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Wednesday, March 22, 2023

‘रत्ती भर’ मुहावरा का इस्तेमाल तो आप भी करते होंगे, लेकिन आज जानिए क्या होता है ‘रत्ती’ का मतलब…

कहावतें,लोकोक्तियाँ,मुहावरे ऐसी बातें जो वर्षों के अनुभव के आधार पर हमारे बुजुर्गों ने सीख के तौर पर कहनी शुरू की थी। आज वही मुहावरे मौसम, जानवर, प्रकृति या इंसानी प्रवृति पर बोली जाती हैं। (Ratti plant)

इन मुहावरों की बातें निश्चित तौर पर सच के करीब होती हैं और इनका इस्तेमाल उदहारण की तरह किया जाता है। एक ऐसा ही मुहावरा है ‘रत्ती भर’। जिसका इस्तेमाल अक्सर भारत के ग्रामीण करते आ रहे हैं। पर क्या आपको पता है कि रत्ती एक प्रकार का पौधा होता है। आइये जानते हैं इसके बारे में।

रत्ती एक प्रकार का पौधा (Ratti plant)

जब हमें किसी पर बहुत गुस्सा आता है तो हम कह बैठते हैं तुम्हें रत्ती भर भी शर्म नहीं है। हममें से अधिकतर लोग रत्ती का यही अर्थ निकालते हैं कि “जरा सी भी”।बोलने वाला भी यही सोच कर बोलता है और सुनने वाला भी इसी अर्थ में लेता है। पर असल में इसका कुछ और ही अर्थ तथा उपयोगिता है। आपको यह जानकर बहुत ही हैरानी होगी कि यह एक प्रकार का पौधा है। रत्ती के दाने काले और लाल रंग के होते हैं। यह बहुत आश्चर्य का विषय सबके लिए है।

रत्ती में मटर जैसे दाने (Ratti plant)

जब आप इसे छूने की कोशिश करेंगे तो यह आपको मोतियों की तरह कड़ा प्रतीत होगा। इस पौधे को ज्यादातर आप पहाड़ों में ही पाएंगे अगर आप इसके अंदर देखेंगे तो इसमें मटर जैसी फली में दाने होते हैं। यह पक जाने के बाद पेड़ों से गिर जाता है। रत्ती के बीज तंत्र मंत्र में भी उपयोग किए जाते हैं। ये तांत्रिकों के बीच जितने मशहूर हैं उतने ही आयुर्वेद चिकित्सा में भी इनका प्रयोग किया जाता है। इसका आयुर्वेद में सबसे ज्यादा प्रयोग होता है।

मुँह के छाले ठीक (Ratti plant)

इसके पत्ते चबाने से मुह के छाले ठीक हो जाते है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि फली की आयु कितनी भी क्यों ना हो उसके अंदर उपस्थित बीजों का वजन हमेशा एक समान रहता है। एक मिलीग्राम का भी फर्क नहीं होता। ठोस मान्यता है कि इंसान द्वारा बनाई गई मशीन है एक बार गलती कर सकती हैं परंतु पौधे के बीज यानी ‘रत्ती’ का वजन कभी बदल नही सकता। इसके अंदर के बीजों का वजन सदैव एक जैसा रहता है।

सोना मापने में इस्तेमाल (Ratti plant)

जब वैज्ञानिकों को इसके खूबी के बारे में पता चला तो ईसकी जांच पड़ताल शुरू की गई। जांच पड़ताल के बाद सामने आया कि प्राचीन काल में कोई मापने का सही पैमाना नहीं था। इसी वजह से रत्ती का इस्तेमाल सोने या किसी जेवरात के भार को मापने के लिए किया जाता था। वहीं सात रत्ती सोना या मोती माप के चलन की शुरुआत मानी जाती है। यह सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे एशिया महाद्वीप में भी इस प्रक्रिया को अपनाया जाता था।

रत्ती एक भारतीय पौधा
(Ratti plant)

अगर रत्ती के पौधे की बात की जाए तो रत्ती का पौधा मूल रूप से भारतीय है और यह देश के मैदानी और हिमालय के क्षेत्र में यह पाया जाता है। इसके अलावा दुनिया के कई अन्य हिस्से जैसे सीलोन, चीन, दक्षिण-अफ्रीका, ब्राजील और वेस्ट इंडीज में भी रत्ती का पौधा उगाया जाता है। सदियों से रत्ती का प्रयोग पारंपरिक चिकित्सा और विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के इलाज के रूप में भी किया जाता रहा है। वहीं कई प्राचीन भारतीय ग्रंथों में इसे जहरीला भी बताया गया।

Disclaimer: इस आर्टिकल को लिखने का केवल एक उद्देश्य है कि हम अपने पाठकों के साथ इस जानकारी को साझा कर सकें। इसके इस्तेमाल के पहले आप अपने स्तर से जरूर जांच लें।

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Shubham Jha
Shubham Jha
शुभम झा (Shubham Jha)एक पत्रकार (Journalist) हैं। भारत में पत्रकारिता के क्षेत्र में बदलाव लाने की ख्वाहिश रखते हैं। वह चाहते हैं कि पत्रकारिता स्वच्छ और निष्पक्ष रूप से किया जाए। शुभम ने पटना विश्वविद्यालय (Patna University) से पढ़ाई की है। वह अपने लेखनी के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करते हैं।

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