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Thursday, May 2, 2024

माँ ने शराब बेच बेटे को पढ़ाया, बेटे ने IAS बनकर पूरा किया माँ का सपना

सफलता की कुंजी कहती है कि जीवन में सफलता उसी के हिस्से में आती है, जो संघर्ष से नहीं घबराता है। संघर्ष में सफलता छिपी होती है। हर सफल व्यक्ति की सफलता के पीछे संघर्ष की एक लंबी कहानी होती है। यह व्यक्ति को चुनौतियों का सामना करना सीखाता है। कहते हैं जितना बड़ा संघर्ष होगा, सफलता भी उतनी ही बड़ी होगी।

आज हम आपको आईएएस राजेन्द्र भारुड के संघर्ष (Rajendra Bharud Struggle Story) की कहानी को बताएंगे, जिन्होंने अपने ज़िन्दगी में अनेक दुख झेले। इन दुःखो के बावजूद उन्होंने अपने मेहनत के बदौलत अपने सपने को पूरा किया। आइये जानते हैं आईएएस राजेन्द्र राजेंद्र भारुड (Rajendra Bharud) के संघर्ष से भरे जीवन के बारे में।

जन्म से पहले पिता का निधन

आईएएस राजेंद्र भारुड (IAS Rajendra Bharud) का जन्म महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव सकरी तालुका में हुआ था। उनके पिता का नाम बंधु भारुड और माता का नाम कमलाबाई है। राजेंद्र जब अपने मां के गर्भ में थे तभी उनके पिता का निधन हो गया था। जिसके कारण उन्होंने अपने पिता को देखा तक नही था। बचपन में उनका लालन-पालन उनके माँ ने ही किया। एक पिता के न होने के दुःख आईएएस राजेन्द्र को बचपन से है।

माँ के साथ देशी शराब बेचा

राजेन्द्र भारुड़ के परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि उनकी माँ को देशी शराब की दुकान (Wine Shop) खोलनी पड़ी। उनलोगों के पास रहने के लिए घर भी नही था। किसी तरह उनकी माँ ने एक घर का इंतजाम किया और राजेन्द्र के साथ उनके भाई-बहन का लालन-पालन किया। राजेन्द्र की माँ ने उनके शिक्षा में भी कोई कसर नही छोड़ी। दुकान के साथ-साथ अपने बच्चों के पढ़ाई में भी ध्यान दिया।

शराब के पैसों से किताबें खरीदी

आईएएस राजेंद्र (Rajendra Bharud) जब छोटे थे तब उनके रोने की वजह से उनके दुकान पर बैठे शराबियों को शराब पीने में दिक्कत होती थी, तो राजेन्द्र को चुप कराने के लिए वह राजेन्द्र के मुँह में दो-चार बूंद शराब डाल देते थे जिससे राजेन्द्र चुप हो जाते थे। वहीं लोग राजेन्द्र को कुछ पैसे भी दे दिया करते थे जिन पैसों को जमा करके राजेन्द्र पढ़ने के लिए किताब खरीदते थे जिससे दुकानदारी के साथ-साथ उनकी पढ़ाई भी चलती थी।

बचपन से तेज थे राजेन्द्र

राजेंद्र छोटे उम्र से ही बहुत ज्यादा तेज थे। आपको बता दें कि नवोदय विद्यालय में उन्होंने गणित और विज्ञान (Math And Science) में सबसे ज्यादा अंक लाए थे। दसवीं की बोर्ड की परीक्षा में उन्होंने दोनों विषय में टॉप किया और 2 साल बाद बारहवीं बोर्ड परीक्षा में उन्होंने कक्षा में टॉप किया था। उन्होंने अपने आगे की पढ़ाई छात्रवृति के साथ मुंबई के सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज से की।

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डॉक्टर बनने का सपना

राजेन्द्र का सपना था की वह डॉक्टर (Doctor) बने इसके लिए उन्होंने एमबीबीएस (MBBS) भी किया। उनका सपना था कि डॉक्टर बनकर वह गरीबों की सेवा करें। पर डॉक्टर बनने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरु की। कठिन परिश्रम के बाद उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास की और एक आईएएस (IAS) बनकर देश की सेवा करने की ठानी। राजेन्द्र अपने परिस्थितियों से कभी घबराए नही। उन्होंने आज यह साबित कर दिया कि कम संसाधन में भी कड़ी मेहनत करके सफलता पाया जा सकता है।

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Shubham Jha
Shubham Jha
शुभम झा (Shubham Jha)एक पत्रकार (Journalist) हैं। भारत में पत्रकारिता के क्षेत्र में बदलाव लाने की ख्वाहिश रखते हैं। वह चाहते हैं कि पत्रकारिता स्वच्छ और निष्पक्ष रूप से किया जाए। शुभम ने पटना विश्वविद्यालय (Patna University) से पढ़ाई की है। वह अपने लेखनी के माध्यम से भी लोगों को जागरूक करते हैं।

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