19.1 C
New Delhi
Wednesday, March 22, 2023

सुबह में दौड़, दिन में मजदूरी और रातों में पढ़ाई, इतनी मेहनत के बाद हुआ BSF में सेलेक्शन, गांव में बजे ढोल

मेहनत को सफलता की कुंजी कहा जाता है। जिंदगी में सफलता उसी को मिलती है जो परिश्रम करना जानते हैं। आज हम आपको संध्या भिलाला (Sandhya Bhilala) के बारे में बताएंगे, जिन्होंनें अपने कठिन परिश्रम से सफलता हासिल की है।

संध्या भिलाला का परिचय

संध्या भिलाला राजगढ़ (Rajgarh) जिले के पीपल्या रसोड़ा की रहने वाली है। संध्या जब बीएसएफ (BSF) की वर्दी में पहली बार अपने गांव पहुंची तो लोगों की खुशी का ठिकाना ना रहा। वहां के लोग उनका स्वागत बैंड, बाजा और ढोल-नगाड़ो के साथ घोड़े पर बिठाकर किया।

पूरे गांव का सिर किया गर्व से ऊंचा

गांव की बेटी ने सारे गांव वालों का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। गांव के लोगों का अपने लिए प्रेम देखकर संध्या के खुशी का ठिकाना न रहा और उन्होंने कहा कि वह अपनी जिंदगी के इस पल को कभी नहीं भूलेगी। अपने जीवन के इन खुशी के लम्हों को पाने के लिए संध्या को बहुत सी कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ा है।

कठिन परिश्रम कर अपने सपने को किया पूरा

संध्या ने अपने शुरुआती जीवन में बहुत से कठिन परिस्थितियों का सामना किया है। परिवार की आर्थिक तंगी के कारण वह खेतों में मजदूरी करती थी। जीवन के कठिन परिस्थितियों में जहाँ बहुत से लोग अपनी पढ़ाई छोड़ देते है वहाँ संध्या अपने पढ़ाई को जारी रखते हुए बीएसएफ की तैयारी की।

यह भी पढ़ें: बिहार की बेटी नीना सिंह ने बढ़ाया राज्य का मान, बनी राजस्थान की पहली महिला DG

औरों के लिए बनी प्रेरणा

संध्या के पिता देवचंद्र (Devchandra) एक मजदूर थे। उनके पिताजी ने कभी सोचा भी नहीं था कि उनकी बेटी कभी फौजी की वर्दी पहेनगी। लेकिन संध्या ने यह कर दिखाया। बीएसएफ की ट्रेनिंग पूरी कर संध्या को नेपाल और भूटान के बॉर्डर (Nepal Bhutan border) पर देश की सुरक्षा के लिए तैनात किया जाएगा।

अपनी मेहनत और संघर्ष के दम पर एक मिशाल पेश करने वाली संध्या गांव के बाकी लड़कियों के लिए प्रेरणा बन कर उभरी है।

Medha Pragati
Medha Pragati
मेधा बिहार की रहने वाली हैं। वो अपनी लेखनी के दम पर समाज में सकारात्मकता का माहौल बनाना चाहती हैं। उनके द्वारा लिखे गए पोस्ट हमारे अंदर नई ऊर्जा का संचार करती है।

Related Articles

Stay Connected

95,301FansLike
- Advertisement -