हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे अच्छी शिक्षा पाएं और अपने सपनों को पूरा करें। जब बच्चें कुछ बड़ा करते हैं तब माता-पिता का सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है। आज हम आपको जिस शख्स की कहानी बताएंगे उन्होंने अपने पिता का सपना पूरा करने लिए लगातार मेहनत किया और अपने मुकाम को हासिल कर लिया।
मनोज कुमार यादव हिसार के जीतपुर गांव में रहने वाले हैं। उनके परिवार में उनकी मां सुशीला देवी और एक बड़ी बहन सीमा हैं। उनके पिताजी चंद्र सिंह ऑपरेशन रैनो के हिस्सा थे जो अल्फा उग्र वादियों से लोहा लेते समय 7 जुलाई 1997 को सहीद हो गए थे।
मनोज अपने सहीद पिताजी के उम्मीदों पर खरा उतरना चाहते थे। इस के लिए उन्होंने अपने पिता के द्वारा दिया गया साहस, संघर्ष और धैर्य के मंत्र को अपनाया।

12वीं करने के बाद उन्होंने पोलिटिकल साइंस से B.A किया। मनोज 2013 में NDA, 2017 में एयरफोर्स एवं 2018 में नेवी में चयनित हो ही गए थे परंतु वह इन तीनों परीक्षा में मेरिट लिस्ट में छँट गए। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार प्रयास करते रहे। आखिरकार मनोज आर्मी में अफसर बनने में सफल हुए।
इसे इत्तेफ़ाक समझें या इनके द्वारा किये गए कड़ी मेहनत का असर, पिता के शहीद होने के 23 साल बाद उन्हीं के रेजिमेंट में बेटा अफ़सर बन गया। ज़रा सोचिए कि यह क्षण उस माँ के लिए कितना खुशी से भरा होगा जिन्होंने अपने बेटे को इस रूप में देखने के लिए अपनी पूरी ज़िंदगी मेहनत की।
आज मनोज देहरादून में स्थित इंडियन मिलिट्री अकादमी से कमीशन पाकर लेफ्टिनेंट बन चुके हैं। ख़ास बात यह है कि उन्हे अपनी पहली पोस्टिंग पिता सहीद चंद्र सिंह जी के रेजिमेंट 317 फील्ड आर्टलरी में ही मिला है।
पहली पोस्टिंग आउट परेड में उनके घर के लोगों का जाना मना था इसीलिए उनकी मां ने अपने बेटे को वीडियो में देखा। उस वक्त उनकी आँखों में खुशी के आंसू आ गए। उनके मुँह से सिर्फ इतना ही निकल पाया- “आज मेरी वर्षों की तपस्या सफल हो गई।”

उनकी मां कहती हैं कि मैंने अपने पति की दी हुई सीख पर आने वाली जिंदगी में अकेले चलने का फैसला लिया। उन्होंने अपने बच्चों को हिसार के आर्मी स्कूल में पढ़ाया, खुद भी एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका के तौर पर नौकरी की। उन्होंने बच्चों को साहस, संघर्ष और धैर्य की शिक्षा दी है। उनकी शुरू से ही इच्छा थी कि उनका बेटा आर्मी में ऑफिसर बने या IAS ऑफिसर बन कर देश की सेवा करे। अब उनका सपना पूरा हो गया है।
मनोज ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि वह आज अपनी मां के वजह से ही सफल हुए है। उनकी मां उन्हें हमेशा सेना में जाने की हिम्मत देती थी।
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