22 साल पहले करगिल की पहाड़ियों पर भारत और पाकिस्तान (India Pakistan War) के बीच जंग हुई थी। इस जंग की शुरुआत तब हुई जब पाकिस्तानी सैनिकों ने करगिल (Kargil) की ऊंची पहाड़ियों पर घुसपैठ करके अपने ठिकाने बना लिए थे। भारतीय सेना (Indian Army) को इसकी भनक तक नहीं लगी थी, लेकिन जब भारतीय जवानों को पता चला तो उन्होंने पाकिस्तानी सेना के जवानों को खदेड़ दिया और करगिल की चोटियों पर तिरंगा लहरा दिया।
पर क्या आपको पता है कि इस युद्ध में योगेंद्र सिंह यादव एक ऐसा नाम उभर कर सामने आया था जिन्हें कारगिल युद्ध में 15 गोली लगी थीं, उनके शरीर पर दो हैंड ग्रेनेड के घाव थे। उनका एक हाथ बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका था। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी थी। आइये जानते हैं उनके इस अद्भुत साहस के बारे में। (Yogendra Singh Yadav)
कारगिल में योगेंद्र की बहादुरी (Yogendra Singh Yadav)
जुलाई,1999 को सूबेदार मेजर यादव ने जो बहादुरी दिखाई,वह भारतीय सेना के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में अंकित है। कारगिल युद्ध में योगेंद्र सिंह यादव को 15 गोली लगी थीं, उनके शरीर पर दो हैंड ग्रेनेड के घाव थे। उनका एक हाथ बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका था। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी थी। करीब एक साल तक योगेंद्र अस्पताल में भर्ती रहे थे और ठीक होकर फिर से सेना में लौटे थे।

लड़ाई में कई सैनिक शाहिद (Yogendra Singh Yadav)
मूल रूप से बुलंदशहर के औरांगाबाद अहिर गांव निवासी योगेंद्र ने कारगिल युद्ध में अपनी जान की बाजी लगाकर दुश्मनों और उनके ठिकानों को बर्बाद कर दिया था। उनकी बटालियन को टाइगर हिल टॉप को अपने कब्जे में लेने के निर्देश मिला था। वह साथियों के साथ दो और तीन जुलाई 1999 की रात में सफर कर ऊपर पहुंचने ही वाले थे कि दुश्मनों ने फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें उनके कई साथी बहादुरी से लड़ते हुए शहीद हो गए लेकिन योगेंद्र अपने कुछ साथियों के साथ ऊपर तक पहुंच गए। जहां पर पाकिस्तानी सेना के बंकर बने थे।

5 घंटे चली थी लड़ाई (Yogendra Singh Yadav)
पाकिस्तानी सैनिकों के बीच करीब पांच घंटे तक लगातार फायरिंग हुई थी। बाद में योगेंद्र ने रणनीति बदली। अचानक से उनके सभी साथियों ने फायरिंग बंद कर दी और सभी पत्थरों के पीछे पोजिशन लेकर बैठ गए। इससे दुश्मन को लगा कि उनका गोला-बारूद खत्म हो गया है। जब पाकिस्तानी सेना उन्हें देखने आए तब उनकी टुकड़ी ने पूरी क्षमता के साथ दुश्मन पर हमला किया, जिससे उन्हें संभलने का मौका नहीं मिला। इसमें दुश्मन के सभी सैनिक मारे गए और कुछ बचे तो वह भाग गए।

योगेंद्र ने 15 गोलियों खाई (Yogendra Singh Yadav)
टाइगर हिल की लड़ाई के दौरान उन्हें पैर, छाती, कमर और हाथ में 15 बार मारा गया। यहां तक कि उनकी नाक पर भी चोट आई थी। कारगिल युद्ध में योगेंद्र सिंह यादव को 15 गोली लगी थीं, इसके अलावा उनके शरीर पर दो हैंड ग्रेनेड के घाव थे। लेकिन उनके साहस के आगे दुश्मनों को घुटने टेकना पड़ा। इस युद्ध के बाद वह 1 साल तक अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें श्रीनगर के एक अस्पताल में 3 दिन बाद होश आया था। उस समय तक, भारतीय सेना ने बिना कोई जान गंवाए टाइगर हिल पर सफलतापूर्वक कब्जा कर लिया था।

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परमवीर चक्र से सम्मानित (Yogendra Singh Yadav)
योगेन्द्र सिंह यादव को युद्ध के दौरान अनुकरणीय साहस प्रदर्शित करने के लिए भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। वह इस सम्मान को पाने वाले सबसे कम उम्र के सैनिक थे। उन्हें यह सम्मान तत्कालीन राष्ट्रपति आर नारायणन के द्वारा दिया गया। उन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान जिस तरह दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिये उनका यह बलिदान देश कभी भुला नही सकता । अपने वीरता और पराक्रम के बदौलत उन्होंने इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करा लिया है।
करगिल में मौत से लडक़र देश का सीना गर्व से चौड़ा करने वाले परमवीर चक्र प्राप्त सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव की जितनी तारीफ की जाए कम है। भारत माँ के इस लाल को सलाम है।
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