23.1 C
New Delhi
Wednesday, May 31, 2023

झूग्गी में रहने वाले बच्चों को फ्री में पढ़ाते थे ये सिपाही, ट्रांसफर होने पर रोने लगे बच्चे, देखें वीडियो

छात्रों के जीवन में शिक्षक का विशेष महत्व है क्योंकि शिक्षक ही छात्रों को जीवन में सबसे महत्वपूर्ण आधार होते हैं। इंटरनेट पर शिक्षक और छात्रों के बीच प्रेम संबंध को देखा जा रहा है इस वायरल वीडियो में शिक्षक का ट्रांसफर कहीं और हो जाने पर बच्चे फूट फूट कर रोने लगते है। यह वीडियो भावुक कर देने वाला है।

उन्नाव के जीआरपी में तैनात है सिपाही रोहित

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के उन्नाव (Unnav) में एक जीआरपी (GRP) में तैनात सिपाही रोहित (Rohit) का तबादला होने पर स्कूल के बच्चे रोने लगे। रोहित ने 4 साल पहले 5 बच्चों के साथ खुले आसमान के नीचे स्कूल की शुरुआत की थी। झुग्गियों में रहने वाले इन बच्चों को शिक्षा से जोड़ते-जोड़ते संख्या 100 के पार हो गई थी। इस लंबे सफर के बाद रविवार को रोहित का तबादला झांसी कर दिया गया है।

उन्नाव के कोरारी रेलवे स्टेशन पर दे रहे थे अपनी सेवाएं

हालांकि वर्ष 2005 में रोहित की पुलिस सेवा में तैनाती हुई थी। इसके बाद रोहित का ट्रांसफर वर्ष 2018 झांसी सिविल पुलिस जीआरपी में हो गया। उन्नाव के “कोरारी रेलवे स्टेशन” में रोहित ने अपनी सेवाएं देनी शुरू कर दी।

बच्चों को पढ़ाने का ख्याल आया

ड्यूटी के दौरान रोहित ने वहां के आसपास के गरीब बच्चों को घूमते हुए देखा। इधर-उधर बच्चों को बेकार घूमते हुए बच्चों को देखकर रोहित के मन में उन को पढ़ाने की इच्छा हुई। इसके बाद सिपाही रोहित बच्चों से बात की लेकिन बच्चों के परिवार वालों ने उनको स्कूल भेजने को लेकर कोई इच्छा जाहिर नहीं की।

देखें वीडियो

यह भी पढ़ें: इन आसान तरीकों से प्लास्टिक बॉटल्स से बनाए घर सजाने का सामान, जाने तरीका

रात में करने लगे ड्यूटी

बच्चों को समय देने के लिए खुद नाइट शिफ्ट में काम करने लगे। और दिन में खुली छत के नीचे बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू किया पहले कम संख्या में बच्चे आते थे लेकिन धीरे-धीरे बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगी। रोहित ने बच्चों को पढ़ाने के लिए दो और शिक्षक रख लिए। ताकि अधिक से अधिक बच्चों को भरपूर शिक्षा मिल सके इतना ही नहीं वह अपनी वेतन में से ₹10000 प्रति माह बच्चों की पढ़ाई पर खर्च करते थे।

पंचायत भवन में लगाई गई बच्चों की कक्षा

इस बात की जानकारी तत्कालीन डीपीआरओ राजेंद्र (DPRO Rajendra) को हुई तो उन्होंने पंचायत भवन की चाबी रोहित को दे दी। इसके बाद पंचायत भवन में ही बच्चों की क्लास लगनी शुरू हो गई। यहां तक की सभी बच्चों का नामांकन सिपाही रोहित ने परिषदीय विद्यालयों में करवा दिया ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके।

विदाई पर रोने लगे बच्चे

“हर हाथ कलम पाठशाला” की स्थापना जीआरपी सिपाही रोहित ने की थी। जब उनका ट्रांसफर हुआ तो बच्चे रोने लगे वहां के प्रधान एवं गांव के लोग पूरे गाजे-बाजे के साथ उन्हें विदाई दी। हालांकि यह पल उनकी जिंदगी में भावुक कर देने वाला पल था।

Medha Pragati
Medha Pragati
मेधा बिहार की रहने वाली हैं। वो अपनी लेखनी के दम पर समाज में सकारात्मकता का माहौल बनाना चाहती हैं। उनके द्वारा लिखे गए पोस्ट हमारे अंदर नई ऊर्जा का संचार करती है।

Related Articles

Stay Connected

95,301FansLike
- Advertisement -