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Wednesday, May 31, 2023

जानिए फ़िल्म शोले के ठाकुर संजीव कुमार के अनसुनी कहानी, लोग क्यों कहते थे उन्हें कंजूस

संजीव कुमार (Sanjeev Kumar) बॉलीवुड के बेहतरीन कलाकारों में से एक थे। उनकी अदाकारी लोगों को बेहद पसंद आती थी। उन्होंने एक से बढ़कर एक सुपरहिट फिल्में की जिनमें लोगो ने उन्हे ख़ूब प्यार दिया। उनकी कामयाब फिल्मों में से एक फिल्म शोले है।

शोले फिल्म में उन्होंने ठाकुर का किरदार निभाया है जिसके वजह से कई लोग शोले (Shole) के ठाकुर के नाम से ही उन्हें जानते हैं। आज हम आपको एक्टर संजीव कुमार से जुड़ी अनसुनी बातें बताएंगे। आइए जानते हैं इस पूरे खबर के बारे में।

फ़िल्म में लंबा सफर

दरअसल, संजीव कुमार (Sanjeev Kumar) फिल्मी जगत में 25 वर्षों तक काम किए। इस दौरान उन्होंने अपनी फिल्मी कैरियर (Career) में संघर्ष (Sangharsh), जानी दुश्मन (Jani Dushman), शोले (Shole), खिलौना (Khilauna) और अंगूर (Angur) जैसी कई शानदार फिल्में की हैं। अपने इस सफर में उन्होंने कई तरह के किरदार निभाए हैं। इसके साथ सिनेमा जगत के कुछ कलाकार संजीव कुमार को कंजूस भी समझते थे।

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सादा जीवन जीते थे संजीव

उनको कंजूस समझने का कारण यह था कि वह बिल्कुल सादा जीवन और उच्च विचार की विचारधारा में अन्य सितारों के मुकाबले बिल्कुल सादे कपड़ों में रहा करते थे। उनकी सादगी को लोग कंजूस नाम से संबोधित करते थे। हालांकि, उनका सोचना था कि बहुत लोग दिखावे पर अधिक ध्यान देते हैं जो उन्हें बिलकुल पसंद नहीं था और वह हमेशा सादा रहना ही पसंद करते थे।

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लोगो को पैसे उधार देते थे संजीव

जहां एक तरफ उन्हें कंजूस समझा जाता था वहीं दूसरी तरफ हनीफ जावेरी (Hanif Javeri) ने अपनी किताब में लिखा है कि संजीव ने बिना किसी हिसाब किताब के फिल्म इंडस्ट्री (Film Industry) के कई लोगों को पैसे दे रखे थे। हनीफ ने आगे का उन्होंने ऐसे लोगों को पैसे उधार दे रखे हैं जिसका कोई हिसाब किताब नहीं है। अगर वह कंजूस होते तो इतने पैसे किसी को उधार नहीं देते।

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डायरी में उधार का सारा हिसाब

आपको जानकर हैरानी होगी कि संजीव के सचिव जमना दास (Jamna Das) ने उनके परिवार वालों को बताया लगभग 94 लाख रुपए उन्होंने लोगों को कर्ज दिया हुआ है। यह रकम आज के समय में इतनी ज्यादा है तो उस समय के हिसाब के मुताबिक करीब 90 से 100 लाख के आसपास बताई जाती है। साथ ही उनकी डायरी आज भी उनके परिवार वालों के पास सुरक्षित है। दिए हुए कर्ज के बारे में साफ-साफ लिखा हुआ है।

आपको संजीव कुमार की यह अनसुनी कहानी कैसी लगी हमें जरूर बताएं और इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।

Medha Pragati
Medha Pragati
मेधा बिहार की रहने वाली हैं। वो अपनी लेखनी के दम पर समाज में सकारात्मकता का माहौल बनाना चाहती हैं। उनके द्वारा लिखे गए पोस्ट हमारे अंदर नई ऊर्जा का संचार करती है।

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