आज हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी अलग पहचान बना रही हैं, अपना मुकाम खुद तय कर रही हैं। आज पूरी दुनिया में ज़्यादातर महिलाएं आत्मनिर्भर हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही बेटी की कहानी बताएंगे जो माउंट एवरेस्ट समूह की पुमोरी चोटी पर फतह हासिल कर चुकी हैं।
हिमाचल प्रदेश की बलजीत की कहानी
हिमाचल प्रदेश के सोलन की बेटी बलजीत कौर ने माउंट एवरेस्ट समूह की पुमोरी चोटी पर फतह हासिल की है। बलजीत और उनकी साथी पर्वतारोही राजस्थान की गुणबाला शर्मा 7161 मीटर ऊंची चोटी पुमोरी पर विजय हासिल करने वाली पहली भारतीय महिलाएं बन गई हैं। 12 मई की सुबह 8.40 पर पहले बलजीत कौर पुमोरी चोटी पर पंहुची और उसके कुछ ही देर बाद गुणबाला शर्मा भी शिखर पर पहुंचीं।

पुमोरी चोटी सबसे कठिन चोटियों में से एक।
पुमोरी चोटी एवरेस्ट पर्वत श्रृंखला की सबसे कठिन चोटियों में से एक है। सोलन की बलजीत ने इस पर विजय हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला होने का गौरव हासिल किया है। इससे पहले 10 मई को दो भारतीय पुरुषों कुल्लू के हेमराज और स्तेंजिन नोरबो ने भी पहले भारतीय युगल के रूप में पुमोरी को फतह किया था। पुमोरी एवरेस्ट समूह की कठिन चोटियों में से है। इसे एवरेस्ट की छोटी बहन कहा जाता है, जो समुद्र तल से 7,161 मीटर ऊंचाई पर है ।

पुमोरी चोटी पर लहराया तिरंगा।
बलजीत ने टीम के साथ 12 मई सुबह साढ़े आठ बजे पुमोरी चोटी पर तिरंगा लहराया। उनकी टीम का माहौल ऐसा था कि यह कठिन रास्ता कैसे कट गया उन्हें पता भी नहीं चला। ट्रैक पर कई बार हाथ ठंडे हो जाते थे।

बचपन में सेना में जाने का था सपना।
बलजीत कौर को बचपन से सेना में जाने का शौक था। उनके पापा भी फौज से सेवानिवृत्त हैं। इसके कारण उन्होंने एनसीसी ज्वाइन कर ली थी। उन्होंने इस चढ़ाई में सहयोग देने वाले सोलन के कुछ समाजसेवियों का आभार जताया है। इंडियन माउंटेन फाउंडेशन के अध्यक्ष रिटायर्ड ब्रिगेडियर अशोक अबे के अनुसार पुमोरी चोटी के लिए यह किसी भी भारतीय दल का पहला अभियान था, जिसे इस भारतीय दल ने सफलतापूर्वक पूरा किया।