जब देश के सुरक्षा की बात आती है तो भारत के बहादुर सिपाही अपने जान की परवाह किए बिना भारत माँ की रक्षा करते हैं।
भारत देश में एक ऐसा भी वक्त आया जब हर ओर भयानक मंजर छाया हुआ था। वो दिन 26 नवंबर 2008 का दिन था। इस दिन को कोई भी भारतीय भूला नहीं सकता। इसी कड़ी में आज हम आपको भारत देश के एक बहादुर सिपाही तुकाराम ओंबले के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपने देश की रक्षा के किए अपनी जान की कुर्बानी दे दी। आइये जानते है उनके बारे में।
तुकाराम ओंबले की बहादुरी
जब आंतकियों ने अपने नापाक इरादों को अंजाम देते हुए मुंबई में होटल ताज पर कब्जा कर लिया था। इस हादसे में कई बेगुनाहों की जाने गई थी। लेकिन इस बीच एक ऐसा सिपाही भी था जिसने अपनी जान की परवाह ना करते हुए अजमल कसाब पर शिकंजा कसा था। वो शख्स और कोई नहीं तुकाराम ओंबले ही थे। तुकाराम ओंबले ने अपनी जान पर खेलते हुए कसाब को पकड़ा था और जिसके बाद उन्होंने हंसते-हंसते अपनी जान कुर्बान कर दी थी।

महाराष्ट्र के थे तुकाराम
तुकाराम का जन्म महाराष्ट्र के एक गांव में हुआ था। तुकाराम ऐसे गांव से आते हैं जहां कोई भी पुलिस में भर्ती नहीं हुआ था। वो अपने गांव के पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने पुलिस में भर्ती ली थी। लेकिन उनकी शहादत को देखते हुए 13 युवा और पुलिस में भर्ती हुए। तुकाराम बचपन में आम बेचने का काम करते थे। अपने बाकी समय में वो गाय-भैंसों को चराने जाते थे। उनके मौसा सेना में ड्राइवर थे जिन्हें देख तुकाराम को पुलिसकर्मियों की वर्दी से लगाव हो गया था और उन्होंने बाद में पुलिस की नौकरी हासिल भी की।
मुम्बई में आतंकी हमला
26 नवंबर 2008 की रात एक ऐसा हादसा हुआ जिससे उनकी पूरी दुनिया बदल गई। 26 नवंबर की रात को असिस्टेंट सब इन्स्पेक्टर तुकाराम ओम्बले साहब की नाइट ड्यूटी थी जो रात के 12 बजे ख़त्म होने वाली थी। रात के 12:30 बजे उनकी पत्नी का फोन आया की घर जल्दी आ जाओ, क्योंकि उन्हें पता था कि मुंबई में आतंकी हमला हुआ है।

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कार से कसाब को खिंचा
तुकाराम जी के वायरलेस फोन पर सीनियर अधिकारी का संदेश आया ”एक आतंकवादी मरीन ड्राइव की तरफ भागा है पोजीसन लो” तुकाराम जी के पास उस समय हथियार के रुप में बस एक डंडा था पर वो पीछे नहीं हटे 12:45 पर वायरलेस सेट पर दोबारा मैसेज आया कि दो आतंकवादियों ने स्कोडा कार को कब्जे में ले रखा है और वो कार की खिड़की से गोलिया बरसाते हुए मरीन ड्राइव की तरफ बढ़ रहे है। मैसेज ख़त्म भी नही हुआ था कि वही कार तुकाराम जी के बगल से निकली तो तुकाराम जी अपनी बाइक से कार का पीछा किया। उन्होंने अपनी बाइक से कार को ओवर टेक किया जिसके बाद उन्होंने कार में से कसाब को खींचा।
आतंकी कसाब पकड़ा गया
आतंकी कार से उतर कर अधाधुंध गोली चलाने लग गया। अपनी जान की परवाह किये बिना निहत्थे तुकाराम AK 47 से लैस ”कसाब” से भिड़ गए। अपने हाथों से उसकी एके-47 का बैरल पकड़ लिया। इसी दौरान फायरिंग में इस्माइल की मौत हो गई जबकि अजमल कसाब को एके 47 के साथ तुकाराम ओंबले ने पकड़ लिया था। उन्होंने कसाब को धर दबोचा और तब तक कसाब ने कई गोलियां तुकराम जी पर बरसा दी थी। लहूलुहान हालात में भी तुकाराम जी ने कसाब को पकड़ कर रखा था। उन्होंने कसाब को तब तक नहीं छोड़ा जब तक और पुलिस कर्मी नहीं आ गए।

तुकाराम जी ने दम तोड़ा
तुकाराम ओंबले को कई गोलियां लग चुकी थी उन्होंने अस्पताल पहुंचते ही दम तोड़ दिया। इस हमले के दौरान करीब 60 घंटे तक पूरी मुंबई दहशत के साये में रही। जगह-जगह फायरिंग और होटल ताज और होटल ओबरॉय में आतंकियों के दाखिल होने और गोलीबारी की खबरों ने पूरे देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को हरकत में ला दिया था। एनसीजी की कार्रवाई के बाद सभी आतंकवादी मार गिराए गए और करीब 60 घंटे के बाद इन आंतकियों के नापाक इरादों को खत्म कर दिया गया था।
आज भी तुकाराम की बहादूरी को याद कर हर किसी की आंखे नम हो जाती है और सर गर्व से ऊपर उठ जाता है।