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Sunday, April 2, 2023

स्पैरो मैन के नाम से मशहूर ‘राकेश खत्री’ पक्षियों को बचाने के लिए अब तक बना चुके हैं 32,000 घोसले

इंसान का रिश्ता केवल एक इंसान के साथ ही नहीं होता। बल्कि प्रकृति से जुड़े हर कण के साथ होता है। अब से कुछ वर्ष पहले तो हर आंगन में गौरेया आकर अपनी मीठी आवाज के जरिए सुबह होने का एक सुनहरा संदेश देती थी। लेकिन आज बढ़ते प्रदूषण और तंरगों के प्रयोग के कारण यह लुप्त होने के कागार पर आ गई हैं। आज के समय में जब लोग एक दूसरे की फिक्र नहीं करते हैं उस समय में कुछ ऐसे लोग भी थे जो इन पक्षियों की रक्षा करने, इनके जीवन को बचाने के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर चुके थे। ऐसी ही एक शख्सियत है स्पौरो मैन के नाम से मशहूर राकेश खत्री। राकेश खत्री उर्फ स्पैरो मैन ने पक्षियों को बचाने के लिए 32,000 बर्ड हाउस बनाए हैं। आज वह पक्षियों को बचाने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं। लेकिन पक्षियों को बचाने का यह सफर तय करना राजीव खत्री के लिए इतना आसान नहीं था। आइए जानते हैं उनके जीवन का प्रेरणादायी सफर।

परिवार की एक डांट ने दी गौरेया बचाने की प्रेरणा

राकेश खत्री का आधा बचपन आगरा में बीता और फिर पुरानी दिल्ली की गलियों में उन्होंने अपना बचनप बिताया। उस समय 26 जनवरी की परेड और रामलीलाओं का बेसब्री से इंतजार रहता था। रामलीला के दिनों में सभी दोस्त झांकियां तो सजाते ही थे, छत पर टोकरी लगाकर उसके आसपास दाने भी बिखेर देते थे। यह कवायद थी गौरैया को पकड़ने की। जितनी गौरेया पकड़ते थे, उन्हें लिपस्टिक लगाकर फिर उड़ा देते थे। अकसर उन शरारतों के लिए उन्हें अपने परिवार से डांट पड़ती तब उन्हें एहसास नहीं था कि एक दिन यही गौरैया जिंदगी का मकसद बन जाएगा। इसके बाद से वह गौरेया के लिए घर भी बनाने लगे।

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बचपन में ही पक्षियों के लिए ऐसे की घोसला बनाने की शुरूआत

पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक इलाके के रहने वाले राकेश खत्री एक मल्टीमीडिया कंपनी की नौकरी छोड़ चिड़ियों के घोसले बनाते हैं। उनका उद्देश्य चिड़ियों को वापस लाना है। राकेश जब छोटे थे तब उन्होंने एक घोसला बनाया था। 2001 के करीब लोग हरा नारियल खूब पीते थे और सड़क के किनारे फेंक देते थे उन्होंने सोचा की इसका कुछ उपयोग किया जाए तो उसके अंदर का हिस्सा खाली करके उन्होंने घोसला बनाना शुरू किया। लेकिन वह जल्दी ही सूख जाता था फिर बेंत की डंडियों से घोसला बनाना शुरू किया। वह हर दिन वहां बैठकर उस घोसले को देखते रहते थे कि चिड़िया आती है कि नहीं। फिर एक दिन उनके बनाए घोसले में एक चिड़िया आयी और रहने लगी। उन्हें बहुत अच्छा लगा कि चिड़िया को घर पसंद आ गया। तब से वह लगातार पक्षियों के लिए घोसला बना रहे हैं।

नौकरी छोड़ अब तक बना चुके हैं 32 हजार से अधिक घोसले

राकेश खत्री ने एक मल्टीमीडिया कंपनी की नौकरी को छोड़कर चिड़ियों के घोसले बनाने का काम शुरू किया। राकेश खत्री अब तक हजारों घोसले बना चुके हैं। वह कहते हैं कि बचपन में आंगन चिड़ियों की चहचाहट से भरा रहता था। लेकिन अब आंगन ही नहीं बचे और न चिड़ियों का चहकना। हमने अपने घरों को इतना संकुचित कर लिया की चिड़ियों ने भी पंख फैलाना छोड़ दिया है। लेकिन राकेश खत्री ने चिड़ियों को वापस लाने के लिए जगह जगह घोसले बनाने शुरू कर दिए ताकि पक्षी ज्यादा से ज्यादा संख्या में वहां रहने आए।

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पक्षियों को बचाना ही है मुख्य उद्देश्य

राकेश खत्री के जीवन में अब एक मात्र उद्देश्य यही है कि वह पक्षियों के जीवन को बचाना चाहते हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन उन्हीं के नाम कर दिया है। नब्बे के आखिरी दशक राकेश ने घोसले बनाने शुरू किए थे और आज वह अभी तक 32000 घोसले बना चुके हैं उनका उद्देश्य एक लाख घोसला बनाने का है। राकेश खत्री ने अभी तक 17 राज्यों के 24 शहरों के एक लाख बच्चों को घोसला बनाना सीखा चुके हैं।

इस तरह बनाते हैं घोसला, विदेशो में भी मिल चुकी है पहचान

राकेश खत्री को एक दिन तीलियों से घोंसला बनाने का उपाय सूझा और आज वह लकड़ी वाले भी 20000 से ज्यादा की तादाद में घोसले बना चुके हैं। उनकी गैर सरकारी संस्था इको रूट्स फाउंडेशन पिछले 18 साल से दिल्ली में काम कर रही है। अब डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने भी इस मुहिम में साथ दिया है। राकेश खत्री ‘नीर नारी और विज्ञान’ नाम से भी जागरूकता अभियान चलाते हैं। ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी जैसे देशों में इनकी संख्या जहां तेज़ी से गिर रही है वहीं नीदरलैंड में तो इन्हें ‘रेड लिस्ट’ के वर्ग में रखा गया है। गौरेया को बचाने की कवायद में दिल्ली सरकार ने गौरेया को राजपक्षी भी घोषित कर दिया है। उनकी एनजीओ इको रूट्स फाउंडेशन को अपने बेहतर काम के लिए 2014 में इंटरनेशनल ग्रीन ऐपल के अवॉर्ड से नवाज़ा जा चुका है। वहीं 2017 में लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स से भी नवाज़े जा चुके हैं। अर्थ डे नेटवर्क ने भी इसे एक पॉजिटिव शुरुआत के तौर पर दर्ज़ किया है।

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गौरेया और अन्य पक्षियों को बचाने के लिए घोसले बनाने वाले राकेश खत्री कई सम्मान से भी सम्मानित हो चुके हैं। उन्होंने अपने समर्पण और अपनी मेहनत के दम पर अपनी सफलता की कहानी लिखी है। राकेश खत्री आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं।

Sunidhi Kashyap
Sunidhi Kashyap
सुनिधि वर्तमान में St Xavier's College से बीसीए कर रहीं हैं। पढ़ाई के साथ-साथ सुनिधि अपने खूबसूरत कलम से दुनिया में बदलाव लाने की हसरत भी रखती हैं।

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