बच्चे ने मारपीट या धमकी दी है तो पुलिस में भी शिकायत की जा सकती है। पुलिस मामले को न सुने तो मजिस्ट्रेट या फैमिली कोर्ट में अपील कर सकते हैं। यदि किसी बच्चे ने पेरेंट्स को बहला-फुसलाकर धोखे से अपने नाम उनकी प्रॉपर्टी करवाली है तो यह मान्य नहीं होगी। माता-पिता इसकी शिकायत करते हैं तो जिला प्रशासन उन्हें वापस कब्जा दिलवा सकता है।

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बेदखली के बाद बच्चों का क्या अधिकार है ?
अगर प्रॉपर्टी सेल्फ-अक्वायर्ड है यानी माता-पिता ने खुद वो प्रॉपर्टी खड़ी की है, तो बच्चों का बेदखली के बाद इस प्रॉपर्टी पर कोई अधिकार नहीं होगा। माता-पिता पर निर्भर करता है कि वो अपने बच्चों को अपनी वसीयत में शामिल करते हैं या नहीं। हालांकि, अगर वो घर विरासत में पुरखों से मिला हुआ है, तो फिलहाल के लिए भले ही माता-पिता बच्चों को निकाल दें लेकिन वो उन्हें वसीयत से नही निकाल सकते। माता-पिता की मृत्यु के बाद बच्चों के पास अपने आप प्रॉपर्टी का कानूनी हक आ जाएगा।