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Wednesday, March 22, 2023

IPS बनने के लिए कई सरकारी एवं प्राइवेट नौकरी को ठुकराया, आज IPS बन कर पा रहीं हैं अवार्ड

लोगो में एक आम धारणा है कि सरकारी नौकरी में भविष्य सुरक्षित होता है। समय पर बिना किसी काम के वेतन वृद्धि और प्रमोशन मिलता है और मरने पर परिवार को पेंशन मिलता है। वहीं लोग यह भी सोचते हैं कि प्राइवेट क्षेत्र में कार्य करने पर कम वेतन मिलता है और नौकरी में उतार चढ़ाव भी लगा रहता है। निजी क्षेत्र में नौकरी के परमानेंट होने की कोई गारंटी नही होना भी एक कारण है जिससे लोग सरकारी नौकरी को ज्यादा तवज्जों देते हैं।

हालाँकि पिछले कई सालों से सरकारी नौकरी से भी लोगों का मोह कम हो रहा हैं जिसके कई कारण हैं। जैसे नए लोगो को पेंशन का प्रावधान न होना, बायोमेट्रिक से हाजरी होना, छोटे पदों की समाप्ति के कारण कार्य का बोझ बढ़ना, सरकारों द्वारा ऑन लाइन की नई तकनीक का प्रयोग करना जिससे भ्रष्टाचार करने की गुंजायश कम हो गई है। इन कारणों से प्राइवेट ओर सरकारी नौकरी में कोई अधिक अंतर नही रह गया है। पर आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपने IPS बनने के सपने के लिए सिर्फ प्राइवेट ही नही बल्कि कई सरकारी नौकरियों को भी ठुकरा दिया।

जानिए IPS तृप्ति भट्ट की कहानी

तृप्ति भट्ट मूल रूप से अल्मोड़ा की रहने वाली हैं। उनके पिता एक शिक्षक हैं। तृप्ति वर्ष 2013 बैच की आईपीएस ऑफिसर है। स्कूल के दिनों से ही उनका एक ही सपना था, आईपीएस बनना। पर सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती हैं और उन्होंने मेहनत की और आज वो इस मुकाम पर हैं।

सरकारी नौकरी को ठुकराया।

तृप्ति ने उत्तराखंड के पंतनगर यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। B.Tech करने के बाद उन्हें कई बड़े सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों से जॉब ऑफर हुए। पर उनके मन में हमेशा आईपीएस बनने का सपना ही था।

सपने को साकार किया।

तृप्ति भट्ट जी जान से सिविल सर्विस की तैयारी में लगी रहीं। उनकी मेहनत आखिरकार रंग लायी। संघर्षों से भरे इस सफर के बाद आखिरकार वर्ष 2013 में UPSC की परीक्षा में सफलता हासिल की और उनका चयन IPS में हो गया। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद सबसे पहले उनका पोस्टिंग देहरादून के विकास नगर में हुआ, जहां उन्होंने खनन माफियाओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और एक के बाद एक कई कार्रवाई करते हुए खनन माफिया को जेल के अंदर भेज दिया।

करो’ना काल में भी अच्छा काम किया।

तृप्ति लंबे समय तक उत्तराखंड के चमोली जिले में एसएसपी के पद के साथ-साथ SDRF के मुख्य सेनानायक के पद पर भी कार्यरत थीं। क’रोना के समय उन्होंने बढ़ -चढ़ कर लोगों की सेवा की। SDRF द्वारा किए गए अच्छे सामाजिक कार्यों के लिए तृप्ति भट्ट को वर्ष 2020 में एक अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। क’रोना के दौरान उत्तराखंड पुलिस तथा एसडीआरएफ की टीम ने गरीब और जरूरतमंदों की सहायता करके मानवता की बेहद खूबसूरत मिसाल पेश की है। इसमें आईपीएस तृप्ति भट्ट ने भी काफी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था।

कार्य के लिए सम्मानित किया गया।

म’हामा’री के दौरान किये गए सराहनीय कार्य के लिए तृप्ति भट्ट को राष्ट्रीय स्तर पर स्कॉच अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। आईपीएस तृप्ति भट्ट ने इस अवार्ड को हासिल कर पूरे उत्तराखंड को गौरवान्वित होने का मौका दिया है।

हमें IPS तृप्ति जैसे अधिकारियों पर गर्व होना चाहिए।

Medha Pragati
Medha Pragati
मेधा बिहार की रहने वाली हैं। वो अपनी लेखनी के दम पर समाज में सकारात्मकता का माहौल बनाना चाहती हैं। उनके द्वारा लिखे गए पोस्ट हमारे अंदर नई ऊर्जा का संचार करती है।

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