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Wednesday, May 31, 2023

असली संगीत के उस्ताद हैं ये लोक गायक अनवर खान, पद्मश्री से हो चुके हैं सम्मानित

केसरिया बालम आवोनी पधारो म्हारे देश यह गाना आपलोगों ने जरूर सुनी होगी।

जगजीत सिंह के एलबम ‘पधारो म्हारे देश’ के मुख्य गीत का मुखड़ा गाने वाले अनवर खां मांगणियार की कला की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम होगी। अपनी लोक कला के जरिए 55 से अधिक देशों में अपने हुनर का लोहा मनवाने वाले उस्ताद अनवर खां मांगणियार ने भारतीय लोक कला और संस्कृति को एक नई पहचान दी है। आइये जानते हैं उनके बारे में।

उस्ताद अनवर खां मांगणियार का परिचय

राजस्थान के लोकगायक उस्ताद अनवर खां मांगणियार करीब 55 देशों में अपनी लोक कला दिखाकर देश के लिए मिसाल बन चुके हैं। राजस्थान की रेतीली धरती पर अपने सुरों का जलवा बिखेरने वाले अनवर खां मांगणियार कई भाषाओं में गीत गाते हैं। उन्होंने कई हिन्दी फिल्मों में भी अपनी लोक गायकी का जलवा दिखाया है। उस्ताद अनवर खां राजस्थान की गलियों से निकलकर विदेशों में भारत का नाम रौशन किया है।

संगीत की शिक्षा मिली

राजस्थान के जैसलमेर जिले के छोटे से गांव ‘बहिया’ में लोक गायक रोजड़ खां के घर में जन्मे अनवर खां के दादा भी लोक गायक थे। उन्हें संगीत की शिक्षा विरासत के रूप में मिली। अनवर खां लोकगीत गाते हैं। उन्हें बचपन से ही संगीत में रुचि थी। अपने दादा को देख उन्होंने गाना सीखा। जिसके बाद चान्दण मुल्तान, सदीक खान जैसे उस्तादों से अनवर खां ने लोकगीत की बारीकियां सीखीं। अनवर खान के भाई बाबू खान और भतीजे रईस खान भी बेहद अच्छे गायक हैं। बाबू खान लोक वाद्य कमायचा तथा रईस खान सारंगी बजाते हैं।

लहरा चुके हैं गायकी का परचम

उस्ताद अनवर खां मांगणियार भारत सहित लगभग 55 देशों में अपनी लोक कला और गायकी का लोहा मनवा चुके हैं। उन्होंने कई हिन्दी फिल्मों में भी अपनी लोक गायकी से लोगों को मंत्रमुग्ध किया है। उस्ताद अनवर खां सूफी गायक भी हैं। जब वो सूफी शैली में लोकगीत गाते हैं तो लोग उनके गीतों पर झूमने को मजबूर हो जाते हैं। वह मारवाड़ी, राजस्थानी, हिन्दी, उर्दू, पंजाबी, सिन्धी भाषाओं में लोक संगीत को नई ऊँचाइयों पर पहुंचाना चाहते हैं। यही कारण है कि वो कई भाषाओं में लोक गीत गाते हैं।

गायकी से कर देते हैं मंत्रमुग्ध

उस्ताद अनवर खां मांगणियार जहां भी जाते हैं वहां के श्रोताओं को अपना दीवाना बना लेते हैं। उनका अपना दल है, जिसके माध्यम से देश विदेशों में लोक गीत संगीत के कार्यक्रम करते हैं। जब अपने कार्यक्रम में उस्ताद अनवर खान अपने गीतों का जादू बिखेरते हैं तो वहां हर कोई झूमने पर मजबूर हो जाता है। यही कारण है कि देश- विदेश में उनके प्रशंसक हैं।

जगजीत सिंह ने पहचानी कला

उस्ताद अनवर खां मांगणियार की कला को पहचानने का श्रेय मशहूर गज़ल गायक श्री जगजीत सिंह को जाता है। उन्होंने अपनी एलबम ‘पधारो म्हारे देश’ के मुख्य गीत का मुखड़ा उस्ताद अनवर खां मांगणियार को गाने को दिया था। उन्होंने अनवर खां की कला को पहचाना था। आज उस्ताद अनवर खां यही चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ियां लोक संगीत से परिचित हों।

सम्मानित हुए अनवर खां

अपनी लोक गायकी से दुनियाभर में भारत को एक नई पहचान दिलाने वाले उस्ताद अनवर खां मांगणियार की कला का हर कोई मुरीद है। यही कारण है कि उनकी लोक कला और गायकी को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च सम्मान ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया है। यही नहीं उस्ताद अनवर खां कई अन्य सम्मान से भी सम्मानित हो चुके हैं। लोक कलाकार उस्ताद अनवर खां मांगणियार का मानना है कि शास्त्रीय संगीत की आत्मा लोक गीतों में बसती है।

भारत सहित करीब 55 देशों में अपनी गायकी का परचम लहराने वाले उस्ताद अनवर खां मांगणियार आज लोक गीतों की दुनिया में बड़ा नाम हैं।

Shubham Jha
Shubham Jha
शुभम झा (Shubham Jha)एक पत्रकार (Journalist) हैं। भारत में पत्रकारिता के क्षेत्र में बदलाव लाने की ख्वाहिश रखते हैं। वह चाहते हैं कि पत्रकारिता स्वच्छ और निष्पक्ष रूप से किया जाए। शुभम ने पटना विश्वविद्यालय (Patna University) से पढ़ाई की है। वह अपने लेखनी के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करते हैं।

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