नव रत्न में मोती भी होता है। मोती चन्द्र ग्रह का रत्न है। मोती को अंग्रेज़ी में ‘पर्ल’ कहते हैं। मोती सफ़ेद, काला, आसमानी, पीला, लाल आदि कई रंगों में पाया जाता है। मोती समुद्र से सीपों से प्राप्त किया जाता है। मोती एक बहुमूल्य रत्न है जो समुद्र की सीपी में से निकलता है और छोटा, गोल तथा सफ़ेद होता है। मोती को उर्दू में मरवारीद और संस्कृत में मुक्ता कहते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही इंसान के बारे में बताएंगे जो बाल्टी में मोती उगाते हैं और यह इससे लाखों का मुनाफा भी कमा रहे हैं। इनके मोती विदेशों में भी मशहूर है।
कौन है केजे माथचन ?
65 वर्षीय केजे माथचन अपने तालाब में हर साल 50 बाल्टी से अधिक मोतियों की खेती करते हैं। इनमें से अधिकांश मोतियों को ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, कुवैत और स्विट्जरलैंड निर्यात किया जाता है, जिससे उन्हें हर साल लाखों की कमाई होती है। यह पिछले दो दशकों से अपने आंगन में बाल्टी में मोती की खेती कर रहे हैं।

कैसे हुई शुरुवात ?
माथचन सऊदी अरब के ढरान में किंग फ़हद यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेट्रोलियम एंड मिनरल्स में दूरसंचार विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थे, इसी दौरान उन्हें अरामको ऑयल कंपनी की ओर से एक अंग्रेजी अनुवादक के रूप में चीन जाने का अवसर मिला। चीन यात्रा के दौरान वो वूशी स्थित दंशुई मत्स्य अनुसंधान केंद्र गए । मत्स्य पालन एक ऐसा क्षेत्र था, जिसमें उनकी हमेशा रुचि रही थी। इसलिए उनके कई पाठ्यक्रमों के बारे में जानकारियां इकठ्ठी करनी शुरू की। इसी क्रम में पता चला वे मोती उत्पादन से संबंधित डिप्लोमा कोर्स चला रहे हैं। यह उन्हें कुछ नया लगा और उन्होंने इसमें दाखिला लेने का फैसला किया।
मोती की खेती करना शुरू किया।
माथचन का पाठ्यक्रम छह महीने में पूरा हुआ और साल 1999 में उन्होंने अपने तालाब में मोती की खेती करनी शुरू कर दी। माथचन ने महाराष्ट्र और पश्चिमी घाटों से निकलने वाली नदियों से सीपों को लाया और उन्हें अपने घर में, बाल्टियों में उपचारित करने लगे और पहले 18 महीनों की खेती के फलस्वरूप 50 बाल्टी मोती उत्पादित हुआ ।

व्यापार में फायदा होने लगा।
माथचन ने 1.5 लाख रुपये खर्च किए थे और लगभग 4.5 लाख के मोतियों का उत्पादन हुआ, इस तरह उन्हें 3 लाख रुपए का फायदा हुआ।
क्या है खेती की प्रक्रिया।
वह नदियों से लाए गए सीपों को काफी सावधानी से खोलते हैं और इन्हें एक जीवाणु युक्त मेष कंटेनर में 15-25 डिग्री सेल्सियस गर्म पानी में पूरी तरह डुबो देते हैं। डेढ़ वर्षों में नाभिक, मोती के सीप से कैल्शियम कार्बोनेट जमा करके मोती का एक थैली बनाता है। इस पर कोटिंग की 540 परतें होतीं हैं, तब जाकर एक उत्तम मोती का निर्माण होता है। माथचन के ज्यादातर मोतियों को ऑस्ट्रेलिया, कुवैत, सऊदी अरब और स्विट्जरलैंड निर्यात किया जाता हैं, जहाँ संवर्धित मोतियों की काफी मांग है।
इस तरह हम कह सकते है कि मोती सिर्फ समुद्री सीपों में ही नही होती। मेहनत करके इनका अच्छा व्यापार किया जा सकता है।