आज भारत में समोसे और जलेबी के बगैर नाश्ते की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक या फिर अरुणाचल प्रदेश से लेकर गुजरात तक देश के हर कोने में समोसे और जलेबी की मांग है। ऐसे में लोगों को लगता है कि समोसे और जलेबी की खोज भारत में ही हुई है। लेकिन हम आपको बता दें की यह बात सही नहीं है। दरअसल समोसा और जलेबी विश्व के किसी दूसरे देश से भारत आया है। तो आइए जानते हैं की क्या है सच्चाई?
ईरानी मूल का है समोसा

आज भारत के हर घर में समोसा जरूर खाया जाता है। घर पर कोई मेहमान आए या फिर शाम को कुछ खाने का मन हो तो लोग समोसा जरूर मंगाते हैं। समोसा भारतीय समाज में इस तरह घुल चुका है कि लोग सोचते हैं की समोसा शुरू से भारत में ही खाया जाता है। लेकिन ऐसी बात नहीं है। दरअसल समोसा ईरानी मूल का है। यहां तक कि हिंदी शब्द समोसा दरअसल एक फारसी शब्द संबुसक से आया है। ईरान में समोसे के अंदर कीमा डाला जाता था। तीन कोने का आकार समोसे को ईरान से ही मिला है। हां यह बात जरूर है कि भारत में आने के बाद इसके अंदर, आलू, पनीर, मटर, अदरक, लहसुन, टमाटर, प्याज, मिर्च, हल्दी इत्यादि डाला जाने लगा। इसलिए ऐसा कह सकते हैं कि भले ही ईरानियों ने समोसे की खोज की लेकिन इसे चटकदार भारतीय लोगों ने ही बनाया।
मध्य पूर्व से आया है जलेबी

आपको बता दें कि सभी लोग ऐसा मानते हैं की जलेबी भारतीय मिठाई है। जहां एक तरफ इसे बंगाल में जिलापी कहा जाता है तो वहीं दूसरी तरफ इसे आसाम में जलेपी कहा जाता है। लेकिन एक अरबी किताब किताब अल ताबिख में मध्य पूर्व में जलाबीह नाम का एक मिठाई का जिक्र है जो बिल्कुल जलेबी की तरह ही होता है। इससे इतिहासकारों का यह मानना है कि जलेबी की खोज मध्य पूर्व में हुई।
इसके अलावा भी कई व्यंजन जैसे की बिरयानी, चिकन टिक्का मसाला, गुलाब जामुन इत्यादि को हम भारतीय व्यंजन मानते हैं लेकिन दरअसल यह विश्व के किसी और भाग में खोजे गए थे। आप इस पर क्या सोचते हैं कमेंट में राय अपनी जरूर दें। इस पोस्ट को शेयर जरूर करें।