आज हम आपको रिटायर नौसेना कमांडो बीएस उप्पल (BS Uppal) के बारे में बताएंगे, वे अपने 28 रूपये की कर्ज चुकाने के लिए अमेरिका (America) से भारत (India) आए। आइए जाने उनके बारे में…..
भारतीय नौसेना द्वारा बहादुर पुस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं।
बीएस उप्पल (BS Uppal) नौसेना के रिटायर कमांडर है। बीएस उप्पल भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तान के जहाज़ को डुबो देनेवाले भारतीय जहाज़ के कमांडर थे। भारतीय पनडुब्बी और सैनिको सुरक्षित भारत ले आने के कारण भारतीय सेना ने बहादुर पुरस्कार से सम्मानित किया था।
28 रुपया रह गया था बकाया
सेवानिवृति के बाद वह अपने बेटे के साथ अमेरिका रह रहे है। वह अमेरिका से हिसार हरियाणा (Hinsar, Hariyana) पहुंचे। वह अमेरिका से मोती बाजार स्थित दिल्ली (Delhi) वाले हलवाई के पास आए थे। उन्होंने बताया कि उन्हें दो बातें हमेशा याद आ रही थी कि वह हाजीराम हिंदू हाई स्कूल (Hajiraam Hindu High School) दसवीं पास करने के बाद कभी नहीं जा सके एवं दूसरा कि उन्हें शम्भू दयाल बंसल (Shambhu Dyal Bansal) को 28 रुपये देने को बाकी रह गया था।
भारतीय नौसेना में चयन के बाद हिंसार जाना नहीं हो पा रहा था संभव
उन्होंने स्वामी दयाल बंसल (Swami Dyal Bansal) को बताया कि उनके दादाजी शंभू दयाल बंसल को 1954 में उन्हें 28 रुपये देने थे परंतु अचानक शहर से जाना पड़ गया, उसके बाद उनका चयन नौसेना में कमांडर में हो गया फिर हिंसार हरियाणा आना नहीं हो पाया। वह स्कूल के छुट्टी के बाद हमेशा शंभू दयाल बंसल के दुकान पर दही की लस्सी में पेड़ डालकर पिया करते थे जिसका 28 रुपये बकाया रह गया था।

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85 वर्ष के आयु में ऋण चुकाने आये
वह अपने इसी कार्य को पूरा करने के लिए अमेरिका से भारत आए थे। उनकी उम्र 85 वर्ष हो चुकी है एवं वह दयाल बंसल को 10,000 रुपये हाथ में रख दिए और बोले कि ऋण के लिए कृपया यह राशि स्वीकार कर लो, मैं अमेरिका से विशेष रूप से इसी कार्य के लिए आया हूं, उस समय की राशि आज इतनी तो हो ही गई होगी एवं मैं अपनी ऋण चुकाना चाहता हूं।
स्कूल बंद होने के कारण नहीं जा पाए स्कूल
तब बीएस उप्पल अपने हाजीराम हिंदू हाई स्कूल गए जहाँ से उन्होंने 10वीं पास किए थे लेकिन स्कूल बंद देखकर उन्हें निराश लौटना पड़ा।