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Wednesday, May 31, 2023

लकवाग्रस्त पैर से माँ के साथ घूम-घूम कर बेची चूड़ियाँ, कड़ी मेहनत से बन गए IAS

लगभग सभी UPSC परीक्षा पास करने वाले प्रतिभागियों का जीवन प्रेरणादायक रहता है। वैसे भी यूपीएससी सबसे कठिन परीक्षाओ में से एक है। यूपीएससी पास करना खुद में एक बड़ी बात है। आज हम आपको IAS अधिकारी रमेश घोलप की कहानी बताएंगे जिन्होंने विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए भी अपने लक्ष्य को हासिल किया।

IAS रमेश घोलप

IAS रमेश घोलप महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के बरसी महागांव के रहने वाले है। रमेश का बचपन बहुत ही मुश्किल भरा रहा। रमेश के पिताजी गोरख घोलप साइकिल की मरम्मत का दुकान चलाते थे। उनके परिवार में सिर्फ उनके पिता ही कमाने वाले थे और उनको भी शराब की लत ऐसी लगी थी कि उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो गई थी। घर में पैसे कमाने वाला कोई नहीं था तब मजबूरन उनकी मां को गांव में घर-घर घूम कर चूड़िया बेचने का काम करना पड़ा। रमेश भी अपने मां के साथ साथ चूड़ियां बेचने लगे।

फिर भी हार नहीं मानी

इतना कुछ होने के बाद भी इनके जिंदगी में अभी भी इससे कुछ ज्यादा बुरा होना बाकी था। रमेश का एक पैर बचपन में ही लकवाग्रस्त हो गया। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव एक छोटे से स्कूल से हासिल की। लेकिन गांव में उच्च विद्यालय नही था इसीलिए उन्हें आगे की पढ़ाई करने के लिए अपने चाचा के घर जाना पड़ा। रमेश बचपन से ही पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। वो अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए और मन लगाकर पढ़ाई करने लगे। उन्हें शिक्षकों का भी भरपूर सहयोग मिला।

पिताजी भी गुज़र गए

2005 में रमेश की 12वीं की परीक्षा होने वाली थी इसी बीच उनके पिताजी भी गुजर गए क्योंकि घर में पैसे की कमी के कारण उनका सही से इलाज़ नहीं हो पाया। रमेश की आर्थिक स्थिति उस समय इतनी खराब थी कि उनके पास पिता के अंतिम संस्कार में जाने के लिए किराया भी नहीं था। दिव्यांग सर्टिफिकेट होने की वजह से उन्हें मात्र 2 रुपए किराया लगता था लेकिन उनके पास यह भी नहीं था इसीलिए उन्होंने अपने एक पड़ोसी से मदद ली और अंतिम संस्कार में गए। रमेश ने 12वीं फाइनल परीक्षा दिया और 88.5% अंक से पास हुए। रमेश अपने गांव में हो रहे भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहते थे इसीलिए उन्हें खुद को मजबूत बनाना था।

शुरू में शिक्षक बनने का सोचा

उन्होंने 12वीं की परीक्षा देने के बाद शिक्षक के नौकरी पाने के लिए D.ED किया और ओपन युनिवर्सिटी से आर्ट्स विषय में ग्रेजुएशन किया। रमेश को 2009 में शिक्षक की नौकरी भी मिल गई। लेकिन शिक्षक बन कर वो भ्रष्टाचार खत्म नहीं कर सकते थे इसीलिए उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा देने का निश्चय किया। उन्होंने कुछ पैसे माँ से लिया और कुछ पैसों का इधर उधर से जुगाड़ किया, 6 महीने की छुट्टी ली और यूपीएससी की तैयारी करने पुणे चले गए। रमेश पहली बार यूपीएससी परीक्षा में सफल नहीं हो पाए। उन्होंने अपनी मां को पंचायत के चुनाव में खड़ा किया लेकिन वो जीत नहीं पायी। तब उन्होंने निश्चय किया कि जब तक वे यूपीएससी पास नहीं करेगे तब तक वो अपने गांव नहीं आएंगे।

असफलता के बावजूद हिम्मत नहीं हारे

पहली बार में मिली असफलता के बाद रमेश फिर से यूपीएससी परीक्षा के तैयारी में लग गए। रमेश स्टेट इंटरव्यू ऑफ़ एडमिनिस्ट्रेटिव करियर की परीक्षा पास कर गए जिसकी वजह से उन्हें रहने खाने की व्यवस्था मिल गई। आखिरकार उन्होंने साल 2012 में बिना किसी कोचिंग के यूपीएससी परीक्षा 287वीं रैंक लाकर पास की। रमेश IAS ऑफिसर बन कर अपने गांव आये। रमेश वर्तमान समय में झारखंड में ऊर्जा विभाग में बतौर जॉइंट सेक्रेटरी (संयुक्त सचिव) के पद पर तैनात हैं।

Medha Pragati
Medha Pragati
मेधा बिहार की रहने वाली हैं। वो अपनी लेखनी के दम पर समाज में सकारात्मकता का माहौल बनाना चाहती हैं। उनके द्वारा लिखे गए पोस्ट हमारे अंदर नई ऊर्जा का संचार करती है।

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