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Wednesday, May 31, 2023

खेतों के काम के साथ-साथ पढ़ाई के खर्च के लिए ट्यूशन भी पढ़ाया, आज अपनी मेहनत से बन चुके हैं DSP

जो लोग विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी सफलता की मिसाल कायम करते हैं, वे न केवल समाज में बल्कि अपने आने वाले पीढ़ियों के लिए भी मिसाल बन जाते हैं। जरूरी नहीं कि अगर हम गरीबी माहौल में पले बढ़े हैं तो ताउम्र उसी गरीबी माहौल में रहे और सोच ले कि हमारी किस्मत में इतना ही था। कब किसकी जिंदगी पलट जाए वह कोई नहीं जानता मगर जिंदगी ऐसे ही नहीं पलटती उसे हमें पलटना पड़ता है, हम चाहे तो मेहनत करके कैसी भी परिस्थितियों से निकलकर अपनी एक अलग पहचान बना सकते हैं। आज की यह कहानी एक ऐसी ही व्यक्ति की है जिन्होंने गरीबी की दलदल से बाहर निकल कर अपनी मेहनत से अपने सपनों को पूरा किया और डीएसपी बनें।

आइए जानते क्या है किशोर कुमार रजक की कहानी

किशोर कुमार रजक झारखंड के बोकारो में रहने वाले हैं। इनका जन्म बेहद ही साधारण परिवार में हुआ था इनके पिता कोयला की खदान में काम करते थे। इनकी परवरिश बहुत ही साधारण तरफ से हुई है इनके यहां बिजली की भी सुविधा नहीं थी। इनकी पढ़ाई भी एक छोटे से स्कूल में ही हुआ है। मगर इन्होंने फिर भी अपनी मेहनत से डीएसपी का पद ग्रहण किया। किसी भी होनहार छात्र के लिए बड़ा स्कूल मायने नहीं रखता। भले स्कूल छोटा हो या बड़ा अगर विद्यार्थी सच्ची लगन और मेहनत से पढ़ें वह कुछ भी हासिल कर सकता हैं।

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Image credit: internet

सरकारी स्कूल से की है अपनी पढ़ाई पूरी

किशोर कुमार रजक ने अपनी शिक्षा सरकारी स्कूल से संपन्न किया हैं। जैसा कि हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि किसी भी होनहार विद्यार्थी के लिए छोटा या बड़ा स्कूल मायने नहीं रखता। इनके परिवार के पास इतना पैसा नहीं था कि इन्हें किसी बड़े स्कूल में पढ़ा सके। यहां तक की अधिक जमीन भी नहीं थी जहां पर खेती करें। इनके पिता कोयला के खदानों में काम करते थे जिनसे पर इनके परिवार का गुजर बसर चलता था। इनके पिता को हमेशा ही भरोसा था कि मेरा बेटा बड़ा होकर कलेक्टर बनेगा।

खेतों में भी करते थे काम

किशोर को जब पढ़ाई से वक़्त मिलता था तो वह खेतों में भी काम करते थे। इसके साथ-साथ गाय बकरी भी चराया करते थे। इनके पिता बताते हैं कि बचपन में यह बहुत शरारती भी थे। अक्सर यह पढ़ाई के वक्त स्कूल से खेलने चले जाते थे और छुट्टी के वक्त घर आते थे। इनकी इन्हीं शरारतो की वजह से 1 दिन इनके शिक्षक ने इनकी बहुत पिटाई की और समझाया कि अगर तुम ऐसे ही करोगे तो तुम अपने जीवन में सफल कैसे बनोगे। उसके बाद से ही उन्होंने मेहनत करना शुरू कर दिया और निश्चय किया कि मैं अपने जीवन में एक दिन सफलता जरूर हासिल करूंगा।

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आइए जानते हैं कैसे हासिल की आगे की शिक्षा

किशोर ने ग्रेजुएशन की शिक्षा इतिहास से की उसके बाद वह यूपीएससी की तैयारी में लग गए। यूपीएससी की तैयारी के लिए उन्होंने कुछ पैसे उधार लिए और दिल्ली आ गए ताकि वह अपनी परीक्षा की तैयारी अच्छी तरीके से कर सकें। आप सब जानते हैं कि बाहर रहने के लिए पैसे बहुत जरूरी चीज है। पैसों की कमी की वजह से कभी कभी किशोर कुछ काम करने के बारे में भी सोचते थे। इसीलिए उन्होंने ट्यूशन पढ़ाने की सोची। जिस रूम में वो रहते थे उन्हीं के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगे जिससे इनकी पैसे की दिक्कत थोड़ी कम हुई। उन्होंने साल 2011 में यूपीएससी की पहली प्रयास की और कामयाबी हासिल की। यूपीएससी परीक्षा के बाद असिस्टेंट कमांडेंट बने। आगे इनका सिलेक्शन डीएसपी के लिए हुआ। कहते हैं ना मेहनत से हम किसी भी मुकाम को हासिल कर सकते हैं।

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किशोर कुमार रजक अपने मेहनत और संघर्ष से डीएसपी का पद ग्रहण किया। इनकी कहानी सभी युवाओं के लिए प्रेरणादाई हैं। किशोर कुमार रजक की कहानी अगर आपको अच्छी लगी हो तो ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसे शेयर करें।

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