गरीबी एवं ख़राब स्थिति इंसान को कुछ भी करने पर मजबूर कर देती है। आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताएंगे जो पैसे के लिए 2014 में मैराथन दौड़ गई थीं। आइये उनके बारे में जानते हैं…
यह कहानी महाराष्ट्र की रहने वाली लता खरे की है। वह खेतों में मजदूरी करके अपने घर की खर्चे उठाती थीं। उनके पति एक दिन अचानक बुरी तरह से बीमार हो गए। डॉक्टर ने उन्हें MRI कराने को कहा जिसके लिए उन्हें 5,000 रुपये की जरूरत आन पड़ी। 5,000 रुपये का बंदोबस्त करना लता जैसी गरीब महिला के लिए बहुत बड़ी बात थी। उनके ऊपर तो जैसे आसमान ही टूट पड़ा। यह रकम इतनी ज्यादा थी कि लता ने तब तक इतना रुपया देखा भी नहीं था। लता को समझ नहीं आ रहा था कि इतना रुपया कहाँ से लाये? कौन देगा इतना रुपया?

तब, गाँव के ही किसी व्यक्ति ने लता को बताया कि गाँव के पास ही एक मैराथन प्रतियोगिता आयोजित होने जा रही है। इसमें प्रथम आने वाले व्यक्ति को 5,000 रुपये का इनाम मिलेगा। ऐसे तो लता को मैराथन के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था लेकिन उनके सामने 5,000 रुपये की जरूरत आन पड़ी थी जो किसी तरह उन्हें जुटाना ही था। विकट परिस्थिति का सामना कर उन्होंने मैराथन दौड़ने का फैसला लिया। उन्होंने संकल्प लिया कि कैसे भी करके उन्हें यह 5,000 रुपया जीतना ही है।

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लता ने चप्पल एवं साड़ी में ही मैराथॉन में भाग लिया। तेज़ दौड़ने की वजह से उनकी चप्पल रास्ते में ही टूट गई लेकिन लता इसे नजरअंदाज करते हुए दौड़ती रही। लता ने सबको पीछे छोड़ते हुए मैराथन में प्रथम स्थान प्राप्त किया। लता को 5,000 रुपये से सम्मानित किया गया जिससे उन्होंने अपने पति का इलाज़ कराया।

इस मैराथन को जीतने के बाद तो लता ने चप्पल एवं साड़ी में ही कई मैराथन में हिस्सा लिया एवं महिलाओं के लिये आदर्श स्थापित किया। इस पोस्ट को शेयर करके लता जी का हौसला ज़रूर बढ़ाएं।