“जो बुरे वक्त को बदलने की ख्वाहिश दिल में पाल लेते हैं। अपनी मेहनत से वो अपनी किस्मत की लकीरें बदल देते हैं”
यह पंक्ति टोक्यो पैरालंपिक की निशानेबाजी प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतने वाले श्री सिंहराज अडाना पर सही बैठती है। पोलियोग्रस्त होने के कारण सिंहराज अडाना जी शारीरिक रूप से अक्षम हैं। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपनी कमजोरियों को कभी खुद पर हावी नहीं होने दिया। आइये जानते है उनके बारे में।
शारीरिक रूप से अक्षम सिंहराज
हरियाणा के बहादुरगढ़ के रहने वाले सिंहराज अडाना पोलियोग्रस्त हैं। जिसके कारण वह शारीरिक रूप से अक्षम हो गए। उनके दोनों पांवों में पोलियो है और वह बैसाखी के सहारे चलते थे। उनकी माँ और परिवार के अन्य सदस्यों ने उन्हें बिना सहारे के पांवों पर खड़ा होने के लिये प्रेरित किया। जिसके बाद उन्होंने अपनी इस कमजोरी को कभी खुद पर हावी होने नहीं दिया।

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सिंहराज को भतीजे ने दी प्रेरणा
सिंहराज के भतीजे निशानेबाज हैं। जब वह अभ्यास करते थे तो उनके भतीजे के कोच ने सिंहराज से भी निशानेबाजी में हाथ आजमाने को कहा। उन्होंने पहली बार में ही पांच में से चार निशाने सही लगाये। इनमें परफेक्ट 10 भी शामिल था। जिसके बाद कोच ने निशानेबाजी के खेल में श्री सिंहराज को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
पत्नी ने बेच दिए गहने
सिंहराज अडाना के निशानेबाज बनने और उसकी तैयारी कराने के लिए उनकी पत्नी ने अपने गहने तक बेच दिए थे। सिंहराज अडाना की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह तैयारी का पूरा खर्च उठा सके। इसे देखते हुए उनकी माँ ने उन्हें कोई सामान्य नौकरी करने की भी सलाह दी ताकि घर का खर्च चल सके। लेकिन सिंहराज अडाना ने निशानेबाज बनने का फैसला कर लिया था।

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पदक जीतकर रच दिया इतिहास
श्री सिंहराज अडाना ने अपनी मेहनत के बदौलत टोक्यो पैरालंपिक में भाग लिया। उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक की निशानेबाजी प्रतियोगिता में भारत के लिए कांस्य पदक जीतकर नया इतिहास रच दिया। सिंहराज अडाना की मेहनत और उनके प्रदर्शन की आज हर कोई सराहना कर रहा है।