अस्तित्व में मौजूद हर वस्तु में ऊर्जा है। मनुष्य के भीतर भी ऊर्जा का असीम स्रोत है, लेकिन वह कभी यह विश्वास नहीं कर पाता है कि ऐसी अद्भुत और विलक्षण ऊर्जा उसके भीतर निहित है। मनुष्य अगर ठान ले, तो इस ऊर्जा की बदौलत कुछ भी कर सकता है। मनुष्य अपनी ऊर्जा को हर जगह खोजता है, लेकिन अपने भीतर झांककर नहीं देखता। वह हथेलियों से अपनी आंखें ढककर अंधकार की शिकायत जरूर करता है, लेकिन अपने भीतर नहीं झांकता।
मनुष्य के लिए कुछ भी असंभव नहीं है, लेकिन दुख की बात है कि उसे स्वयं पर ही विश्वास नहीं होता कि उसके भीतर इतनी शक्तियां विद्यमान हैं। आज हम आपको एक ऐसे इंसान के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपने अंदर के ऊर्जा को पहचान कर अपने जीवन की तमाम कठिनाइयों का सामना करते हुये IAS अफ़सर बनकर अपने भाग्य रेखा को बदल दिया।

नवजीवन पवार का परिचय।
नवजीवन मूलरूप से महाराष्ट्र के नासिक जिले के गांव नवीबेज के रहने वाले हैं। उनके पिता किसान हैं। माता प्राइमरी स्कूल में टीचर हैं। बचपन से ही वह पढ़ाई में अच्छे थे। उन्होंने स्कूली एजुकेशन पूरी करने के बाद सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद सिविल सेवा की तैयारी करने की ठान ली और उसकी पढ़ाई में लग गए।
दिल्ली में शुरू की तैयारी ।
नवजीवन UPSC की तैयारी करने के लिए दिल्ली आ गए। यहां आकर उन्होंने पूरा मन लगा कर पढ़ाई शुरू कर दी, लेकिन नवजीवन ने तैयारी के लिए किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया। वो हमेशा सेल्फ स्टडी पर ही निर्भर थे। दिल्ली में रहकर उन्होंने खुद से दिल लगा कर पढ़ाई शुरू की।

मेन्स के परीक्षा में हुआ डेंगू
UPSC मेंस के परीक्षा के एक महीने पहले नवजीवन को तेज बुखार और शरीर में दर्द होने लगा और जब वो अस्पताल गए तो उनको पता चला कि उनको तो डेंगू हो गया है । इतना ही नहीं उन्हें एक कुत्ते ने भी काटा और उनका फोन भी गुम हो गया। एक के बाद एक हादसे होने के बाद नवजीवन अपने दोस्तों के कहने पर एक ज्योतिषी के पास अपना हाथ दिखाने के लिए गए। नवजीवन के हाथ को देखते हुए ज्योतिषी ने कहा कि 27 वर्ष की उम्र तक तुम आईएएस नहीं बन पाओगे। वो घर वापस चले गए । वहां जा कर उनको तुरंत अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। इस दौरान अस्पताल में एक हाथ पर डॉक्टर इंजेक्शन लगा रहे थे और दूसरे हाथ में उनकी तैयारी वाली किताब रहती थी।
दोबारा शुरू की तैयारी, अंततः सफलता मिली।
15 दिनों बाद जब उनको डेंगू से आराम मिला तो वापस लौटकर दिल्ली गए, लेकिन इस बार वे काफी डिप्रेस हो चुके थे। वो काफी परेशान रहने लगे थे, तब उनके दोस्त ने उनके हिम्मत को बढ़ाया और उनको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और उन्होंने फिर से अपनी तैयारी शुरू कर दी।

आखिरकार साल 2018 में उनकी मेहनत रंग लाई। उन्होंने UPSC की परीक्षा पास कर 316वीं रैंक हासिल की थी और IAS अफसर बने। नवजीवन ने हाथ की लकीरों पर भरोसा न कर के अपनी मेहनत भरोसा किया और आज परिणाम सबके सामने है।