बहुत कम ऐसे लोग होते है जो अपने छोटी सी उम्र में ही सफलता हासिल कर लेते हैं। आज हम आपको एक ऐसे इंसान के बारे में बताएंगे जो मात्र 19 साल की उम्र में सफलता की बुलंदियों पर पहुँच गए। आइये जानते है उनके बारे में।
कठिन संघर्षों के बीच शुरू की कंपनी
कठिन संघर्षों का सामना करते हुए मुंबई के रहने वाले अमित शाह ने कम उम्र में अपनी खुद की कंपनी खड़ी कर दी। आज वो करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। उन्होंने अपने फैमिली बिज़नेस को मना करते हुए खुद की पहचान बनाने की ठानी।
कुछ इस तरह शुरू किया बिज़नेस
अमित शाह मुंबई के रहने वाले हैं। उनके परिवार का अपना कपड़ों का बिज़नेस था। वह चाहते तो अपने फैमिली बिज़नेस को ही अपना करियर बना सकते थे। लेकिन अमित ने खुद अपनी पहचान बनाने का निर्णय किया।
पत्थर और संगमरमर का बिजनेस करने की सोची
अमित ने देखा कि भारत में पत्थर और संगमरमर बिज़नेस में संभावनाएं अपार है। इसलिए उन्होंने फैमिली बिज़नेस करने से मना कर दिया और संघर्षों का सामना करने निकल पड़े। अमित ने 1994 में अपने पारिवारिक बिज़नेस को मना करने के बाद मार्बल इंडस्ट्री में प्रवेश किया।
कई मुश्किलों से गुजरना पड़ा
उन्होंने विदेशी संगमरमर की किस्मों का काम शुरू किया और इसे अमीर खरीदारों को बेचने लगे। इस तरह क्लासिक मार्बल कंपनी (सीएमसी) की शुरुआत अमित ने की। इसके बाद उन्होंने इस बिज़नेस से जुड़ी और जानकारी एकत्र करनी शुरू की। अमित के लिए यह सब करना इतना आसान नहीं था। उन्हें कई मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा।
हमेशा हौसला बनाए रखा
अमित ने अपने बिज़नेस की शुरूआत करने के बाद कई परेशानियों का सामना किया। जैसे कि एक असंगठित क्षेत्र में काम करना, प्रतिकूल विनिर्माण नीतियां, कच्चे माल की खरीद में कठिनाई आदि। शुरू में उन्हें अपने नेटवर्क को स्क्रैच से बनाना पड़ा। उन्हें अपने बिज़नेस में रिश्तों के निर्माण के लिए समय लगा। इसके साथ ही एक अन्य चुनौती कच्चे माल की खरीदी थी। जिसके लिए सबसे अच्छे प्राकृतिक पत्थर के स्रोत के लिए दुनिया भर में खदानों के साथ टाई अप किया जाना जरूरी था।
कलिंगास्टोन ब्रांड के तहत शुरू किया काम
अमित ने परेशानियों से जूझते हुए कलिंगास्टोन ब्रांड के तहत प्रोडक्ट का निर्माण शुरू किया। तब भारत में 2009 में मिश्रित संगमरमर का उत्पादन शुरू करने वाले पहले संयंत्र थे। कच्चे माल को सुरक्षित करना, सही संसाधन प्राप्त करना और कलिंगस्टोन के लिए आरएंडडी करना सबसे चुनौतीपूर्ण चरणों में से एक था।
मार्केट में बनाई पहचान
धीरे-धीरे कर अमित फ्रंट-रनर बन गए। उनके स्वदेशी ब्रांड कलिंगस्टोन ने स्थानीय स्तर के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव डाला। अब इसे 66 से अधिक देशों में निर्यात किया जा रहा है। इसे प्रौद्योगिकी और इनोवेशन के मामले में सर्वश्रेष्ठ में गिना जाता है। जिस देश में इसे निर्यात किया जाता है, उसके हिसाब से इसे विभिन्न शैलियों, डिजाइनों और रंगों के साथ क्यूरेट किया जाता है।
अब तक 20 से अधिक कलिंगस्टोन शोरूम खोल लिया है
वर्तमान में अमीत ने अपने डीलरों के माध्यम से 20 से अधिक कलिंगस्टोन शोरूम खोले हैं। उनकी योजना अगले वित्तीय वर्ष में इस संख्या को 150 तक ले जाने की है।
अमित की कंपनी आज साल में करोड़ों का टर्नओवर कर रही है। अमित आज अपनी मेहनत और लगन के दम पर सफल हुए हैं।