ऋषभ पंत (Rishabh Pant) विकेट कीपिंग और जोरदार बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, परिवार की स्थिति ठीक ना होने के कारण उन्हें कामयाब होने के लिए बेहद संघर्ष करना पड़ा है। एक समय ऐसा भी था जब उनकी मां घर चलाने के लिए लंगर सेवा करती थी लेकिन आज उन्हें किसी चीज की कोई कमी नहीं है। आज के दौर में उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी एक खास पहचान बना ली है। आइए जानते हैं ऋषभ पंत के बारे में।
हरिद्वार में जन्मे ऋषभ
ऋषभ पंत (Rishabh Pant) का जन्म हरिद्वार (Haridwar) में 4 अक्टूबर 1997 को हुआ था। उनके पिता चाहते थे कि उनका बेटा बड़ा होकर एक क्रिकेटर (Cricketer) बने और देश के लिए खेले लेकिन जब वह आज एक बेहतर क्रिकेटर के मुकाम पर पहुंच चुके हैं तो उनके पिता उनके साथ नहीं है। वह दुनिया छोड़ कर जा चुके हैं। ऋषभ के परिवार में उनकी मां और उनकी एक बहन है। 21 साल की उम्र में ऋषभ अपनी मां के सारे सपनों को पूरा कर रहे हैं।

मां करती थी मेहनत
उनका बचपन काफी संघर्ष भरा रहा। उनके माता-पिता दिल्ली (Delhi) शिफ्ट हो गए थे लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति इतनी तंग थी कि घर का किराया देना भी मुश्किल पड़ रहा था लेकिन उनकी मां हमेशा उन्हें क्रिकेट पर फोकस करने के लिए कहती थी और खुद दिल्ली के मोती बाग गुरुद्वारे में लंगर परोसने का काम करती थी। ऋषभ अपनी मां की मजबूरी को समझते थे। उन्हे यह एहसास था कि उनकी मां सपने को पूरा करने के लिए कितना मेहनत कर रही है इसलिए उन्होंने भी अपने कैरियर को बनाने में पूरा जोर दिया।


इंडिया नहीं जीत पाई थी मैच
कुछ दिन पहले न्यूजीलैंड (New Zealand) के दौरे में ऋषभ पंत ने ऑकलैंड में दूसरे टी20 में भारत को श्रृंखला 1-1 से बराबर करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। वहां पर उन्होंने नाबाद 40 रन के अलावा एमएस धोनी के साथ चौथे विकेट के लिए 5 पॉइंट 1 ओवर में 44 रन की साझेदारी भी निभाई थी। तीसरी बार टी20 मैच लंदन में था वहां पर ऋषभ पंत ने 12 गेंदों में 28 रनों की तूफानी पारी खेलें थे। दुर्भाग्यवश भारत इस मैच को जीत नहीं पाया और श्रृंखला 4 रन से हार गया।


मां के सपने को किया पूरा
आज के समय में वह अपनी मां और बहन के साथ सुखी पूर्वक अपनी जिंदगी बिता रहे हैं। अपनी मां के सपने को पूरा कर उन्होंने एक अच्छे बेटे का फर्ज निभाया है। आज ऋषभ पंत की जितनी भी तारीफ की जाए वो कम है। ऋषभ पर भारत (India) को गर्व है।

