खीरा और गर्मियां साथ-साथ आती हैं। खीरा में कई पोषक तत्व होते हैं, जो उसे सेहत के लिए जरूरी बना देते हैं। खीरा को मिनरल, विटामिन और इलेक्ट्रोलाइट्स का पावरहाउस कहा जाता है। यह सैंडविच, सलाद, रायता में सबसे खास पसंद होता है। गर्मियों में खीरा किसी न किसी रूप में जरूरी खाया जाता है। अगर हम बात करे खीरे के छिलके की तो हम सोचते है की इसके छिलके का क्या काम? पर आज खीरे के छिलके को उपयोग में लाने के लिए IIT ने नया खोज किया है। IIT ने छिलके से पैकेजिंग मटेरियल, बनाया है। जिससे समान पैक करने के लिए प्लास्टिक की जरूरत नही होगी।
जैविक रूप से नष्ट हो सकती है प्लास्टिक।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान IIT , खड़गपुर के शोधकर्ताओं की टीम के अनुसार, खीरे के छिलके में अन्य छिलके के अपशिष्ट की तुलना में अधिक सेल्यूलोज सामग्री होती है। इन छिलकों से प्राप्त सेल्युलोज के सूक्ष्म स्फटिकों का उपयोग खाद्य पैकेजिंग सामग्री बनाने के लिए किया जा सकता है जो जैविक रूप से नष्ट होने वाली सामग्री और इसकी पैकिंग में सामग्री नम नहीं होती है।

हमें नष्ट न होने वाले प्लास्टिक से बचना चाहिए।
हमें कभी न नष्ट होने वाले प्लास्टिक के इस्तेमाल से बचना चाहिए। ये कभी नष्ट नही हो सकते है। यह हमारे पर्यावरण के लिए भी घातक है। लेकिन अभी भी कभी न नष्ट होने वाले प्लास्टिक, खाद्य पैकेजिंग सामग्री के रूप में एकल प्रयोग के प्लास्टिक का प्रचलन बड़े पैमाने पर जारी है। इसके लिए लोगों को जागरूक करने की भी आवश्यकता है।

अब आईआईटी खड़गपुर के शोधकर्ता भोजन को पैक करने के लिए खीरे के छिलकों का उपयोग कर रहे हैं। आईआईटी खड़गपुर संकाय के इस नए शोध से पता चलता है कि खीरे के छिलकों को उपयोग में लाकर प्रकृति को भी बचाने में एक अहम योगदान साबित हो सकता है।