अगर हम अपनी जिंदगी में कुछ करने का सोच लिए हैं तो उसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। अगर हमारा इरादा मजबूत है तो हम कुछ भी कर सकते हैं। चाहे रास्तों में कितनी भी मुसीबतें क्यों ना आये। आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बताएंगे जो कठिन परिश्रम करके अपनी जिंदगी में आईपीएस ऑफिसर बन गई।
मिलिए डॉ विशाखा भदाणे से
डॉ विशाखा भदाणे नासिक के उमराने गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता का नाम अशोक भदाणे है, जो गांव के छोटे से स्कूल में चपरासी थे। विशाखा तीन भाई बहन है, उनमें विशाखा सबसे छोटी है। विशाखा के पिताजी की आय बहुत कम थी, फिर भी वह चाहते थे कि उनके बच्चे पढ़े और अफसर बने। आमदनी कम होने के कारण घर चलाने और बच्चों को पढ़ाने में विशाखा के पिताजी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था।

बचपन में थी आर्थिक तंगी
इन सभी दिक्कतों को देखकर और अपने बच्चों की पढ़ाई के बारे में सोचकर उनकी मां ने स्कूल के बाहर एक छोटी सी दुकान चलाना शुरू कर दिया। फिर भी आमदनी ज्यादा नहीं होती थी। बच्चों के पढ़ाई से संबंधित समान खरीदने में बहुत दिक्कत होती थी। पैसे पूरे नहीं होते थे। किताबों की कमी होने के कारण जब विद्यालय में 2 महीने की छुट्टी रहती थी तो वह तीनों भाई बहन लाइब्रेरी जाकर किताबें पढ़ा करते थे। उनकी मेहनत और लगन को देखकर उनके शिक्षक भी उन्हें बहुत प्रोत्साहित करते थे। जब विशाखा 19 वर्ष की थी तो उनकी मां का देहांत हो गया। अब घर की सारी जिम्मेदारी विशाखा पर ही आ गयी।

लोन लेकर पढ़ाई पूरी की
विशाखा और उनके भैया ने सरकारी आयुर्वेद कॉलेज में BAMS में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा पास किया। आगे की पढ़ाई के खर्च के लिए विशाखा के पिताजी ने बैंक से लोन लिया। लोन के कुछ पैसों से उन्होंने अपनी बड़ी लड़की की शादी की, और बाकी के पैसे दोनों बच्चों की पढ़ाई में खर्च किये। विशाखा BAMS की पढ़ाई पूरी करने के बाद UPSC की तैयारी करने में जुट गईं।

दूसरे प्रयास में मिली सफलता
विशाखा UPSC के अपने पहले प्रयास में सफल नहीं हो पाईं लेकिन दूसरे प्रयास में सफल हो गईं। विशाखा आज एक IPS ऑफिसर हैं। विशाखा ने अपने जीवन में बहुत अभाव का सामना किया है। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के कारण ही अपने लक्ष्य को प्राप्त किया है। हमें IPS विशाखा जैसी महिलाओं पर गर्व है।