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Saturday, March 25, 2023

पिता चलाते थे ताँगा, जानिए कैसे बेटी ‘रानी रामपाल’ बनी भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान

मेहनत और लगन अगर सच्ची हो तो कोई भी सपना अधूरा नही रह सकता। सपना तो हर कोई देखता है, लेकिन उन्हें वही पूरा कर पाता है जो सच में उन सपनों को जीना चाहता हो। जब भी बात खेल की आती है तो क्रिकेट के खिलाड़ियों का ही नाम सर्वप्रथम लिया जाता है। लेकिन आज भारतीय महिला हॉकी की टीम में एक ऐसी खिलाड़ी है जो ना केवल महिला हॉकी टीम की कप्तान हैं। बल्कि सभी के लिए एक प्रेरणा भी हैं। आइये जानते है उनके बारे में।

रानी रामपाल का परिचय

रानी रामपाल के पिता कभी तांगा चलाते थे और घर की जरूरते पूरी करते थे। वहीं रानी ने आज अपनी मेहनत के दम सफलता की नई उड़ान भरी हैं। यही कारण है कि खेल में उम्दा प्रदर्शन करने के लिए रानी रामपाल को सरकार ने पद्मश्री सम्मान से भी सम्मानित किया है। एक तांगे वाली की बेटी होने से लेकर देश की महिला हॉकी टीम की कप्तान बनने तक का सफर तय करना रानी रामपाल के लिए इतना आसान नहीं था।

घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी

1994 में हरियाणा के शाहबाद मारकंडा के एक गरीब परिवार में जन्मी रानी रामपाल भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। रानी रामपाल की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी। उनके पिता घर चलाने के लिए तांगा चलाते थे। वहीं दो बड़े भाई किसी दुकान में काम करते थे। पिता की कमाई से घर की आम जरूरतें भी पूरी नही हो पाती थी। परिवार की इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद रानी ने हार नही मानी। यदि कोई और लड़की होती तो घर परिवार की उलझनों में उलझ कर रह जाती। लेकिन रानी ने अपने सपने को चुना।

6 साल की उम्र में हॉकी खेलना कर दिया था शुरू

रानी रामपाल को बचपन से ही खेल में रूचि थी। जब वह 6 साल की थी तभी से उन्होंने हॉकी खेलना शुरु कर दिया था। हॉकी के प्रति इतना जुनून था की उनके शानदार खेल की वजह से उन्हें महज 14 साल की उम्र में भारतीय महिला सीनियर हॉकी टीम में शामिल कर लिया गया। जिसके बाद रानी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जब वह चौथी क्लास में थी तभी उन्होंने ग्राउंड में लड़कियों को हॉकी खेलते देखा और खुद भी हॉकी खेलना शुरू किया।

धीरे-धीरे रानी ने हॉकी में नाम कमाया और भारतीय हॉकी टीम की कैप्टन बनीं। रानी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छोटे से कस्बे शाहबाद, हरियाणा और भारत का नाम रोशन किया है। एक हॉकी टीम का सदस्य बनने से लेकर रानी ने अपनी काबिलियत की बदौलत टीम की कप्तानी भी पाई है। जिस देश में क्रिकेट के अलावा किसी और खेल को इतनी प्राथमिकता नहीं दी जाती। ऐसे में रानी रामपाल ने ना केवल हॉकी खेला बल्कि अपनी टीम की कप्तान भी बनी।

नंगे पैर करने जाती थी हॉकी की प्रैक्टिस

रानी रामपाल के घर की हालत इतनी खराब थी कि वह हॉकी की प्रैक्टिस नंगे पैर करने जाती थी। परिवार गरीब था राह में मुश्किलें आना भी लाजमी था। कई बार उन्होंने हॉकी छोड़ने के बारे में सोचा, क्योंकि उनके परिवार के पास उनकी कोचिंग के लिए पैसे नहीं थे। लेकिन कोच बलदेव सिंह ने और सीनियर खिलाड़ियों ने उनका साथ दिया। उन्हें ट्रेनिंग के लिए हॉकी की पुरानी किट मुहैया कराई।

