किसी भी छात्र के जीवन में परीक्षा की घड़ी बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। इस समय शांत मन से पढ़ाई करना ओर परीक्षा में सफल होना बहुत ज़रूरी होता है। परीक्षा के समय की गई चूक से किसी छात्र का पूरा साल बर्बाद हो जाता है, तो कोई छात्र प्रतियोगिता परीक्षा से बाहर हो जाता है। आज हम आपको एक ऐसे ही इंसान के बारे में बताएंगे जिनकी कॉपी शिक्षक ने फाड़ के फेंक दी थी। वो कई परीक्षाओं में फेल भी हुए लेकिन अपने हौसले और मेहनत के दम पर आज वो एक IAS अधिकारी हैं।
कौन हैं कौशलेंद्र विक्रम सिंह?
2009 कैडर के आईएएस अफसर कौशलेंद्र विक्रम सिंह मूल रूप से उत्तरप्रदेश के हरदोई जिले के महेशपुर गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता बिंद्रा सिंह सिंचाई विभाग में नलकूप चालक रहे हैं। एक छोटे से गांव में बेहद साधारण परिवार में जन्मे कौशलेंद्र ने अपने साहस, संघर्ष और सफलता के दम पर आज सर्वोत्तम मुकाम हासिल कर चुके हैं।

कौशलेंद्र की शिक्षा।
कौशलेंद्र ने गांव के ही सरकारी स्कूल में हिन्दी माध्यम से अपनी पूरी पढ़ाई की। कक्षा दूसरी की पढ़ाई के दौरान लिखने-पढ़ने में वो काफी कमजोर थे लिहाजा उन्हें अक्सर टीचर की मार पड़ती थी। एक बार कुछ गलत लिखने पर टीचर ने उनकी कापी फाड़कर फेंक दी थी। इस घटना ने उन्हें झकझोर दिया। इसके बाद उन्होंने मन में ठान लिया था कि इसी कक्षा में सबसे अव्वल आऊंगा। इंटरमीडिएट के बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे इलाहाबाद चले गए और आगे की तैयारी में जुट गए।

आगे की पढ़ाई जारी रखी।
इलाहाबाद से ग्रेजुएशन करने के बाद कौशलेंद्रजी जेएनयू और डीयू जैसे देश के अच्छे और चुनिंदा इंस्टीट्यूट में दाखिला लेना चाहते थे। पर उन्हें सफलता नही मिली। जिंदगी के इस कड़वे अनुभव के बाद भी उन्होंने उम्मीद नहीं हारी और एक बार फिर नए हौंसले के साथ जुट गए नेट की तैयारी में। लेकिन एक बार फिर किस्मत ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया और वो नेट क्लियर करने में नाकाम रहे।

कौशलेंद्र की मेहनत रंग लाई।
आखिरकार कौशलेंद्र की मेहनत रंग लाई। उन्होंने न सिर्फ पहले ही प्रयास में सिविल सर्विस जैसी कठिन परीक्षा पास की बल्कि जीआरएफ में भी शानदार नंबर लाकर सबको चौंका दिया। 2009 बैच के यह अफसर हमेशा अपने कामों के लिए चर्चा में रहते है।