चुनौतियां स्वीकार करना ही सफलता का मूल मंत्र है। जीवन में चुनौतियों से घबराना नहीं बल्कि मुकाबला कर सफलता के द्वार तक पहुंचना है। मनुष्य अपने जीवन में हमेशा सकारात्मक सोच लेकर ही जीना चाहिए और अपने जीवन में सफलता पाने के लिए कभी भी चुनौतियों से घबराना नहीं चाहिए। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अग्रसर रहना चाहिए। आज हम आपको एक ऐसे ही इंसान के बारे में बताएंगे जो चुनौती से घबरा कर नही बल्कि डट कर सामना किए ।
रमेश घोलप कौन है ?
रमेश घोलप का जन्म महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के वारसी तहसील स्थित एक छोटा सा गांव महागांव में हुआ था। वह गरीबी के कारण माँ के साथ घूमकर चूड़ी बेचा करते थे, अथक प्रयास से आज IAS बन चुके हैं। पैर में पोलियो, घर चलाने के पैसे नहीं, पिता की असमय मृत्यु और मां के साथ सड़क किनारे चूड़ी बेचने का काम। रमेश घोलप पर जिंदगी चुनौतियों के पहाड़ तोड़े जा रही थी और वे हर बार मुस्कुराकर खड़े हो जाते थे। मानों उनके कदम रुकने के लिये बने ही नहीं।

पोलियो की मार झेलनी पड़ी।
रमेश को बहुत कम उम्र में बायें पैर में पोलियो हो गया। पैसे की कमी को विकलांगता का साथ भी मिल गया था। पर कहते हैं न कि किस्मत उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते, शायद इसी तर्ज पर रमेश का पैर जरूर खराब हुआ था पर उनके कदम रुकने वाले नहीं थे। रमेश ने अपनी इस कमजोरी को कभी अपनी सफलता के रास्ते में नहीं आने दिया।

अच्छी शिक्षा ग्रहण की।
पिता की मौत के बाद परिवार का पेट पालने की समस्या आ गयी। ऐसे में रमेश की मां विमल घोलप सड़क किनारे चूड़ियां बेचकर गुजारा करने लगीं। उन्होंने भी चूड़ियां बेचीं। लेकिन शिक्षा के प्रति उनका झुकाव उन्हें निरंतर इसी दिशा में जाने के लिये प्रेरित करता था। रमेश ने बारहवीं के बाद स्नातक पास किया और शिक्षा के क्षेत्र में डिप्लोमा लेकर शिक्षक बन गए और अपने गांव में ही पढ़ाने लगे।

अफसर बनने की चाहत थी।
रमेश ने नौकरी छोड़ दी और दिन-रात यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी में लग गए। गरीबी आड़े आयी तो मां ने कर्ज लेकर रमेश को परीक्षा की तैयारी के लिये पुणे भेजा। रमेश ने पहला प्रयास 2010 में किया जिसमें वे सफल नहीं हुये। इसके बाद वे दोगुनी मेहनत से तैयारी में जुट गये और आखिरकार साल 2012 में यूपीएससी परीक्षा में 287वीं रैंक हासिल की। वर्तमान में रमेश झारखंड के खूंटी जिले में बतौर एसडीएम तैनात हैं।
यदि मन में किसी लक्ष्य को पाने की ठान ली जाए तो बड़े से बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है।