समाज के तानों की भी नहीं की परवाह

रानी रामपाल जब प्रैक्टिस करने जाती थी तो आस पड़ोस के लोग ताने देते थे। रानी रामपाल की माता को ना जाने कितनी तरह की बातें सुनाते थे। लेकिन मानों रानी के सिर पर हॉकी का जुनून सवार था। रानी ने लोगों की एक ना सुनी। जिसका नतीजा यह हुआ कि आज रानी रामपाल महिला हॉकी का चमकता सितारा बन गई हैं।

कोच बलदेव सिंह ने दी आगे बढ़ने की प्रेरणा

रानी रामपाल ने हॉकी के खेल में आगे बढ़ते हुए शाहबाद हॉकी एकेडमी में दाखिला लिया। उस वक्त उनके कोच थे द्रोणाचार्य अवॉर्ड पाने वाले बलदेव सिंह। उन्होंने पहले तो एडमिशन देने से मना कर दिया, लेकिन जब रानी का खेल देखा तो खुश हो गए और दाखिला दे दिया। उन्होंने रानी रामपाल की बहुत मदद की और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान बनी

रानी रामपाल पहली बार 2009 में भारतीय टीम में शामिल हुई। इसके बाद रानी ने जी तोड़ मेहनत की। जब वह 15 साल की थीं, तभी उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम में खेलने का मौका मिल गया। जून, 2009 में उन्होंने रूस में आयोजित चैम्पियन्स चैलेंज टूर्नामेंट खेला। फाइनल मुकाबले में चार गोल किए और इंडिया को जीत दिलाई। उन्हें ‘द टॉप गोल स्कोरर’ और ‘द यंगेस्ट प्लेयर’ घोषित किया गया। नवंबर 2009 में एशिया कप में टीम इंडिया ने सिल्वर मेडल जीता था। इस टूर्नामेंट में भी रानी ने शानदार प्रदर्शन किया था। तब से लेकर अब तक उन्होंने 200 से ज्यादा इंटरनैशनल मैच खेल लिए हैं। कई सारे रिकॉर्ड्स तोड़े हैं, कई रिकॉर्ड्स बनाए हैं। रानी की कप्तानी में कमजोर समझी जाने वाली भारतीय महिला हॉकी ने स्पेन आयरलैंड जैसी मजबूत टीमों को भी हराया है। यही नहीं भारतीय महिला हॉकी टीम ने रानी के नेतृत्व में 2016 समर ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई किया था।

कई सम्मान से हो चुकी हैं सम्मानित

रानी रामपाल हॉकी में अपने अद्भुत प्रदर्शन के लिए कई बड़े सम्मान से सम्मानित किया हो चुकी हैं। उन्हें “चैपियन चैलेंज टूर्नामेंट” में “यंग प्लेयर ऑफ टूर्नामेंट” का अवार्ड मिला। साल 2010 में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलो में एफआईएच की “यंग वुमन प्लेयर ऑफ द इयर” का अवार्ड भी दिया गया था। यही नहीं भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान में से एक पद्मश्री सम्मान से भी नवाज़ा था।

आज पूरी दुनिया में रानी रामपाल ने अपने हुनर का लोहा मनवाया है। जो समाज कभी ताने मारते थे आज उसी समाज को अपनी बेटी पर गर्व हैं। रानी की कहानी सभी के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के बीच अपनी सफलता की कहानी लिखी हैं। रानी रामपाल ने देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हॉकी की बदौलत अपना परचम फहराया है।

Sunidhi Kashyap
Sunidhi Kashyap
सुनिधि वर्तमान में St Xavier's College से बीसीए कर रहीं हैं। पढ़ाई के साथ-साथ सुनिधि अपने खूबसूरत कलम से दुनिया में बदलाव लाने की हसरत भी रखती हैं।

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